आम की गुठली जिसे आम का बीज भी कहते हैं आम का पौधा बहुत आसानी से जमाया जा सकता है. घूरे कूड़े पर पड़ी आम की गुठलियां बरसात का पानी पाकर उनसे पौधे निकलते हैं. लेकिन उचित देख रेख न मिलने या फिर बरसात के बाद पानी न मिलने से सूख जाते हैं.
आम की गुठली मोटी और सख्त होती है. बीज को जमने के लिए इतने पानी की ज़रूरत होती है जिससे अंदर का बीज फूल जाए, उसमें जड़ निकले और वह बहरी कवर को फाड़कर बाहर निकल सके. इसके लिए कुदरत ने आम के बीज में रेशे बनाए हैं जो पानी सोख लेते हैं और गुठली नरम हो जाती है. आम के बीज को जमने के लिए 25 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान की ज़रूरत होती है. इसके अलावा इसे गर्म और नम मौसम चाहिए. उत्तरी भारत में ये सभी आवश्यकताएं बरसात के मौसम में आसानी से पूरी हो जाती हैं इसलिए आम के बीज आसानी से फूट जाते हैं और इनसे नए पौधे निकलते हैं.
आम की गुठली को एक गमले में बगीचे की मिटटी में लगा दीजिये. इसे हल्का पानी दीजिये जिससे इसमें नमी बनी रहे. गुठली से सबसे पहले जड़ निकलती है. जड़ एक छोटे छेद से निकलती है जहाँ पुर कुदरत ने गुठली को थोड़ा सा कमज़ोर रखा होता है. जड़ पानी लेकर अंदर के बीज को देती है जिससे बीज फूल जाता है और उसके फूलने से गुठली फट जाती है. अब इस गुठली से नन्ही छोटी पत्तियां निकलती हैं जिनका रंग बैगनी होता है. ये आम में मौजूद टैनिक एसिड और गैलिक एसिड की वजह से होता है.
गुठली पर धुप पड़ने से वह भी हरे रंग में बदल जाती है और क्लोरोफिल के कारण कुछ भोजन बनाकर नयी पत्तियों को देती है. गुठली में भी इस नये पौधे के लिए भोजन पहले ही मौजूद होता है. लेकिन कुदरत इसका पोषण दो तरह से करती है.
गुठली से पौधा दो सप्ताह में निकल आता है. दो सप्ताह के पौधे का फोटो ये है.
पौधा धीरे धीरे डेवलप होता है. इसकी पत्तियां अभी हरी नहीं होतीं. अगले एक सप्ताह के बाद पौधा कुछ इस तरह का लगता है.
अगले एक सो दो सप्ताह में पौधा लम्बाई में बढ़ जाता है. इसके पत्ते भी बड़े हो जाते हैं और जड़ गहराई में पहुंच जाती है. चार सप्ताह के पौधे का चित्र ये है:
पांच से छः सप्ताह में पौधे की पत्तियां और बड़ी हो जाती हैं. इस पौधे का चित्र ये हैं:
आम का नया पौधा सितंबर तक बढ़ता है. लेकिन ये एक डेढ़ फुट से ज़्यादा नहीं बढ़ता. अब क्योंकि पतझड़ का मौसम आ जाता है और आम के पौधे सुप्तावस्था में चले जाते हैं.
इन नये पौधों को सर्दी के मौसम में सर्दी और पाले की मार से बचाना ज़रूरी है. नहीं तो पौधा मर जाता है. फरवरी में ये पौधे फिर जागते हैं और इनमें नयी पत्तियां निकलती हैं.
दो या तीन वर्ष के पौधों को नयी जगह पर लगाया जा सकता है. बीज से बने आम के पौधे में फल आने में सात से दस वर्ष लगते हैं.
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