जरिश्क किशमिश से मिलता जुलता भूरे, काले रंग का एक फल है जिसका प्रयोग यूनानी दवाओं में किया जाता है. इसका पौधा बर्बेरेडेसी (Berberidaceae) कुल का पौधा है. इस पौधे की लगभग 500 जातियां पायी जाती हैं.
जरिश्क, BERBERIS ARISTATA पौधे से प्राप्त की जाती है. इसके पौधे को दारुहल्दी या दारहल्द का पौधा भी कहते हैं. इसकी लकड़ी पीले रंग की होती है. इसके टुकड़े सुखी अवस्था में मार्किट में दारहल्द के नाम से मिल जाते हैं. हल्दी से इसका कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है. केवल इसके पीले रंग के कारण इसे दारहल्द कहते हैं. दार का अर्थ फ़ारसी भाषा में लकड़ी होता है. इसी नाम को लोगों ने दारुहल्दी कर दिया है.
दारहल्द को पानी में भिगोकर और उबालकर उसका सत निकला जाता है. जिसे आग पर सुखाकर गाढ़ा कर लिया जाता है. इस सत को जो मार्किट में टुकड़ों की शक्ल में मिलता है रसौत कहते हैं.
ये पौधा अमरीका से लेकर ईरान, भारत के पहाड़ी इलाकों, नेपाल में पाया जाता है. लेकिन देसी और यूनानी दवाओं में जिस जरिश्क का उपयोग होता है उसका मुख्य स्रोत ईरान है. ईरान में खुरासान का इलाका जरिश्क की पैदावार के लिए प्रसिद्ध है और यहीं से प्रत्येक वर्ष जरिश्क दुनिया की अन्य भागों में सप्लाई किया जाता है.
इसका पौधा एक कांटोंदार झड़ी है जो पहाड़ी ढलानों पर उगती है और इसे सुंदरता के लिए बागों के किनारे भी लगाया जाता है. इसके फूल पिले रंग के गुच्छों में खिलते हैं. इसके गुच्छे अमलतास के फूलों के गुच्छो की तरह लटकते हैं. उसके बाद इसमें फल लगते है जो पककर लाल हो जाते है और सूख क्र भूरे, काले हो जाते हैं. इसे पहाड़ी किशमिश या काली किशमिश भी कहा जाता है.
जरिश्क का उपयोग दवाओं के आलावा खाने की डिश में किया जाता है. ईरान में ये मसालों की तरह प्रयोग किया जाता है. जरिश्क पुलाव एक मशहूर डिश है जिसमें चावल, चिकेन के साथ जरिश्क का प्रयोग होता है. जरिश्क का मज़ा खट मिट्ठा होता है.
जरिश्क जिगर की गर्मी को शांत करता है और इसमें पित्त ज्वर नाश करने की शक्ति है. इसलिए हकीम जरिश्क को बुखार दूर करने की दवाओं में शामिल करते हैं.
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