मुलेठी एक झाड़ीदार पौधा है. इसे गर्म और तर जलवायु चाहिए. इसे आयुर्वेद में यष्टिमधु और हिंदी उर्दू में मुलेठी कहते हैं. इसका अंग्रेजी नाम लिकोरिस और साइंटिफिक नाम ग्लीसरहिज़ा ग्लाब्रा है. इसकी जड़ दवा के रूप में प्रयोग की जाती है.
मुलेठी की जड़े पौधा लगाने के दो साल बाद निकालने के लिए तैयार हो जाती हैं. इन्हे खोदकर छोटे टुकड़ो में काटकर सुखा लिया जाता है. मुलेठी की जड़ो का रंग पीला और स्वाद मीठा होता है.
मुलेठी का सबसे बड़ा फायदा इसकी बलगम निकालने का गुण है जिसे जड़ी बूटी से थोड़ा सा लगाव रखने वाले सभी लोग जानते हैं. इसलिए ये एक्सपेक्टोरेन्ट के रूप में प्रयोग की जाती है. देसी, आयुर्वेद और हकीमी दवाओं में ये खांसी की मुख्य दवा के रूप में इस्तेमाल होती है. जोशांदे में जो नज़ला, ज़ुकाम और कफ के लिए प्रयोग किया जाता है मुलेठी की जड़ को कूटकर डाला जाता है और अन्य दवाओं के साथ उबालकर पिया जाता है.
बच्चो के दांत निकलने के ज़माने में मुलेठी की जड़ को पानी में भिगोकर कुछ नरम करके बच्चे के हाथ में पकड़ा देते हैं जिससे बच्चा उसे बेबी टीथर की तरह चूसता रहे. इसके न सिर्फ दांत आसानी से निकल आते हैं, बच्चो को खांसी, ज़ुकाम और पेट की तकलीफे भी नहीं होती हैं.
मुलेठी पेट की भी अच्छी दवा है. ये आंतो को शक्ति देती है. दस्तों को बंद करती है, पेचिश में फायदेमंद है. इसका विशेष अजीब गुण ये है की ये कब्ज़ में भी लाभकारी है.
मुलेठी नर्वस सिस्टम की भी बड़ी दवा है. इसके पाउडर को दूध के साथ नियमित प्रयोग करने से नर्वस सिस्टम मज़बूत हो जाता है. डिप्रेशन जाता रहता है. शरीर की मांस पेशियां भी शक्तिशाली बनती हैं. इसके लिए मुलेठी को इमाम दस्ते (हावन दस्ते) में अच्छी तरह कूटकर पाउडर बनाले. और छानकर इसके रेशे निकाल दें. ये पाउडर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ रोज़ 3 से 4 महीने इस्तेमाल करने से निश्चित ही लाभ होता है.
मुलेठी का स्वाभाव गर्म खुश्क है. ये शरीर में खुश्की पैदा करती है. तर या गीली खुजली और स्किन की बीमारियों में भी लाभदायक है.
मुलेठी की जड़ के ऊपरी छिलके में कुछ ऐसे तत्व है जो सेहत के लिए लाभदायक नहीं हैं. इसलिए हकीम लोग इसकी ऊपरी छाल को हटाकर अंदर की लकड़ी प्रयोग करते हैं.
मुलेठी की जड़े पौधा लगाने के दो साल बाद निकालने के लिए तैयार हो जाती हैं. इन्हे खोदकर छोटे टुकड़ो में काटकर सुखा लिया जाता है. मुलेठी की जड़ो का रंग पीला और स्वाद मीठा होता है.
मुलेठी का सबसे बड़ा फायदा इसकी बलगम निकालने का गुण है जिसे जड़ी बूटी से थोड़ा सा लगाव रखने वाले सभी लोग जानते हैं. इसलिए ये एक्सपेक्टोरेन्ट के रूप में प्रयोग की जाती है. देसी, आयुर्वेद और हकीमी दवाओं में ये खांसी की मुख्य दवा के रूप में इस्तेमाल होती है. जोशांदे में जो नज़ला, ज़ुकाम और कफ के लिए प्रयोग किया जाता है मुलेठी की जड़ को कूटकर डाला जाता है और अन्य दवाओं के साथ उबालकर पिया जाता है.
बच्चो के दांत निकलने के ज़माने में मुलेठी की जड़ को पानी में भिगोकर कुछ नरम करके बच्चे के हाथ में पकड़ा देते हैं जिससे बच्चा उसे बेबी टीथर की तरह चूसता रहे. इसके न सिर्फ दांत आसानी से निकल आते हैं, बच्चो को खांसी, ज़ुकाम और पेट की तकलीफे भी नहीं होती हैं.
मुलेठी पेट की भी अच्छी दवा है. ये आंतो को शक्ति देती है. दस्तों को बंद करती है, पेचिश में फायदेमंद है. इसका विशेष अजीब गुण ये है की ये कब्ज़ में भी लाभकारी है.
मुलेठी नर्वस सिस्टम की भी बड़ी दवा है. इसके पाउडर को दूध के साथ नियमित प्रयोग करने से नर्वस सिस्टम मज़बूत हो जाता है. डिप्रेशन जाता रहता है. शरीर की मांस पेशियां भी शक्तिशाली बनती हैं. इसके लिए मुलेठी को इमाम दस्ते (हावन दस्ते) में अच्छी तरह कूटकर पाउडर बनाले. और छानकर इसके रेशे निकाल दें. ये पाउडर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ रोज़ 3 से 4 महीने इस्तेमाल करने से निश्चित ही लाभ होता है.
मुलेठी का स्वाभाव गर्म खुश्क है. ये शरीर में खुश्की पैदा करती है. तर या गीली खुजली और स्किन की बीमारियों में भी लाभदायक है.
मुलेठी की जड़ के ऊपरी छिलके में कुछ ऐसे तत्व है जो सेहत के लिए लाभदायक नहीं हैं. इसलिए हकीम लोग इसकी ऊपरी छाल को हटाकर अंदर की लकड़ी प्रयोग करते हैं.
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