गुले-लाला को गार्डन पॉपी कहते हैं. इस पौधे की पत्तियां पॉपी या अफीम के पौधे से मिलती जुलती होती हैं. इसमें पॉपी की तरह ही फूल खिलता है. गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूल का रंग आम तौर से लाल रंग का होता है. लेकिन लाल रंग के अलावा इसके अन्य रंगों जैसे पीले और सफ़ेद रंग के फूल भी पाये जाते हैं. दवाओं और जड़ी बूटी के रूप में पुराने समय से लाल रंग के गुले लाला का प्रयोग ही किया जाता है.
गार्डन पॉपी एक सीज़नल हर्ब है. इसके पौधे सर्दियों में लगाए जाते हैं. इसके फूल आखिर जनवरी से मार्च महीने तक खिलते हैं. अजीब बात है की इसकी कलियां नीचे की ओर झुकी हुई होती हैं और फूल खिलने पर फूल ऊपर की तरफ मुंह कर लेता हैं.
गार्डन पॉपी के फूल के बीच में गहरे रंग का स्पॉट होता है. शायरों ने गुले लाला को बहार के मौसम का पौधा माना है. इसके फूल बहार आने का संकेत देते हैं.
गार्डन पॉपी के लाल रंग के फूलों की पंखुड़ियों को सुखाकर बहुत पुराने समय से दवाओं को रंग देने के लिए, कफ सीरप और वाइन को लाल रंग का बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है. इस पौधे में दर्द और सूजन को दूर करने की शक्ति है. इसमें पॉपी या अफीम के पौधे की तरह तेज़ नशे वाले अल्कलॉइड नहीं हैं. इसका प्रयोग बच्चों के लिए भी सुरक्षित है. गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूलों का काढ़ा इस्तेमाल करने से नींद न आने की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है.
इसके फूलों का काढ़ा गले की सूजन में राहत देता है. नज़ला, ज़ुकाम, टांसिल, गले की सूजन, खांसी में इसके सूखे फूलो की पत्तियों को तुख्मे खतमी और गुल बनफ्शा के साथ काढ़ा बनाकर इस्तेमाल किया जाता है.
गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूल ही दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं. अजीब बात है की इस पौधे के फूल और बीज ही दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं. इसके अलावा पौधे के अन्य अंगों में ज़हरीले पदार्थ होते हैं जो नुकसान करते हैं.
गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूल ही दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं. अजीब बात है की इस पौधे के फूल और बीज ही दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं. इसके अलावा पौधे के अन्य अंगों में ज़हरीले पदार्थ होते हैं जो नुकसान करते हैं.
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