शनिवार, 21 दिसंबर 2019

शर्मीला पौधा छुईमुई

 छुईमुई ऐसा पौधा है जो छूने से कुम्ल्हा जाता है. इसकी पत्तियां हाथ लगने, हवा चलने या किसी भी बहरी प्रभाव से बंद होकर सिमट जाती हैं. इसीलिए इसे छुईमुई, लाजवंती, लज्जावती, लजालू, टच मी नाट के नाम से भी जाना जाता है. इसका साइंटिफिक नेम मिमोसा पुडिका है.
ये पौधा खाली पड़े स्थानों, सड़को के किनारे उगता है और  में भी लगाया जाता है. ये ज़मीन पर बेल की तरह फैलता है. इसकी पत्तियां इमली या बबूल से मिलती जुलती होती हैं. लेकिन पत्तियों का आकार छोटा होता है. इसमें प्याज़ी रंग का छोटा सा गोल फूल खिलता है जिसकी पंखुड़ियां बारीक़ धागों जैसी होती हैं. इसमें छोटी फली लगती है जिसमें बारीक़ बीज भरे होते हैं.
ये पौधा लम्बे समय से दवाई के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. इसकी पत्तियों का पेस्ट बनाकर गर्म करके फोड़े पर बांधने से पुल्टिस का काम करता है और फोड़े जल्दी पककर फूट जाता है. इसकी पत्तियों का यही पेस्ट घाव को भरने का काम भी करता है.
छुईमुई में खून के बहाव को रोकने का गुण  है. इसे पाइल्स के खून को रोकने और सूजन घटाने में प्रयोग किया जाता है. इसके लिए इसकी जड़ का चूर्ण 3 से 6 ग्राम की मात्रा में घी के साथ सुबह शाम लेने से आराम मिलता है. स्थानीय तौर पर इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से भी पाइल्स के दर्द और खून आने में फ़ायदा होता है.
अजीब बात है कि छुईमुई की सूखी पत्तियों को अगर तकिये में भर दिया जाए तो उस तकिये के इस्तेमाल से अच्छी नींद आती है और उन लोगों  के लिए अच्छा है जो नींद न आने की बीमारी से ग्रसित है या वो बच्चे जो रातों में ठीक से सो नहीं पाते.
इसकी जड़ को पानी में उबालकर कुल्ला करने से दांतो के दर्द और मसूढ़ों की सूजन में लाभ मिलता है.
कहते है कि छुईमुई में सांप के ज़हर को दूर करने का गुण है. जंगल में अगर सांप काट ले तो इसकी पत्तियों को खाने से और पत्तियों को चबाकर घाव पर लगाने से ज़हर का प्रभाव दूर हो जाता है.

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