सोमवार, 17 मई 2021

करंज के पेड़ को सुखचैन भी कहते हैं Karanj, Pongamia pinnata

करंज के पेड़ को सुखचैन का पेड़ भी कहते हैं.  ये एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष है. ये सदैव हरा भरा रहता है. इसकी छाया घनी होती है. इसकी ठंडी छाया में गर्मी से झुलसे राहगीर को जो सुख मिलता है वह अतुल्य है इसीलिए इसे सुखचैन का पेड़ कहा जाता है. 

इसका वैज्ञानिक नाम पोनगामिया पिनाटा Pongamia pinnata है. इसी को  Millettia pinnata भी कहते हैं. आम भाषा में इसे Indian Beech Tree भी कहते हैं. 

इसे बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं. इन पत्तों पर जगह जगह पर सफ़ेद या क्रीम रंग के सूखे से  निशान पड़े होते हैं. ये इस पौधे की पतियों की एक बीमारी है जो लगभग सभी पौधों पर देखने में आती है. इन धब्बों या निशानों की वजह से इस पौधे की पहचान आसानी से की जा सकती है. अप्रैल और मई माह में इसमें गुच्छों में फूल आते हैं. ये फूल नीले, बैगनी रंग के होते हैं. ये फूल इतनी अधिक मात्रा में खिलते हैं की इसके पेड़ के नीचे इन फूलों की पंखुड़ियां गिरकर एक परत बना लेती हैं. 

इस पेड़ की लकड़ी कच्ची होती है. काटने पर अंदर से पीले रंग की निकलती है. इसे इमारती लकड़ी के रूप में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता क्योंकि सूखकर ये फट जाती है और इसमें दरारें पड़ जाती हैं. इसकी लकड़ी ईंधन के काम आती है. इसके फल जो फलियां या पॉड होते हैं छोटे आकार के होते हैं और हर फली में दो मोटे, बड़े आकार के बीज होते हैं जिनमें बहुत तेल होता है. इन बीजों को हाथ से मसलने पर ही हाथों में तेल की चिकनाहट लग जाती है. 

करंज का महत्व Importance of Pongamia Tree

इस पौधे को जानवर नहीं खाते इसलिए इसे सड़कों के किनारे और ऐसी जमीनों में जिन्हें हरा भरा बनाना हो लगाया जाता है. इसे बहुत अधिक पानी के आवश्यकता भी नहीं होती है. पौधा लगाने के एक साल तक इसकी देख भाल और पानी आदि का ध्यान रखने से ये बहुत तेज़ी से बढ़ता है. बहुत जल्दी भूमि हरी भरी हो जाती है और सड़क छायादार हो जाती है. 

इसके बीज तेल का बड़ा स्रोत हैं. बीजों का तेल करंज तेल या pongame oil कहते हैं. ये बाजार में आसानी से मिल जाता है. इसका छोटा पैक शीशी में और वयवसायक रूप में हज़ारों लीटर की मात्रा में मिल जाता है. 

करंज में एंटीसेप्टिक गुण हैं. इसका तेल साबुन बनाने में उपयोग होता है. ये नीम की तरह ही एंटीसेप्टिक है. नीम के तेल के स्थान पर करंज का तेल इस्तेमाल करने से साबुन में नीम की कड़वी गंध नहीं आती और ये साबुत बहुत अच्छा एंटीसेप्टिक और त्वचा के लिए लाभकारी होता है. करंज का तेल दाद, खाज खुजली, एक्ज़िमा, आदि पर लगाया जाता है. ये सर की रुसी और खुश्की को दूर करता है. करंज के तेल के चार पांच बूंदें किसी हेयर ऑयल में मिलाकर  सर में लगाने से सर की खुश्की दूर हो जाती है. 

करंज का तेल जोड़ों के दर्दों में भी फायदा करता है. इसकी मालिश करने से गठिया में भी लाभ हुआ है. 

पुराने ज़माने में करंज के तेल का प्रयोग रौशनी के लिए दीपक आदि जलाने में किया जाता था. चमड़ा उद्योग में चमड़े को सूखने से बचाने के लिए भी इस तेल का उपयोग करते थे. 

इसका तेल लगाने से मच्छर पास नहीं आते. 

करंज का तेल वर्तमान समय में बायो डीज़ल का एक बड़ा स्रोत है. इसे लुब्रिकेंट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. 

करंज तेल का इस्तेमाल करते समय सावधानी रखें  की ये तेल खाने के काम में नहीं आता. इसमें ज़हरीले गुण होते हैं इसलिए इसे बच्चों के पहुंच से दूर रखें और केवल लगाने में ही प्रयोग करें. यदि इसके लगाने से त्वचा में खुजली, जलन, सूजन आदि लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इसका इस्तेमाल बंद करके किसी अच्छे डाक्टर की सलाह लें. 

घर पर करंज का तेल कैसे निकालें  How to extract Karanj oil at home?

करंज के बीजों में इतना अधिक तेल होता है की इसे थोड़ी मात्रा में घर में भी निकाला जा सकता है. इसके लिए करंज के बीजों के छोटे टुकड़े कर लें और इन्हे किसी मज़बूत कपडे के थैले में भर कर किसी वज़नी चीज़ से दबाकर तेल निकाल लें. इस प्रकार थोड़ा सा तेल निकल आता है. 

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