लपेटुआ का वैज्ञानिक नाम यूरेना लोबाटा है. इस पौधे के बीज रोएंदार होते हैं और इस लिए ये किसी भी व्यक्ति या जानवर के आसानी से चिपक जाते हैं और दूर दूर पहुंच जाते हैं. बरसात में इन बीजों से लपेटुआ के नये पौधे निकलते हैं. ये पौधा खेत खलिहानो में और खाली पड़ी ज़मीनो में उगता है.
इसका रेशा मज़बूत होता है. जूट के पौधों की तरह ही इसके रेशे भी निकाले जाते हैं और उनकी रस्सी बनायी जाती है या फिर इन रेशो को बुनकर कैनवास जैसा कपडा बनाया जाता है. ये मालवेसी कुल का पौधा है. इसे अंग्रेजी में सीज़र -वीड, कांगो-जूट, और मडगास्कर-जूट भी कहते हैं.
इसके बीज पानी में भीगकर लेसदार हो जाते हैं. बीजों का ये म्यूसिलेज, या चिपचिपा पदार्थ पेट के रोगों में फ़ायदा करता है.
इसका स्वाभाव गर्म है. इसकी जड़ को पानी में उबालकर पिलाने से शिशु-जन्म आसानी से हो जाता है.
फूलों को सुखाकर रख लिया जाता है. इन फूलो को पानी में पकाकर पीने से खांसी में आराम मिलता है और जमा हुआ बलगम निकल जाता है.
बीजों को पानी में पकाकर पीने से पेट के कीडे मर कर निकल जाते हैं.
इसका रेशा मज़बूत होता है. जूट के पौधों की तरह ही इसके रेशे भी निकाले जाते हैं और उनकी रस्सी बनायी जाती है या फिर इन रेशो को बुनकर कैनवास जैसा कपडा बनाया जाता है. ये मालवेसी कुल का पौधा है. इसे अंग्रेजी में सीज़र -वीड, कांगो-जूट, और मडगास्कर-जूट भी कहते हैं.
इसके बीज पानी में भीगकर लेसदार हो जाते हैं. बीजों का ये म्यूसिलेज, या चिपचिपा पदार्थ पेट के रोगों में फ़ायदा करता है.
इसका स्वाभाव गर्म है. इसकी जड़ को पानी में उबालकर पिलाने से शिशु-जन्म आसानी से हो जाता है.
फूलों को सुखाकर रख लिया जाता है. इन फूलो को पानी में पकाकर पीने से खांसी में आराम मिलता है और जमा हुआ बलगम निकल जाता है.
बीजों को पानी में पकाकर पीने से पेट के कीडे मर कर निकल जाते हैं.
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