चिड़चिड़ा, चिरचिरा, चिरचिटा, ओंगा, एक बहुतायत से पायी जाने वाली जड़ी बूटी के नाम हैं. इसका दूसरा नाम लटजीरा भी है. इसे अपामार्ग भी कहते हैं. ये ज़हरों को मारने वाला पौधा है. बिच्छू के डांक मारने पर इसकी जड़ को पीसकर कागने से और इसकी पत्तियों का रास पिलाने से ज़हर का असर दूर होता है और दर्द और जलन में कमी आजाती है.
इसके बीज कांटेदार होते हैं. एक लंबी शाखा पर बीज लगे होते हैं. ये बीज काँटों के कारण किसी भी जीव के जो इसके संपर्क में आता है चिपक जाते हैं. इस प्रकार ही इसके बीजों का फैलाव दूर दूर तक हो जाता है.
इसके बीज कांटेदार होते हैं. एक लंबी शाखा पर बीज लगे होते हैं. ये बीज काँटों के कारण किसी भी जीव के जो इसके संपर्क में आता है चिपक जाते हैं. इस प्रकार ही इसके बीजों का फैलाव दूर दूर तक हो जाता है.
चिड़चिड़ा एक बहु उपयोगी पौधा है. गुर्दे के पथरी निकालने में इसका खार या नमक उपयोग किया जाता है. खार निकालने के लिए पौधों को सुखाकर जलाकर राख बना ली जाती है. राख को पानी में घोलकर पानी को छानकर आग पर सुखा लेते हैं तो बर्तन के तली में खार बच जाता है. चिड़चिड़ा खार जौखार, बेर पत्थर को बराबर मात्रा में लेकर मिश्रण बनाकर एक से तीन ग्राम की मात्रा में दिन में तीन बार प्रयोग करने से गुर्दे के पथरी टूटकर निकल जाती है. इसका प्रयोग किसी हकीम या वैदय की सलाह से ही करना चाहिए.
इसके बीजों को पीसकर और छानकर चावल के पानी के साथ प्रयोग करने पर खुनी बवासीर में लाभ होता है. चिड़चिड़े की दातून करने से दांत के रोग ठीक होते हैं.
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