नागफनी एक कांटेदार पौधा है. ये कैक्टस पौधों के परिवार से सम्बन्ध रखता है. खली पड़े स्थानों और बंजर और सूखी जगहों पर पाया जाता है. इसे बाग - बगीचों के बाढ़ के तौर पर भी लगाया जाता है.
इसके तने पर जो पत्तियों के आकर का दिखाई देता है गुच्छो में कांटे होते हैं. कुछ कांटे बड़े बड़े और कुछ कांटे बहुत बारीक़ होते हैं जो शरीर में चुभ कर घाव पैदा कर देते हैं. अकाल के ज़माने में जब खाने को कुछ नहीं रहता था लोग इसके फलों को खाकर पेट भरते थे.
नागफनी स्वभाव से गर्म और खुश्क है. शरीर की चोट और सूजन में इसके पत्तों को कांटे दूर करके, बीच में से फाड़ कर उसमे हल्दी का पाउडर छिड़क कर और थोड़े सरसों के तेल के साथ गर्म करके बांधने से न सिर्फ गुम चोट का दर्द ठीक हो जाता है बल्कि अर्थराइटिस के कारण आयी जोड़ो की सूजन और दर्द में भी आराम मिलता है.
इसके फल पक कर गहरे बैंगनी रंग के हो जाते हैं. इनका मज़ा मीठा हो जाता है. इन फलों का रस शकर के साथ पकाकर, सीरप की तरह इस्तेमाल करने से पुरानी खांसी और अस्थमा के रोग में लाभ मिलता है.
कुछ लोगों को नागफ़नी के पौधे के अंशों को अंदरूनी इस्तेमाल से जी मिचलाना, उलटी होना और अन्य प्रकार के साइड इफेक्ट हो सकते हैं. इसलिए इसका अंदरूनी इस्तेमाल किसी काबिल हकीम या वैध की देख रेख और सलाह से ही करना चाहिए.
इसके तने पर जो पत्तियों के आकर का दिखाई देता है गुच्छो में कांटे होते हैं. कुछ कांटे बड़े बड़े और कुछ कांटे बहुत बारीक़ होते हैं जो शरीर में चुभ कर घाव पैदा कर देते हैं. अकाल के ज़माने में जब खाने को कुछ नहीं रहता था लोग इसके फलों को खाकर पेट भरते थे.
नागफनी स्वभाव से गर्म और खुश्क है. शरीर की चोट और सूजन में इसके पत्तों को कांटे दूर करके, बीच में से फाड़ कर उसमे हल्दी का पाउडर छिड़क कर और थोड़े सरसों के तेल के साथ गर्म करके बांधने से न सिर्फ गुम चोट का दर्द ठीक हो जाता है बल्कि अर्थराइटिस के कारण आयी जोड़ो की सूजन और दर्द में भी आराम मिलता है.
इसके फल पक कर गहरे बैंगनी रंग के हो जाते हैं. इनका मज़ा मीठा हो जाता है. इन फलों का रस शकर के साथ पकाकर, सीरप की तरह इस्तेमाल करने से पुरानी खांसी और अस्थमा के रोग में लाभ मिलता है.
कुछ लोगों को नागफ़नी के पौधे के अंशों को अंदरूनी इस्तेमाल से जी मिचलाना, उलटी होना और अन्य प्रकार के साइड इफेक्ट हो सकते हैं. इसलिए इसका अंदरूनी इस्तेमाल किसी काबिल हकीम या वैध की देख रेख और सलाह से ही करना चाहिए.