अर्जुन एक बड़ा वृक्ष है. इसकी छाल चिकनी सफेदी लिए हुए होते है. इसकी पत्तियां लम्बी लम्बी अमरुद के पत्त्तों से मिलती जुलती होती हैं. यह अपने फलों के आकर से आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके फल गुच्छों में लगते हैं. ये कठोर और कई पहलू वाले मध्यम आकर की हरड़ के बराबर होते हैं. इन फलों के पहलू कमरख की तरह होते हैं.
अर्जुन को दिल की दवा मन जाता हैं. इसकी छाल का काढ़ा बनाकर पीने से दिल के रोगों में लाभ होता हैं.
अर्जुन को दिल की दवा मन जाता हैं. इसकी छाल का काढ़ा बनाकर पीने से दिल के रोगों में लाभ होता हैं.
जोशांदे के रूप में भी इसकी छाल 10 से 20 ग्राम के मात्रा में छोटे छोटे टुकड़े करके 2 कप पानी के साथ धीमी आंच पर उबाली जाती है. एक कप पानी रह जाने पर शकर मिलाकर या फिर दूध के साथ, या वैसे ही जोशांदे के रूप में सुबह शाम पीने से दिल के रोगो में लाभ होता है.


अर्जुन का गुण डायूरेटिक यानि पेशाबआवर है. ये कब्ज़ को भी दूर करता है. गर्भवती महिलाओं को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए.
छाल के स्थान पर इसके फलों के जोशांदे का प्रयोग भी किया जा सकता है. अजीब बात ये है की इसके हरे फल को हाई ब्लडप्रेशर में बाज़ू और कोहनी के जोड़ के समीप बाज़ू में अंदर की साइड में धागे के साथ बांधने से लाभ होता है. फल सूख जाने पर दूसरा बदल देना चाहिए.
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