रविवार, 30 मई 2021

अनार Pomegranate

अनार एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष है.  ये बीज और कलम दोनों से लगाया जाता है और लगाने के तीन साल में फल देने लगता है. इसमें सुंदर लाल रंग के फूल खिलते है और प्रागण के बाद इन फूलों के पिछले भाग से अनार का फल विकसित होता है. इनके फूलों का पिछला भाग पहले से ही कुछ उभरा हुआ होता है जो अनार के फल में बदल जाता है.

अनार को कैसे उगाएं How to grow Pomegranate ?

ये एक ऐसा पौधा है जो बीज से आसानी से उगाया जा सकता है. पक्के अनार की बीज एक गमले में बो दीजिये और उसे किसी छाया दर स्थान पर रखिये. गमले में हलकी नमी बनी रहे इसके लिए समय समय पर पानी का छिड़काव करते रहें. बरसात के मौसम में अनार के पौधे बहुत आसानी से उगते हैं. अगर आपके घर में ज़मीन में अनार लगाने की जगह नहीं है तो उसे गमले में भी लगाया जा सकता है. इसके लिए 14 इंच का गमला ठीक रहता है. अगर गमला न हो तो प्लास्टिक की बाल्टी का प्रयोग किया जा सकता है. अनार में गमले में भी खूब फल आते हैं. 


 अनार के फल विटामिन और आयरन का स्रोत हैं इसीलिए इसके जूस को रक्त वर्धक माना जाता है. ऐसे लोगों को जो खून की कमी का शिकार हों अनार खाने या अनार का जूस पीने की सलाह दी जाती है. अनार को बीजों समेत खाया जाता है इसमें डाइट्री फाइबर अधिक मात्रा में होता है जो आंतों से मल निकालने की शक्ति को बढ़ाता है. 

अनार दस्तों को बंद कर देता है. ऐसे लोग जो आंतों की कमज़ोरी से दस्तों से परेशान हों  उनके लिए अनार का इस्तेमाल किसी चमत्कार से कम नहीं है. अनार की छिलके में भी यही गुण हैं. 

जिन लोगों को पहले ही कब्ज़ रहता हो उनके लिए अनार का इस्तेमाल कब्ज़ को बढ़ा देता है. इसके लिए अगर अनार के जूस के साथ मौसमी का जूस मिलाकर इस्तेमाल किया जाए तो इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है और ये दोनों जूस एक अच्छे टॉनिक का काम करते हैं. 

अनार दिल की सेहत को दुरुस्त रखता है. ये खून को पतला करता है और खून में थक्का नहीं जमने देता. अनार का नियमित इस्तेमाल सेहत को दुरुस्त रखता है.  

स्किन के लिए अनार के जूस का इस्तेमाल Use of Pomegranate juice for skin

अनार का जूस स्किन को टाइट करने के लिए फायदेमंद है. अनार का जूस निकालने के लिए पके अनार के दानों को किसी साफ कपडे में लेकर निचोड़ लें. (ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया में कहीं भी अनार के जूस में लोहा न लगने पाये जैसे लोहे की छुरी आदि का इस्तेमाल न हो इससे अनार जूस काला पड़ जाता है और स्किन पर भी धब्बे पड़ जाते हैं.) इस जूस को सामान मात्रा में दूध की मलाई के साथ किसी कांच के बर्तन में अच्छी तरह मिक्स करलें. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर एक घंटा छोड़ दें फिर पानी से साफ करलें. इस तरह नियमित इस्तेमाल करने से झुर्रियां मिट जाती हैं. 


रविवार, 23 मई 2021

नीम के तेल के फायदे Benefits of Neem Oil

 नीम का वृक्ष एक बहु उपयोगी वृक्ष है. इसे सब ही अच्छी तरह से जानते पहचानते हैं. इसके फल जिन्हें निमोली कहते हैं तेल का अच्छा स्रोत हैं. नीम का एक सामान्य वृक्ष साल में लगभग 30 से 50 किलो तक फल देता है. ये फल जमा कर लिए जाते हैं और फिर इनकी गुठली को गूदे और छिलके से अलग कर धोकर सुखा लिया जाता है. अब ये गुठली तेल निकालने के लिए तैयार हो जाती है. 

इन गुठलियों को मशीन के सहायता से दबाकर तेल निकाला जाता है. ये एक गाढ़ा तेल होता है जिसमें नीम के कड़वी गंध आती है और इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. तेल निकालने के बाद जो नीम की खली बचती है वह अच्छी प्राकृतिक खाद के रूप में प्रयोग की जाती है. इसके इस्तेमाल से पौधों में कीड़ा भी नहीं लगता. 


नीम का तेल एंटीसेप्टिक है. ये जर्म्स को समाप्त करता है. फोड़े, फुंसी, घाव पर अकेला ही या फिर किसी अन्य दवा या तेल में साथ मिलकर लगाया जाता है. इसको पानी में मिलकर सर धोने से खुश्की और सर में खुजली, घाव आदि की समस्या दूर होती है. 

शैम्पू के साथ नीम के तेल का प्रयोग कैसे करें? How to use Neem Oil with Shampoo

शैम्पू के साथ नीम के तेल का प्रयोग करने के लिए जितना शैम्पू सर में लगाना हो अलग लेकर उसमें चार पांच बून्द नीम का तेल मिलकर अच्छी तरह मिक्स करलें और फिर उसे सर धोने में प्रयोग करें. इसीसे सर की खुजली, रुसी से छुटकारा मिलता है और बालों को पोषण मिलता है. 

नहाने में नीम के तेल का इस्तेमाल 

नहाने के लिए नीम के तेल का प्रयोग करने के लिए नीम के दस से पंद्रह बून्द तले को थोड़े से गर्म पानी में मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें जिसे तेल पानी में मिल जाए. अब इस पानी को नहाने के पानी में मिलादें और इस्तेमाल करें. 


सोमवार, 17 मई 2021

करंज के पेड़ को सुखचैन भी कहते हैं Karanj, Pongamia pinnata

करंज के पेड़ को सुखचैन का पेड़ भी कहते हैं.  ये एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष है. ये सदैव हरा भरा रहता है. इसकी छाया घनी होती है. इसकी ठंडी छाया में गर्मी से झुलसे राहगीर को जो सुख मिलता है वह अतुल्य है इसीलिए इसे सुखचैन का पेड़ कहा जाता है. 

इसका वैज्ञानिक नाम पोनगामिया पिनाटा Pongamia pinnata है. इसी को  Millettia pinnata भी कहते हैं. आम भाषा में इसे Indian Beech Tree भी कहते हैं. 

इसे बहुत आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं. इन पत्तों पर जगह जगह पर सफ़ेद या क्रीम रंग के सूखे से  निशान पड़े होते हैं. ये इस पौधे की पतियों की एक बीमारी है जो लगभग सभी पौधों पर देखने में आती है. इन धब्बों या निशानों की वजह से इस पौधे की पहचान आसानी से की जा सकती है. अप्रैल और मई माह में इसमें गुच्छों में फूल आते हैं. ये फूल नीले, बैगनी रंग के होते हैं. ये फूल इतनी अधिक मात्रा में खिलते हैं की इसके पेड़ के नीचे इन फूलों की पंखुड़ियां गिरकर एक परत बना लेती हैं. 

इस पेड़ की लकड़ी कच्ची होती है. काटने पर अंदर से पीले रंग की निकलती है. इसे इमारती लकड़ी के रूप में प्रयोग में नहीं लाया जा सकता क्योंकि सूखकर ये फट जाती है और इसमें दरारें पड़ जाती हैं. इसकी लकड़ी ईंधन के काम आती है. इसके फल जो फलियां या पॉड होते हैं छोटे आकार के होते हैं और हर फली में दो मोटे, बड़े आकार के बीज होते हैं जिनमें बहुत तेल होता है. इन बीजों को हाथ से मसलने पर ही हाथों में तेल की चिकनाहट लग जाती है. 

करंज का महत्व Importance of Pongamia Tree

इस पौधे को जानवर नहीं खाते इसलिए इसे सड़कों के किनारे और ऐसी जमीनों में जिन्हें हरा भरा बनाना हो लगाया जाता है. इसे बहुत अधिक पानी के आवश्यकता भी नहीं होती है. पौधा लगाने के एक साल तक इसकी देख भाल और पानी आदि का ध्यान रखने से ये बहुत तेज़ी से बढ़ता है. बहुत जल्दी भूमि हरी भरी हो जाती है और सड़क छायादार हो जाती है. 

इसके बीज तेल का बड़ा स्रोत हैं. बीजों का तेल करंज तेल या pongame oil कहते हैं. ये बाजार में आसानी से मिल जाता है. इसका छोटा पैक शीशी में और वयवसायक रूप में हज़ारों लीटर की मात्रा में मिल जाता है. 

करंज में एंटीसेप्टिक गुण हैं. इसका तेल साबुन बनाने में उपयोग होता है. ये नीम की तरह ही एंटीसेप्टिक है. नीम के तेल के स्थान पर करंज का तेल इस्तेमाल करने से साबुन में नीम की कड़वी गंध नहीं आती और ये साबुत बहुत अच्छा एंटीसेप्टिक और त्वचा के लिए लाभकारी होता है. करंज का तेल दाद, खाज खुजली, एक्ज़िमा, आदि पर लगाया जाता है. ये सर की रुसी और खुश्की को दूर करता है. करंज के तेल के चार पांच बूंदें किसी हेयर ऑयल में मिलाकर  सर में लगाने से सर की खुश्की दूर हो जाती है. 

करंज का तेल जोड़ों के दर्दों में भी फायदा करता है. इसकी मालिश करने से गठिया में भी लाभ हुआ है. 

पुराने ज़माने में करंज के तेल का प्रयोग रौशनी के लिए दीपक आदि जलाने में किया जाता था. चमड़ा उद्योग में चमड़े को सूखने से बचाने के लिए भी इस तेल का उपयोग करते थे. 

इसका तेल लगाने से मच्छर पास नहीं आते. 

करंज का तेल वर्तमान समय में बायो डीज़ल का एक बड़ा स्रोत है. इसे लुब्रिकेंट के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. 

करंज तेल का इस्तेमाल करते समय सावधानी रखें  की ये तेल खाने के काम में नहीं आता. इसमें ज़हरीले गुण होते हैं इसलिए इसे बच्चों के पहुंच से दूर रखें और केवल लगाने में ही प्रयोग करें. यदि इसके लगाने से त्वचा में खुजली, जलन, सूजन आदि लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इसका इस्तेमाल बंद करके किसी अच्छे डाक्टर की सलाह लें. 

घर पर करंज का तेल कैसे निकालें  How to extract Karanj oil at home?

करंज के बीजों में इतना अधिक तेल होता है की इसे थोड़ी मात्रा में घर में भी निकाला जा सकता है. इसके लिए करंज के बीजों के छोटे टुकड़े कर लें और इन्हे किसी मज़बूत कपडे के थैले में भर कर किसी वज़नी चीज़ से दबाकर तेल निकाल लें. इस प्रकार थोड़ा सा तेल निकल आता है. 

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