नारियल भारत के दक्षिणी भाग का एक मुख्य वृक्ष है. दक्षिण में नारियल और उत्तर में आम बहुतायत से पाया जाता है. नारियल के फल को ही नारियल कहते हैं. इसे गोला, गोलागरी, खोपरा, कोपरा आदि नामों से भी जाना जाता है. कोपरा अंग्रेजी भाषा का शब्द है जिससे बिगड़कर खोपरा बना है.
कच्चे नारियल में पानी होता है जिसे गर्मी के ड्रिंक के रूप में पिया जाता है. नारियल पर तीन आवरण होते हैं. पहला चिकना छिलका, इसके अंदर नारियल की जटा जो रेशेदार होती है. उसके बाद लकड़ी जैसा सख्त छिलका और उसके अंदर नारियल की गिरी या गूदा होता है. इस गिरी के अंदर पानी भरा होता है जिसका स्वाद मीठा होता है.
सूखे नारियल का प्रयोग मेवे के रूप में किया जाता है. इसमें बहुत अच्छी मात्रा में तेल होता है. नारियल का तेल खाने और लगाने के काम आता है.
दवाई के रूप में नारियल दिमाग को ताकत देता है. पेट के रोगों के लिए फायदेमंद है. जहां आंतों में खुश्की हो वहां नारियल के साथ मिश्री खाना बहुत फायदा करता है. कच्चे नारियल का इस्तेमाल एसिडिटी में फायदा करता है. दक्षिण के लोगों को जो नित्य खाने में किसी न किसी रूप में नारियल इस्तेमाल करते हैं एसिडिटी की प्रॉब्लम नहीं होती.
जिनके दिमाग में खुश्की हो, नींद न आती हो, भूलने की बीमारी हो वे अगर वैसे ही नित्य एक से दो इंच के नारियल का टुकड़ा रोज़ सुबह शाम खाएं, या फिर नारियल का हलवा अन्य मेवों जैसे बादाम, काजू आदि के साथ बनाकर खाएं तो इस बीमारी से छुटकारा मिल जाता है.
चावल से बनी कोई भी डिश खाने के बाद नारियल खाने से चावल आसानी से हज़म हो जाता है.
नारियल और सौंफ का इस्तेमाल खाना खाने के बाद एसिडिटी नहीं होने देता और ये प्रयोग आँखों की जनरल सेहत के लिए भी उपयोगी है.
नारियल के तेल की मालिश करने से शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़तीं और बुढ़ापे का असर जल्दी नहीं होता.
खुजली में नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से लाभ होता है.
नारियल का स्वाभाव ठंडा और तर है. जिन लोगों का मिज़ाज ठंडा है उनके लिए नारियल का प्रयोग सावधानी से ही उचित है.
कई लोगों को सर में नारियल का तेल डालने से नज़ला ज़ुकाम हो जाता है. ऐसे लोगों को नारियल के प्रयोग से बचना चाहिए.
दवाओं में नारियल का प्रयोग करने के लिए अन्य गर्म दवाएं मिलाकर नारियल के सवभाव को समरूप कर लिया जाता है.
नारियल बहुआयामी पौधा है. व्यापारिक तौर पर इसका बड़ा महत्त्व है. घर की छत में छप्पपर छाने के लिए नारियल के पत्तों का इस्तेमाल होता है. इसका छिलका जलाने के काम आता है. जटा से रस्सी, आदि बनायीं जाती है. खेती बागबानी के लिए कोकोपीट, नारियल का तेल, उसका बुरादा, नारियल की खली सब बड़े व्यापारिक महत्त्व की चीज़ें हैं.
नारियल ऐसा पौधा है जिसका सामाजिक जीवन और व्यापार में बहुत महत्त्व है.
कच्चे नारियल में पानी होता है जिसे गर्मी के ड्रिंक के रूप में पिया जाता है. नारियल पर तीन आवरण होते हैं. पहला चिकना छिलका, इसके अंदर नारियल की जटा जो रेशेदार होती है. उसके बाद लकड़ी जैसा सख्त छिलका और उसके अंदर नारियल की गिरी या गूदा होता है. इस गिरी के अंदर पानी भरा होता है जिसका स्वाद मीठा होता है.
सूखे नारियल का प्रयोग मेवे के रूप में किया जाता है. इसमें बहुत अच्छी मात्रा में तेल होता है. नारियल का तेल खाने और लगाने के काम आता है.
दवाई के रूप में नारियल दिमाग को ताकत देता है. पेट के रोगों के लिए फायदेमंद है. जहां आंतों में खुश्की हो वहां नारियल के साथ मिश्री खाना बहुत फायदा करता है. कच्चे नारियल का इस्तेमाल एसिडिटी में फायदा करता है. दक्षिण के लोगों को जो नित्य खाने में किसी न किसी रूप में नारियल इस्तेमाल करते हैं एसिडिटी की प्रॉब्लम नहीं होती.
जिनके दिमाग में खुश्की हो, नींद न आती हो, भूलने की बीमारी हो वे अगर वैसे ही नित्य एक से दो इंच के नारियल का टुकड़ा रोज़ सुबह शाम खाएं, या फिर नारियल का हलवा अन्य मेवों जैसे बादाम, काजू आदि के साथ बनाकर खाएं तो इस बीमारी से छुटकारा मिल जाता है.
चावल से बनी कोई भी डिश खाने के बाद नारियल खाने से चावल आसानी से हज़म हो जाता है.
नारियल और सौंफ का इस्तेमाल खाना खाने के बाद एसिडिटी नहीं होने देता और ये प्रयोग आँखों की जनरल सेहत के लिए भी उपयोगी है.
नारियल के तेल की मालिश करने से शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़तीं और बुढ़ापे का असर जल्दी नहीं होता.
खुजली में नारियल के तेल में कपूर मिलाकर लगाने से लाभ होता है.
नारियल का स्वाभाव ठंडा और तर है. जिन लोगों का मिज़ाज ठंडा है उनके लिए नारियल का प्रयोग सावधानी से ही उचित है.
कई लोगों को सर में नारियल का तेल डालने से नज़ला ज़ुकाम हो जाता है. ऐसे लोगों को नारियल के प्रयोग से बचना चाहिए.
दवाओं में नारियल का प्रयोग करने के लिए अन्य गर्म दवाएं मिलाकर नारियल के सवभाव को समरूप कर लिया जाता है.
नारियल बहुआयामी पौधा है. व्यापारिक तौर पर इसका बड़ा महत्त्व है. घर की छत में छप्पपर छाने के लिए नारियल के पत्तों का इस्तेमाल होता है. इसका छिलका जलाने के काम आता है. जटा से रस्सी, आदि बनायीं जाती है. खेती बागबानी के लिए कोकोपीट, नारियल का तेल, उसका बुरादा, नारियल की खली सब बड़े व्यापारिक महत्त्व की चीज़ें हैं.
नारियल ऐसा पौधा है जिसका सामाजिक जीवन और व्यापार में बहुत महत्त्व है.
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