शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

हंसराज एक जड़ी बूटी है

हंसराज किसी चिड़िया का नाम नहीं है. हर्ब्स की दुनिया में ये एक जड़ी बूटी है जो गीले  और नमी वाले स्थानों पर उगती है.   इसे छायादार और नमी वाली जगहें पसंद हैं. इसकी पत्तियां बारीक़, छोटी और डंडियां डार्क ब्राउन रंग की होती हैं. पत्तियों का रंग भी गहरा हरा, छोटी दूधी के पत्तों के रंग से मिलता हुआ होता है.
इसको हकीम और आयुर्वेद जानने वाले समान रूप से इस्तेमाल करते हैं. ये नज़ला ज़ुकाम, खांसी के लिए दिए जाने वाले काढ़े या जोशांदे का एक मुख्य अवयव है. पहले इसके स्थान पर गुलबनफ्शा प्रयोग होता था. लेकिन हंसराज के अपने गुण हैं.
इसे हकीम परसियाओशां, शेअर-उल-अर्ज़ या फिर शेअर-उल-जिन्न लिखते हैं. इसे हंसपदी के नाम से भी जाना जाता है.


हंसराज का प्रयोग नज़ला, ज़ुकाम, खांसी में बलगम निकालने के अलावा बुखार को दूर करने में भी किया जाता है. हंसराज एक अच्छा लिवर टॉनिक है. ये लिवर की सेहत को ठीक रखता है. पित्त के प्रवाह को ठीक करता है. पित्ते की पथरी को घुला देता है.
गुर्दे की पथरी में भी हंसराज का काढ़ा अन्य दवाओं के साथ इस्तेमाल करने से गुर्दे की पथरी टूटकर निकल जाती है.
हंसराज बालों को बढ़ाता है. इसका तेल बनाकर लगाने से बाल बढ़ते और मज़बूत होते हैं. ये गंजेपन को ठीक करता है.
हंसराज में सभी वाइटल अंगों को ठीक रखने के गुण हैं. ये चमत्कारी बूटी है. दवा में इसका इस्तेमाल सदियों से किया जा रहा ही. ये दिल की सेहत को भी ठीक रखती है. डायबेटिस से बचाती है. इसके इस्तेमाल से कैंसर नहीं होता.
अजीब बात है की हंसराज जहां सर्दी की बीमारियों में लाभदायक है. कोल्ड और कफ में इसका जोशांदा तुरंत गर्मी देता है. वहीँ दूसरी और यदि गर्मी से सर  में दर्द हो रहा हो तो  इसकी ताज़ी पत्तियों के पेस्ट को माथे पर लेप करने से ठीक हो जाता है.
ये बहुत कमाल  की जड़ी बूटी  है. सही हाथों में चमत्कार दिखाती है.



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Popular Posts

कपूर का वृक्ष Camphora officinarum

 कपूर  को  काफूर  भी कहते हैं।  ये बाजार में सफेद टुकड़ों के रूप में मिलता है. इसकी विशेष गंध होती है जो बहुत तेज़ होती है. कमरे में अगर कपूर ...