कुसुम एक सुंदर पौधा है जिसकी खेती इसके बीजों के लिए मुख्य रूप से की जाती है. कुसुम के फूल भी पीला / लाल रंग बनाने के लिए प्रयोग होते हैं. ये कुदरती लाल और पीला रंग देता है जिसे खाने और कपडे आदि रंगने में बरसों से प्रयोग किया जा रहा है.
कुसुम को कड़ भी कहते हैं. कुछ स्थानों पर इसे कुसुम्भ, कुसमा भी कहा जाता है. हकीम इसे कर्तुम कहते हैं और इसे बीजों को तुख्मे कर्तुम के नाम से दवाओं में प्रयोग करते हैं.
तुख्मे कर्तुम या कड़ के बीज सफ़ेद रंग के बीज होते हैं जो सूरजमुखी के बीजों से मिलते जुलते होते हैं. दोनों में फर्क ये है की सूरजमुखी के बीज काले रंग के होते हैं जबकि कुसुम के बीज सफ़ेद होते हैं. इसके आलावा सूरजमुखी की बीज कुछ चपटापन लिए होते हैं जबकि कुसुम के बीज कुछ उभरे हुए से होते हैं. इन बीजों से तेल निकला जाता है जो रंगहीन और गंधहीन होने के कारन न केवल खाने के काम में बल्कि सकमेटिक बनाने, क्रीम और दवाओं के रूप में प्रयोग होता है.
कुसुम के पौधे को अधिक पानी की ज़रूरत नहीं होती इसलिए ये शुष्क ज़मीनों के लिए अच्छी फसल है. इसके किसान को लाभ होता है. रंग के कारण इसे नकली केसर भी कहा जाता है.
कुसुम का स्वभाव गर्म है. इसके बीजों को हकीम काढ़े के रूप में अन्य दवाओं के साथ मिलकर महिलाओं के रोगों में देते हैं. ऐसे महिलाएं जो मासिक धर्म की खराबियों, समय से मासिक न होना आदि से ग्रसित है कुसुम के बीजों का काढ़ा लाभ करता है.
कुसुम का तेल त्वचा के लिए एक अच्छी क्रीम का काम करता है. इसके इस्तेमाल से त्वचा कांतिमय बनी रहती है. त्वचा की खुश्की और यदि सर में लगाया जाए तो रुसी भी ख़त्म हो जाती है. एड़ियों में मधुमखी के असली मोम के साथ मिलकर लगाने से एड़ियों का फटना रुक जाता है.