रविवार, 17 अक्तूबर 2021

कसौंदी या नीग्रो काफी (Negro Coffee)


कसौंदी या नीग्रो काफी  खाली पड़े और निर्जन स्थानों में बहुतायत से उगने वाला पौधा है. इसकी फलियां लम्बी चंद्राकर होती हैं. इसलिए इसे तलवार फली का पौधा भी कहते हैं. इस पौधे में पीले फूल खिलते हैं और अपनी इन विशेषताओं के कारण इसे दूर से पहचाना जा सकता है. 

ये पौधा बरसात में उगता है. सर्दी का मौसम आते आते इसकी फलियां सूख जाती हैं और उनके चटकने से इसके बीज बिखर जाते हैं. बरसात में इन्हीं बीजों से इसके नये पौधे निकलते हैं. 


आयुर्वेदिक और देसी दवाओं में इस पौधे की पत्तियों का प्रयोग बवासीर, जिगर की सूजन घटाने आदि में होता है. इस पौधे को नीग्रो काफी भी कहते हैं. इसके बीजों को भूनकर नीग्रो लोग काफी के रूप में प्रयोग करते हैं. लेकिन ये एक ज़हरीला पौधा है. ज़हरीले और नुकसानदायक पौधों के एक आम पहचान ये है की इन पौधों को जानवर नहीं खाते. 

इस पौधे को हकीम और वैद्य बरसों से दवाओं में प्रयोग कर रहे हैं और कभी इसके दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिले. दवा में पौधे की पत्तियों का प्रयोग किया जाता है. इसके बीज विषाक्त होते हैं और इनके खाने से गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है. उत्तर प्रदेश में ये पौधा अपने विषाक्त प्रभाव के लिए बदनाम है. जंगल में जानवर चराने वाले बच्चे अक्सर भूख में इसके फलियां खा लेते हैं. ये फलियां उन्हें नुकसान करती हैं और कई बच्चों की जान भी जा चुकी है. इसलिए इस पौधे से बच्चों को दूर रखें और कभी भी इसका प्रयोग  बिना किसी काबिल हकीम और वैद्य की सलाह के न करें. बल्कि यदि इसके प्रयोग से बचने में ही भलाई है. 

Disclaimer

The contents of this blog are for informational purpose only and not intended to be a substitute for professional medical advice, diagnosis or suggestion to treat any ailment. Please seek advice of a physician or qualified health provider with any questions you may have regarding treatment of any illness or health condition. Please do not disregard proper medical advice because of something you have read on this blog. 




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