धनिया मसालों में प्रयोग होता है. शायद ही कोई डिश ऐसी हो जिसमें धनिया पाउडर या हरे धनिये का प्रयोग न होता हो. धनिया को सुगंध के लिए प्रयोग किया जाता है. धनिया जाड़ों की फसल है. इसे बरसात ख़त्म होने के बाद बोया जाता है. अक्टूबर से मार्च तक इसकी हरी पत्ती बहुतायत से मिलती है. फिर धनिये में बीज लग जाता है. इसके पौधे सूख जाते हैं. और धनिया के बीज को इकठ्ठा कर लिया जाता है.
धनिया का स्वभाव ठंडा है. खाने में इस्तेमाल होने वाले दुसरे मसाले जैसे हल्दी, तेजपात, काली मिर्च, लाल मिर्च आदि गर्म स्वभाव के हैं. इसका खाने में इस्तेमाल मिर्च से होने वाले नुकसान को बचाता है. धनिया पेट में होने वाले अल्सर से सुरक्षा प्रदान करता है.
गर्मी से होने वाले सर दर्द में धनिये की हरी पत्ती का लेप माथे पर करना बहुत लाभकारी है. जिन लोगो का मिज़ाज गर्म हो और गर्मी के कारन वे परेशान रहते हों, उनके लिए धनिये की पत्ती पानी में घोटकर पिलाने से गर्मी से जनित रोगों से निजात दिलाती है.
जब धनिये की पत्ती उपलब्ध न हो तो सूखा धनिया पाउडर भी यही लाभ करता है.
धनिया का स्वभाव ठंडा है. खाने में इस्तेमाल होने वाले दुसरे मसाले जैसे हल्दी, तेजपात, काली मिर्च, लाल मिर्च आदि गर्म स्वभाव के हैं. इसका खाने में इस्तेमाल मिर्च से होने वाले नुकसान को बचाता है. धनिया पेट में होने वाले अल्सर से सुरक्षा प्रदान करता है.
गर्मी से होने वाले सर दर्द में धनिये की हरी पत्ती का लेप माथे पर करना बहुत लाभकारी है. जिन लोगो का मिज़ाज गर्म हो और गर्मी के कारन वे परेशान रहते हों, उनके लिए धनिये की पत्ती पानी में घोटकर पिलाने से गर्मी से जनित रोगों से निजात दिलाती है.
जब धनिये की पत्ती उपलब्ध न हो तो सूखा धनिया पाउडर भी यही लाभ करता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें