तुख्मे खत्मी काले रंग के चपटे से गोल आकार के बीज हैं जो देसी दवाओं में प्रयोग किये जाते हैं. ये मैलो परिवार का पौधा है. इसे कुछ लोग गुल खैरु और गुल खैरा भी कहते हैं. बागों में जो कॉमन होलीहॉक लगाया जाता है वह भी मैलौ जाति का पौधा है और इसलिए उसके बीज भी बिलकुल तुख्मे खत्मी जैसे होते हैं. इन बीजों में होलीहॉक के बीजों की मिलावट की जाती है.
तुख्मे खत्मी नज़ले ज़ुकाम के लिए लाभकारी है. इसका प्रयोग जोशांदे में किया जाता है. इसके पौधे में एक कुदरती चिपचिपापन होता है इस गुण के कारण तुख्मे खत्मी फेफड़ों में जमे कफ को निकालने में कारगर है. ये खांसी में फायदा करता है और छाती में जमे कफ के निकाल देता है.
इस पौधे के बीजों के आलावा इसकी जड़ भी दवाओं में प्रयोग की जाती है. इसे रेशा खत्मी कहते हैं. इसमें बहुत अधिक चिपचिपा पदार्थ या म्यूसिलेज होता है अपने इस गुण के कारण इसे डिसेंट्री में प्रयोग किया जाता है. जड़ों को पानी में भिगोकर उसका चिपचिपा पदार्थ निकालकर थोड़ी शकर मिलाकर पिलाने से डिसेंट्री में लाभ होता है.
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