मेहंदी का दूसरा नाम हिना है. हिना नाम से ये हर्बल हेयर कलर में प्रयोग की जाती है. ये एक झाड़ीनुमा पौधा है. बीज और कटिंग दोनों से नये पौधे लगाए जाते हैं. इसकी पत्तियों को ही श्रंगार के लिए हाथों, पैरों और बालों में लगाने में इस्तेमाल किया जाता है.
मेहंदी की पत्तियां पीसने पर पीलापन लिए लाल रंग देती हैं. यही मेहंदी का विशेष रंग होता है. मेहंदी एक अच्छा ब्लड प्यूरीफायर है. यह खून को साफ़ करती है. स्किन के दाग धब्बे मिटाती है. मेहंदी की ताज़ी पत्तियां 10 ग्राम ऐसे ही बिना पीसे नीम की 10 ग्राम पत्तियों के साथ एक ग्लास पानी में रात को भिगो दी जाती हैं और सुबह वह पानी खली पेट पीने से स्किन के दाग धब्बे, खुजली, जलन दूर हो जाती है. मेहंदी को इस प्रकार इस्तेमाल करने का मौसम अप्रैल से जून के मध्य है. क्योंकि मेहंदी का स्वाभाव ठंडा है. बरसात और जाड़े में मौसम में मेहंदी का अंदरूनी इस्तेमाल नुक्सान करता है. वे लोग जो नज़ला, खांसी के मरीज़ हैं उन्हें मेहंदी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
मेहंदी सौंदर्य प्रसाधन के रूप में बालों में लगाने से न केवल उन्हें बढ़िया रंग देती है बल्कि बालों की कंडीशनिंग भी करती है. मेहंदी बालों पर एक परत चढ़ा देती है जिससे बाल देखने में घने लगने लगते हैं. यह सर को भी ठंडा रखती है. गर्मी से जिनके सर में दर्द रहता हो, हाई ब्लड प्रेशर हो, तो मेहंदी का सर और हाथ पैर में लगाने से लाभ होता है. मेहंदी में मार्च से लेकर मई जून में फूल आते है. इसका फूल सफ़ेद होता है और गुच्छो में खिलता है. फूल भी त्वचा की बीमारियों में लाभकारी है. इसके फूल को छाया में सुखाकर मुंडी बूटी के फूलों के साथ सामान मात्रा में पानी में भिगोकर पीने से त्वचा कांतिमय हो जाती है और खून के खराबी ठीक हो जाती है. लेकिन मेहंदी का स्वाभाव ठंडा है. जो लोग ठन्डे स्वाभाव के हैं, नज़ला, ज़ुकाम, खांसी के मरीज़ हैं, जिनकी सांस फूलती है और जो दमे के बीमारी का शिकार हैं उनके लिए मेहंदी का प्रयोग खतरनाक हो सकता है.
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