हैं नरकचूर दवाओं में प्रयोग किया जाता है. इसको हकीम ज़रम्बाद कहते हैं. आम लोग इसे सफ़ेद हल्दी के नाम से भी जानते हैं. कुछ लोग ज़रम्बाद को काली हल्दी समझते हैं. काली हल्दी एक अन्य पौधा है. नरकचूर की गांठे अदरक से मिलती जुलती होती हैं. इसे मुख्यत: पेट की दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Curcuma zedoaria है. इसे Long Zedoary भी कहते हैं.
ये पौधा हल्दी की तरह दिखाई है. इसके कंद को दवा में प्रयोग किया जाता है. इस पौधे में छोटी और बड़ी दो तरह की कंद पायी जाती हैं. छोटी कंद को साबुत उबालकर और बड़ी कंद को टुकड़ों में काटकर उबालकर सूखा लिया जाता है और यही बाजार में नरकचूर, मादा कचूर, कपूर कचरी, और ज़रम्बाद के नाम से मिलती है. दवाई गुण छोटे और बड़े दोनों कंद के सामान हैं और इनमें कोई फर्क नहीं है.
इसको बदहज़मी, और पाचन शक्ति बढ़ाने में प्रयोग किया जाता है. ये जिगर के लिए टॉनिक है. जॉन्डिस में इसका पाउडर 2 - 3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में 3 बार इस्तेमाल करने से फायदा होता है. डिसेंट्री में भी इसका उपयोग बेहतर काम करता है. इसके इस्तेमाल से पुरानी डिसेंट्री ठीक हो जाती है.
नरकचूर फेफड़ों में जमे बलगम को निकालता है. त्वचा को निखारता है. इसके पाउडर को दूध और बेसन के साथ पेस्ट बनाकर त्वचा पर लगाने से दाग धब्बे मिट जाते हैं और त्वचा की झाइयां भी ठीक हो जाती हैं.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें