कैलेन्डुला वार्षिक पौधा है जो सजावट के लिए बगीचों और घरों उगाया जाता है. कैलेन्डुला को पॉट मैरीगोल्ड या विलायती गेंदा भी कहते हैं. ये एक बहुत कॉमन पौधा है जो फूलों के शौक़ीन लोगों के गमलों और बगीचों में मिल जाता है.
कैलेन्डुला खुली धूप पसंद करता है. दिसम्बर से लेकर फरवरी - मार्च तक इसके फूल खिलते हैं. गर्मी की धूपों में ये समाप्त हो जाता है.
कैलेन्डुला स्किन की बड़ी दवा है. कैलेन्डुला के नाम से बाज़ार में जाने कितनी क्रीमें, मरहम, लोशन और अन्य सौंदर्य उत्पाद उपलब्ध हैं. कैलेन्डुला में स्किन के घावों को तेज़ी से भरने की शक्ति है. ये स्किन को कान्ति या ग्लो प्रदान करता है. जलने, कटने, स्किन पर दाने, मुहासे, खुजली में लाभ करता है. इसके टिंक्चर के इस्तेमाल से घाव से बहता खून रूक जाता है. कैलेन्डुला पीले और गहरे पीले रंग में पाया जाता है. इसके फूल बहुत खूबसूरत होते हैं. इसका स्वाद कुछ कड़वा और कसैला होता है. लेकिन कैलेन्डुला खाया जा सकता है. इसके फूलों का पीला रंग केसर के स्थान पर प्रयोग किया जाता है. अल्कोहल को रंगने, कुछ दवाओं को रंग देने में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
कैलेन्डुला के फूलों का रस, गुलाब के फूलों का रस अल्कोहल और थोड़े पानी में मिलकर फ़्रिज में रखदें. रोज़ाना इस मिक्सचर को चेहरे पर लगाने से मुहासे नहीं निकलते और चेहरा चमकने लगता है.
कैलेन्डुला के फूलों को तेल में पकाकर ये तेल बालों में लगाने से उनकी चमक बढ़ता है. रूसी को समाप्त करता है.
कैलेन्डुला के फूलों को छाया में सुखाकर रखलें. इन फूलों को टी के रूप में 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है. कैलेन्डुला टी महिलाओं में हार्मोन के संतुलन को ठीक रखती है. ये टी पेट के लिए भी फायदेमंद है.
कैलेन्डुला के फूलों के टिंक्चर से गार्गल करने से दांतो के दर्द में और मुंह के छालों में आराम मिलता है. कैलेन्डुला बहुत बड़ी एंटीसेप्टिक औषधि है.
कुछ लोगों को कैलेन्डुला के प्रयोग से एलर्जी हो सकती है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी ये हानिकारक है.
कैलेन्डुला खुली धूप पसंद करता है. दिसम्बर से लेकर फरवरी - मार्च तक इसके फूल खिलते हैं. गर्मी की धूपों में ये समाप्त हो जाता है.
कैलेन्डुला स्किन की बड़ी दवा है. कैलेन्डुला के नाम से बाज़ार में जाने कितनी क्रीमें, मरहम, लोशन और अन्य सौंदर्य उत्पाद उपलब्ध हैं. कैलेन्डुला में स्किन के घावों को तेज़ी से भरने की शक्ति है. ये स्किन को कान्ति या ग्लो प्रदान करता है. जलने, कटने, स्किन पर दाने, मुहासे, खुजली में लाभ करता है. इसके टिंक्चर के इस्तेमाल से घाव से बहता खून रूक जाता है. कैलेन्डुला पीले और गहरे पीले रंग में पाया जाता है. इसके फूल बहुत खूबसूरत होते हैं. इसका स्वाद कुछ कड़वा और कसैला होता है. लेकिन कैलेन्डुला खाया जा सकता है. इसके फूलों का पीला रंग केसर के स्थान पर प्रयोग किया जाता है. अल्कोहल को रंगने, कुछ दवाओं को रंग देने में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
कैलेन्डुला के फूलों का रस, गुलाब के फूलों का रस अल्कोहल और थोड़े पानी में मिलकर फ़्रिज में रखदें. रोज़ाना इस मिक्सचर को चेहरे पर लगाने से मुहासे नहीं निकलते और चेहरा चमकने लगता है.
कैलेन्डुला के फूलों को तेल में पकाकर ये तेल बालों में लगाने से उनकी चमक बढ़ता है. रूसी को समाप्त करता है.
कैलेन्डुला के फूलों को छाया में सुखाकर रखलें. इन फूलों को टी के रूप में 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है. कैलेन्डुला टी महिलाओं में हार्मोन के संतुलन को ठीक रखती है. ये टी पेट के लिए भी फायदेमंद है.
कैलेन्डुला के फूलों के टिंक्चर से गार्गल करने से दांतो के दर्द में और मुंह के छालों में आराम मिलता है. कैलेन्डुला बहुत बड़ी एंटीसेप्टिक औषधि है.
कुछ लोगों को कैलेन्डुला के प्रयोग से एलर्जी हो सकती है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी ये हानिकारक है.