रत्ती और गुंजा एक बेल के बीज हैं. इस बेल को और इसके बीजों को रत्ती, रतियां, घुंघची, घुमची, गुंजा आदि कहा जाता है. आम तौर से लाल और काले रंग की रत्ती मिलती है. इस बीज का आधे से ज़्यादा भाग लाल होता है और आधे से कुछ कम भाग काला होता है. देखने में ये बीज मोती जैसे लगते हैं.
इन बीजों से सुनार सोना तोलते थे. लाल - काली रत्ती लगभग समान आकार और वज़न की होती है. इसे एक रत्ती भार के बराबर माना जाता
रत्ती के बेल के पत्ते इमली के सामान होते हैं. ये एक पतली और नाज़ुक से बेल होती है. इसके फलने - फूलने का समय बरसात का है. जाड़े आते आते रत्ती के बीज सूख जाते हैं और फलियां चटक जाती हैं. जिनमे से बीज बिखर जाते हैं.
रत्ती की एक वैराइटी सफ़ेद होती है जिसका बहुत थोड़ा सा भाग कला होता है. इसे सफ़ेद रत्ती कहते हैं. एक अन्य प्रकार की रत्ती सफ़ेद और ब्राउन रंग की होती है. ये रत्तियां काली लाल रत्तियों से आकर में बड़ी होती हैं और इस लिए इन्हे सोना तोलने के काम में नहीं लाया जाता.
रत्ती एक बहुत ज़हरीला पौधा है. दवाई के रूप में इसकी पत्तिया, जड़ और बीज का प्रयोग किया जाता है. पत्तियां और जड़ में कम विष होता है. अजीब बात हैं की इसके बीज बहुत विषाक्त होते हैं. इसका प्रयोग केवल लगाने की दवाई के रूप में किया जाता है. लेकिन भूलकर भी ये जड़ी बूटी खुले घाव वाले स्थान पर न लगायी जाय. और इसका प्रयोग केवल काबिल हकीम और वैद्य की निगरानी में ही किया जाए.
किसी खाने की दवा में अगर रत्ती का इस्तेमाल लिखा हो तो ऐसे नुस्खे का प्रयोग भूलकर भी न करें क्योंकि रत्ती या गुंजा खतरनाक ज़हर है.
इन बीजों से सुनार सोना तोलते थे. लाल - काली रत्ती लगभग समान आकार और वज़न की होती है. इसे एक रत्ती भार के बराबर माना जाता
रत्ती के बेल के पत्ते इमली के सामान होते हैं. ये एक पतली और नाज़ुक से बेल होती है. इसके फलने - फूलने का समय बरसात का है. जाड़े आते आते रत्ती के बीज सूख जाते हैं और फलियां चटक जाती हैं. जिनमे से बीज बिखर जाते हैं.
रत्ती की एक वैराइटी सफ़ेद होती है जिसका बहुत थोड़ा सा भाग कला होता है. इसे सफ़ेद रत्ती कहते हैं. एक अन्य प्रकार की रत्ती सफ़ेद और ब्राउन रंग की होती है. ये रत्तियां काली लाल रत्तियों से आकर में बड़ी होती हैं और इस लिए इन्हे सोना तोलने के काम में नहीं लाया जाता.
रत्ती एक बहुत ज़हरीला पौधा है. दवाई के रूप में इसकी पत्तिया, जड़ और बीज का प्रयोग किया जाता है. पत्तियां और जड़ में कम विष होता है. अजीब बात हैं की इसके बीज बहुत विषाक्त होते हैं. इसका प्रयोग केवल लगाने की दवाई के रूप में किया जाता है. लेकिन भूलकर भी ये जड़ी बूटी खुले घाव वाले स्थान पर न लगायी जाय. और इसका प्रयोग केवल काबिल हकीम और वैद्य की निगरानी में ही किया जाए.
किसी खाने की दवा में अगर रत्ती का इस्तेमाल लिखा हो तो ऐसे नुस्खे का प्रयोग भूलकर भी न करें क्योंकि रत्ती या गुंजा खतरनाक ज़हर है.