यूकेलिप्टस एक सुगंधित वृक्ष है. ये वास्तव में आस्ट्रेलिया का वृक्ष है. इसकी बहुत सी प्रजातियां पायी जाती हैं. 1980 के दशक में जब हरित क्रांति के नाम पर पौधे लगाने का काम भारत में शुरू किया गया तो हर खेत, जंगल और गांव में इसके पौधे बहुतायत से लगाए गए. ये तेज़ी से बढ़ता था और लकड़ी का अच्छा साधन होने की वजह से गरीबो की आय बढ़ाने का काम करता था. लेकिन कुछ समय बाद इसे बदनाम किया जाने लगा कि ये तो दलदली ज़मीनो का पौधा है. ज़मीन से अधिक मात्रा में पानी सोख लेता है. खेत बंजर हो रहे हैं.
यूकेलिप्टस में चिपचिपा सुगंधित तेल पाया जाता है. इसकी पत्तियों से ये तेल निकला जाता है और दवाओं में प्रयोग होता है. इसकी सुगंध लोगों को अच्छी लगती है. कुछ लोग इसे इलाइची जैसी सुगंध समझते हैं.
ये एक नेचुरल माउथ फ्रेशनर है. टूथपेस्ट, माउथ वाश में और मंजन में मिलाया जाता है. ये जीवाणु और फफूंदी नाशक है.
कॉमन कोल्ड और ज़ुकाम में प्रयोग की जाने वाली बाम का ये एक विशेष अव्यव है. सीने और माथे पर लगाने से बाम वाष्पित होती है और इसकी सुगंध नाक से अंदर जाकर सर्दी ज़ुकाम में राहत दिलाती है.
यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल बाजार में उपलब्ध है. इसका प्रयोग किसी तेल जैसे जैतून के तेल में मिलाकर मच्छर दूर रखने के लिए किया जा सकता है. ये तेल हाथ पैर में लगा लेने से मच्छर पास नहीं आते.
मुंह की दुर्गन्ध दूर करने के लिए और दांतो और मसूढ़ों से जीवाणु दूर रखने के लिए माउथ वाश के रूप में एक कप पानी में एक से दो बूंद यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल और एक बूंद पिपरमिंट आयल की ,अच्छी तरह मिलकर माउथ वाश करने से दुर्गन्ध से मुक्ति मिलती है.
घरेलु इस्तेमाल के लिए अगर यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल बनाना हो तो यूकेलिप्टस की पत्तियों को थोड़ा सा कुचलकर कांच के जार में डाल दें और पत्तियों के वज़न से दो गुना जैतून का तेल या तिल का तेल जार में ऊपर से डाल कर अच्छी तरह उसका मुंह बंद करके किसी गर्म कमरे में दो से तीन दिन रखा रहने दें. फिर अच्छी तरह फ़िल्टर कर शीशी में रख लें. इस तेल को मच्छर भगाने, जोड़ो के दर्द, और सर्दी ज़ुकाम में लगाने में प्रयोग कर सकते हैं.
यद् रखे यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल एक बाहरी प्रयोग की दवा है. इसको खाने में कदापि प्रयोग न करे, स्वास्थ्य को गम्भीर हानि हो सकती है.
यूकेलिप्टस में चिपचिपा सुगंधित तेल पाया जाता है. इसकी पत्तियों से ये तेल निकला जाता है और दवाओं में प्रयोग होता है. इसकी सुगंध लोगों को अच्छी लगती है. कुछ लोग इसे इलाइची जैसी सुगंध समझते हैं.
ये एक नेचुरल माउथ फ्रेशनर है. टूथपेस्ट, माउथ वाश में और मंजन में मिलाया जाता है. ये जीवाणु और फफूंदी नाशक है.
कॉमन कोल्ड और ज़ुकाम में प्रयोग की जाने वाली बाम का ये एक विशेष अव्यव है. सीने और माथे पर लगाने से बाम वाष्पित होती है और इसकी सुगंध नाक से अंदर जाकर सर्दी ज़ुकाम में राहत दिलाती है.
यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल बाजार में उपलब्ध है. इसका प्रयोग किसी तेल जैसे जैतून के तेल में मिलाकर मच्छर दूर रखने के लिए किया जा सकता है. ये तेल हाथ पैर में लगा लेने से मच्छर पास नहीं आते.
मुंह की दुर्गन्ध दूर करने के लिए और दांतो और मसूढ़ों से जीवाणु दूर रखने के लिए माउथ वाश के रूप में एक कप पानी में एक से दो बूंद यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल और एक बूंद पिपरमिंट आयल की ,अच्छी तरह मिलकर माउथ वाश करने से दुर्गन्ध से मुक्ति मिलती है.
घरेलु इस्तेमाल के लिए अगर यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल बनाना हो तो यूकेलिप्टस की पत्तियों को थोड़ा सा कुचलकर कांच के जार में डाल दें और पत्तियों के वज़न से दो गुना जैतून का तेल या तिल का तेल जार में ऊपर से डाल कर अच्छी तरह उसका मुंह बंद करके किसी गर्म कमरे में दो से तीन दिन रखा रहने दें. फिर अच्छी तरह फ़िल्टर कर शीशी में रख लें. इस तेल को मच्छर भगाने, जोड़ो के दर्द, और सर्दी ज़ुकाम में लगाने में प्रयोग कर सकते हैं.
यद् रखे यूकेलिप्टस एसेंशियल आयल एक बाहरी प्रयोग की दवा है. इसको खाने में कदापि प्रयोग न करे, स्वास्थ्य को गम्भीर हानि हो सकती है.
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