भृंगराज, एक औषधीय पौधा है. आम लोग इसे भंगरा भी कहते हैं. ये काला और सफ़ेद दो प्रकार का पाया जाता है. काले पौधे की शाखें काली होती हैं. इसका फूल सफ़ेद कुछ कालिमा लिए हुए होता है. बालों को बढ़ाने, लंबा और घना करने में इसका बहुत नाम है. आयुर्वेद में माह भृंगराज तैल बालों को बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.
भंगरा एक जड़ी बूटी के रूप में खाली पड़ी जगहों पर घास फूस के दरम्यान उगता है. इसे पानी और नमी के ज़्यादा आवश्यकता होती है. इसलिए इसके पौधे नालियों के किनारे, ऐसे स्थानों पर जहाँ नमी रहती हो पाये जाते हैं.
इसके फूल छोटे छोटे सफ़ेद होते हैं. फूल सूख जानेपर इसके बारीक बीज गिर जाते हैं. इसके पौधे बरसात में आसानी से उगते हैं. वैसे ये साल भर मिल सकता है लेकिन जाड़ों में कमी के साथ पाया जाता है.
जहाँ से बाल उड़ गए हों और चिकने स्थान रह गए हों वहां पर इसके पत्तों को प्याज़ के साथ पीसकर लगाने से बाल दुबारा उग आते हैं. इसकी यही एक अजीब बात बहुत काम की है. भंगरा, आमला, जटामांसी, करि पत्ता और मेंहदी की पत्तियों के पाउडर को तेल में पकाकर उस तेल को छान कर बालों में लगाने से बाल बढ़ते और घने होते हैं.
भंगरा का प्रयोग आँख की दवाओं में भी होता है. इसका काजल बनाकर आँखों में लगाने से आँखें स्वस्थ रहती हैं. काजल बनाने का तरीका ये है कि भंगरा की पत्तियों का रस निकालकर उसमें मुलायम सूती कपडा भिगोकर लपेटकर बत्ती बना ली जाए. बत्तियों के सूख जाने पर उसे तिल के तेल के दीपक में जलाया जाए और उसकी लौ के ऊपर एक साफ मिटटी का बर्तन इस प्रकार रखा जाए कि बत्ती जलती रहे और उसका धुआं मिटटी के बर्तन में कालक के रूप में जमा होता रहे. बाद में इसी कालक को लेकर थोड़ा सा घी मिलकर पेस्ट के रूप में काजल बनाया जाता है.
भंगरा एक जड़ी बूटी के रूप में खाली पड़ी जगहों पर घास फूस के दरम्यान उगता है. इसे पानी और नमी के ज़्यादा आवश्यकता होती है. इसलिए इसके पौधे नालियों के किनारे, ऐसे स्थानों पर जहाँ नमी रहती हो पाये जाते हैं.
इसके फूल छोटे छोटे सफ़ेद होते हैं. फूल सूख जानेपर इसके बारीक बीज गिर जाते हैं. इसके पौधे बरसात में आसानी से उगते हैं. वैसे ये साल भर मिल सकता है लेकिन जाड़ों में कमी के साथ पाया जाता है.
जहाँ से बाल उड़ गए हों और चिकने स्थान रह गए हों वहां पर इसके पत्तों को प्याज़ के साथ पीसकर लगाने से बाल दुबारा उग आते हैं. इसकी यही एक अजीब बात बहुत काम की है. भंगरा, आमला, जटामांसी, करि पत्ता और मेंहदी की पत्तियों के पाउडर को तेल में पकाकर उस तेल को छान कर बालों में लगाने से बाल बढ़ते और घने होते हैं.
भंगरा का प्रयोग आँख की दवाओं में भी होता है. इसका काजल बनाकर आँखों में लगाने से आँखें स्वस्थ रहती हैं. काजल बनाने का तरीका ये है कि भंगरा की पत्तियों का रस निकालकर उसमें मुलायम सूती कपडा भिगोकर लपेटकर बत्ती बना ली जाए. बत्तियों के सूख जाने पर उसे तिल के तेल के दीपक में जलाया जाए और उसकी लौ के ऊपर एक साफ मिटटी का बर्तन इस प्रकार रखा जाए कि बत्ती जलती रहे और उसका धुआं मिटटी के बर्तन में कालक के रूप में जमा होता रहे. बाद में इसी कालक को लेकर थोड़ा सा घी मिलकर पेस्ट के रूप में काजल बनाया जाता है.
Hey admin!! i am very glad to read this article. Thank you so much for sharing with us.
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