बुधवार, 20 जुलाई 2016

शकर कंदी

शकर कंदी या शकर कंद एक बेलदार पौधा है. जून माह में इसकी बेल की कटिंग लगाई जाती है. बरसात में ये खूब बढ़ती है. इसकी बेल तोड़ने पर दूध निकलता है. नए पौधे शकर कन्द को बोन से पैदा होते हैं और फिर उनकी कटिंग लगाई  जाती है.

सितम्बर अक्टूबर तक शकर कन्द तैयार हो जाती है. ये आलू की तरह ट्यूबर है इसलिए अंग्रेजी में इसे स्वीट पोटैटो या मीठा आलू कहते हैं.
शकर कन्द में बहुत गन हैं. इसमें रेशा पाया जाता है जो पेट को साफ़ करता है. शकर कन्द खाने से दिल के दौरे का खतरा काम हो जाता है. इसका यही एक अजीब गुण बहुत कारगर है. ये खून बनता है, दांतों और हड्डियों को मज़बूत करता है.
जाड़ों में इसका इस्तेमाल शरीर को गर्म रखता है. ठण्ड लगने से बचाता है. ये बच्चों के लिए भी अच्छा भोजन है. दूध पिलाने वाली माँ के लिए आयरन और विटामिन का अच्छा स्रोत है.


गुरुवार, 14 जुलाई 2016

छोटी दुधी

छोटी दुधी एक बूटी है जो ज़मीन पर बिछी हुई होती है. इसकी शाखाएं लाल  पत्तियां बहुत छोटी छोटी और गहरे हरे या काही रंग की होती हैं. ये बरसात के दिनों में खूब फलती फूलती है.  लेकिन ये हर मौसम में मिल जाती है. इसको तोड़ने से दूध निकलता है इसी लिए इसे दुधि बूटी कहते हैं.

दुधी  पेचिश में काम आती है. इसका पेस्ट बनकर पिलाने से आराम होता है. ये एक आम तौर से पाया जाने वाला पौधा है. दुधी एक अजीब हर्ब है. ऐसे मरीज़ जो डायबिटीज के शिकार हों और इन्सुलिन का प्रयोग कर रहे हों उनसे लिए छोटी दुधी बहुत कारगर इलाज है. 

छोटी दुधी को जड़ से उखाड़कर छाया में सूखालें. सूखने पर इसका पाउडर बनाकर 3 से 5 ग्राम की मात्रा में सादे पानी के साथ  दिन में दो बार इस्तेमाल करने से डायबिटीज में बहुत लाभ होता है. लेकिन किसी भी जड़ी बूटी का प्रयोग चिकित्सक के राय से ही करें. 

लोनिया

लोनिया का साग, नोनिया, कुलफा जंगली, खुरफा, आदि के नामों से मशहूर एक छोटी पत्ती का पौधा है जो जून जुलाई के माह में खेतों में, सड़कों के किनारे, खाली पड़ी जगहों पर जमता है. इसकी शाखें लाल, पत्तियां छोटी छोटी और मांसल होती हैं. इसकी बड़ी वैराइटी कुलफा के साग के नाम से बाज़ारों में मिलती है. लोग इस जंगली  वैराइटी को भी खाने में इस्तेमाल करते हैं. इसका मज़ा खट्टापन लिए होता है. इसके पालक से अधिक अकजेलिक एसिड पाया जाता है. गुर्दे की पथरी के मरीजों को इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

ये स्वभाव से ठंडा होता है और जिगर को शक्ति देता है. इसका इस्तेमाल हाथों पैरों के कम्पन में फायदेमंद है. लोनिया में पीले फूल खिलते हैं. ध्यान रहे के इस पौधे को लुनिया के पौधे से कन्फ्यूज़ न करें जो घरों में अपने विभिन्न रंगों के फूलों के लिए लगाया जाता है.
लोनिा बाज़ार  वाले कुलफा के साग की छोटी और जंगली नस्ल है. ये गरीबों का खान है. देहात में इसका साग बड़े चाव से खाया जाता है.
सूजन की जगह इसकी पत्तियों को पीस कर  लगाने से ठंडक पड़ जाती है. फोड़ा अगर हो तो बैठ जाता है या फिर पककर फूट जाता है.
सर दर्द जो गर्मी से हो में इसके पत्तियों का लेप माथे पर लगाने से फायेदा होता है.

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