सोमवार, 1 नवंबर 2021

शिवलिंगी

शिवलिंगी एक बेल है जो पौधों और आस पास की चीज़ों पर चढ़ती है.  ये बेल बरसात में उगती है और जाड़े का मौसम आते आते इसके फल पक जाते हैं. 

इस बेल के पत्ते किनारों से कटे होते हैं और इसमें छोटे सफेद फूल खिलते हैं. इसको अपने फलों की सहायता से आसानी से पहचाना जा सकता है. इसके फल  गोल होते हैं. हरे फलों पर सफ़ेद धारियां पड़ी होते हैं. ये धारियां भी कटी फटी होती हैं जैसे किसी पेंटर ने सुंदर आकृति बनाई हो. इनके फलों का आकार गोल और उनका व्यास लगभग 2 से 2 1 /2 सेंटीमीटर होता है. इसके फल पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं इन पर पड़ी सफ़ेद धारियां बहुत सुंदर लगती हैं. ऐसी लाल फलों वाली बेल को आप आसानी से पहचान सकते हैं. फल पकने पर चटक जाते है और शिवलिंगी के बीज गिर जाते हैं. अगर आप को इसके बीज इकठ्ठा करना हों तो पके फलों को सूखने और चटकने से पहले तोड़कर छाया में सुखाकर इसके बीज निकाल लें. 


इसके अंदर से जो बीज निकलते  हैं  इन बीजों के कारण ही इसे शिवलिंगी कहते हैं. इन बीजों की आकृति शिवलिंग के सामान होती है. फलों से गीले बीज निकालने पर ये चिपचिपे से पदार्थ से युक्त होते हैं. बीज सूखने पर ये चिपचिपा पदार्थ भी सूख जाता है और बीजों में जज़्ब हो जाता है. 

शिवलिंगी आयुर्वेद की बहुत महत्वपूर्ण दवा है. हकीम लोग शिवलिंगी की बारे में नहीं जानते थे और इसलिए इसका प्रयोग उनके नुस्खों में नहीं मिलता. ये दवा संतान प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है. ये भी कहा जाता है की इसके प्रयोग से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. गर्भधारण के लिए भी प्रयोग की जाती है, इसके अतिरिक्त गर्भ को क्षय होने से रोकने के लिए भी इसके बीजों का प्रयोग किया जाता है. 

शिवलिंगी की जड़ का प्रयोग बुखार उतारने के लिए भी किया जाता है. ये बेल जंगलों में बहुतायत से मिल जाती है. बीजों से भी से आसानी से उगाया जा सकता है. 

इसके बीज भी ढूंढ़ने की ज़रुरत नहीं है. अगर आप इसके बीजों को नहीं पहचानते हैं तो मार्केट में भी इसके बीज देसी दवा बेचने वाली दुकानों से आसानी से मिल सकते हैं. इसके आलावा ऑनलाइन भी मंगाए जा सकते हैं. 


गर्भधारण के तीसरे माह से इसका एक बीज काली गाय के दूध से प्रतिदिन नियमित सेवन करने से कहा जाता है की गर्भ सुरक्षित रहता है और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. लेकिन ये केवल एक प्रयोग है. 

शिवलिंगी के बीजों के प्रयोग से टेस्टेस्टेरॉन का लेवल बढ़ता है. ये परुषों के अस्वाद को दूर करती है और बेहतर कामोद्दीपक का कार्य करती है. 

शिवलिंगी एक बहुत कारगर दवा है, लेकिन इसका प्रयोग केवल वैद्य की निगरानी में ही करें. 

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