बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

मुलेठी एक झाड़ीदार पौधा है

मुलेठी एक झाड़ीदार पौधा है. इसे गर्म और तर जलवायु चाहिए. इसे आयुर्वेद में यष्टिमधु और हिंदी उर्दू में मुलेठी कहते हैं. इसका अंग्रेजी नाम लिकोरिस और साइंटिफिक नाम ग्लीसरहिज़ा ग्लाब्रा है. इसकी जड़ दवा के रूप में प्रयोग की जाती है.
 मुलेठी की जड़े पौधा लगाने के दो साल बाद निकालने के लिए तैयार हो जाती हैं. इन्हे खोदकर छोटे टुकड़ो में काटकर सुखा लिया जाता है. मुलेठी की जड़ो  का रंग पीला और स्वाद मीठा होता है.
मुलेठी का सबसे बड़ा फायदा इसकी बलगम निकालने का गुण है जिसे जड़ी बूटी से थोड़ा सा लगाव रखने वाले सभी लोग जानते हैं. इसलिए ये एक्सपेक्टोरेन्ट के रूप में प्रयोग की जाती है. देसी, आयुर्वेद और हकीमी दवाओं में ये खांसी की मुख्य दवा के रूप में इस्तेमाल होती  है. जोशांदे में जो नज़ला, ज़ुकाम और कफ के लिए प्रयोग किया जाता है मुलेठी की जड़ को कूटकर डाला जाता है और अन्य दवाओं के साथ उबालकर पिया जाता है.


बच्चो के दांत निकलने के ज़माने में मुलेठी की जड़ को पानी में भिगोकर कुछ नरम करके बच्चे के हाथ में पकड़ा देते हैं जिससे बच्चा उसे बेबी टीथर की तरह चूसता रहे. इसके न सिर्फ दांत आसानी से निकल आते हैं, बच्चो को खांसी, ज़ुकाम और पेट की तकलीफे भी नहीं होती हैं.
मुलेठी पेट की भी अच्छी दवा है. ये आंतो को शक्ति देती है. दस्तों को बंद करती है, पेचिश में फायदेमंद है. इसका विशेष अजीब गुण ये है की ये कब्ज़ में भी लाभकारी है.
मुलेठी नर्वस सिस्टम की भी बड़ी दवा है. इसके पाउडर को दूध के साथ नियमित प्रयोग करने से नर्वस सिस्टम मज़बूत हो जाता है. डिप्रेशन जाता रहता है. शरीर की मांस पेशियां भी शक्तिशाली बनती हैं. इसके लिए मुलेठी को इमाम दस्ते (हावन दस्ते) में अच्छी तरह कूटकर पाउडर बनाले. और छानकर इसके रेशे निकाल दें. ये पाउडर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ रोज़ 3 से 4 महीने इस्तेमाल करने से निश्चित ही लाभ होता है.
मुलेठी का स्वाभाव गर्म खुश्क है. ये शरीर में खुश्की पैदा करती है. तर या गीली खुजली और स्किन की बीमारियों में भी लाभदायक है.
मुलेठी की जड़ के ऊपरी छिलके  में कुछ ऐसे तत्व है जो सेहत के लिए लाभदायक नहीं हैं. इसलिए हकीम लोग इसकी ऊपरी छाल को हटाकर अंदर की लकड़ी प्रयोग करते हैं.

गुरुवार, 10 अक्तूबर 2019

पेठा एक जाना माना फल है

पेठा एक जाना माना फल है. इसे कुम्हड़ा और कुम्हड़ा भी कहते हैं. इसका नाम कुष्मांडा भी है लोग पेठे का प्रयोग मिठाई के रूप में करते हैं. इसकी मिठाई बनायीं जाती है जो स्वादिष्ट होती है. इसकी सूखी मिठाई बहुत दिनों तक सुरक्षित रह सकती है.
उड़द दाल के साथ पेठा मिलाकर बड़ियाँ भी बनायीं जाती है. जो सब्ज़ी के रूप में प्रयोग की जाती हैं. और खाने में स्वादिष्ट लगती हैं.
पेठे में पानी के मात्रा अधिक होती है. इसका गूदा मुलायम होता है लेकिन इसके रेशे कड़े होते है. जो खाने में करकर बोलते हैं. इस डाइटरी फाइबर के कारण ही पेठा आंतो में जमी गंदगी निकल देता है. इसका डाइटरी फाइबर ही इसका विशेष गुण है. पेठे का स्वाभाव ठंडा और तर है. गर्मी के दिनों में इसके मिठाई का इस्तेमाल गर्मी के दुष्प्रभाव से बचता है और सर को ठंडा रखता है. पेठा लू लगने से बचाता है. इसमें मिनरल पाये  जाते है जो शरीर को बहुत सी बीमारियों से बचाते हैं. पेठे के सब्ज़ी बनाकर खाने से शरीर को ताकत तो मिलती है लेकिन वज़न कंट्रोल में रहता है.
जिन लोगों का मिज़ाज ठंडा है उनके लिए पेठा फायदेमंद नहीं है. जो लोग डायबेटीस का शिकार हैं वे भी पेठे की मिठाई खाने से बचें क्योंकि इसमें बहुत मात्रा में शकर का प्रयोग किया जाता है.

Popular Posts

महल कंघी Actiniopteris Radiata

महल कंघी एक ऐसा पौधा है जो ऊंची दीवारों, चट्टानों की दरारों में उगता है.  ये छोटा सा गुच्छेदार पौधा एक प्रकार का फर्न है. इसकी ऊंचाई 5 से 10...