रिंगनी को छोटी कटाई भी कहते हैं. ये एक छोटा सा ज़मीन पर फैलने वाला कांटेदार पौधा है. मार्च अप्रैल के महीनों में ये खेतों के किनारे, बलुई मिट्टी में उगा हुआ मिल जाता है. इसमें बैगनी रंग के फूल खिलते हैं और छोटे गोल फल लगते हैं जो सूखकर पीले पड़ जाते हैं. कुछ लोग इसे कटीला, कटाई, छोटी कटाई, कटाई खुर्द और कंटकारी भी कहते हैं. देसी और आम लोगों के द्वारा इसे दवा के रूप में बरसों से प्रयोग किया जा रहा है.
Ringni seeds are available online
इसके बीज अब ऑनलाइन मार्केट के द्वारा उपलब्ध हैं. लेकिन इन बीजों पर ज़्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है. कई बार बीज जमते नहीं हैं. क्योंकि वे बहुत समय तक रखे रहने से अंकुरित होने की छमता खो देते हैं.
Collect Ringni seeds in April, May
इसलिए बेहतर यही है की इसके बीजों को अप्रैल, मई के महीनों में स्वयं तलाश किया जाए. गांव के लोगों से पूछा जा सकता है जो इस पौधे को भली भांति जानते पहचानते हैं.
जड़ी बूटियों और पर्यावरण से दिलचस्पी रखने वालों के लिए पौधों को खुद तलाश करना चाहिए और उनकी पहचान करना चाहिए. इससे न सिर्फ उनकी पौधों से दिलचस्पी बढ़ेगी बल्कि पर्यावरण का भी भला होगा. बहुत से पौधे जो नष्ट हो रहे हैं वे भी नष्ट होने से बच सकेंगे.
छोटी कटाई का ये पौधा कमाल की दवा है. इसका फल ही दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है. हकीमों का कहना है की इसके सूखे फल की बारीक चूर्ण की नसवार देने से मिर्गी का रोग ठीक हो जाता है. नसवार का मतलब है थोड़ा सा चूर्ण लेकर नाक में सांस के द्वारा खींचना. लेकिन इससे बहुत छींके आती हैं और आँखों से पानी बहता है. इसलिए इस प्रयोग को स्वयं नहीं करना चाहिए. इसके लिए किसी जानकर हकीम या वैद्य की सलाह ज़रूरी है. कोई भी जड़ी बूटी कितनी भी लाभकारी क्यों न हो उसका प्रयोग बिना सोचे समझे करना या स्वयं प्रयोग करना नुकसानदेह हो सकता है.
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