शुक्रवार, 2 मार्च 2018

बथुआ कमाल का पौधा है

बथुआ रबी की फसल का पौधा है. अक्सर ये गेहूं और आलू की फसल के साथ खर-पतवार के रूप में उगता है. इसे गरीबो का साग भी कहा जाता है. बहुत पुराने समय से इसे सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. इसकी पत्तियों को दाल के साथ, या अकेला ही, या फिर आलू के साथ मिलाकर सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है.
बथुआ का स्वाभाव गर्म है. ये सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है. नज़ला ज़ुकाम और खांसी से बचता है. दाल के साथ सब्ज़ी बनाने पर ये दालों की खुश्की काम कर देता है. इससे दाल ज़्यादा पाचक  बन जाती है और नुकसान नहीं करती.
मार्केटिंग के इस युग में बथुए को बहुत अहमियत दी जा रही है. सोशल फंक्शन और रेस्तरां में इसके पूड़ी पराठे भी परोसे जाते हैं. अब इसे भोज्य पदार्थ के रूप में कई तरह से प्रयोग किया जा रहा है. बथुआ के फायदे देखते हुए अब बाजार में ये ऊंचे दामों बेचा जा रहा है और इसकी खेती भी की जाने लगी है.
इसमें रेचक गुण है, ये पेट को ढीला करता  है.  बथुए में पाए जाने वाले आवशय मिनरल विशेषकर लोहा नया खून बनाने में मदद करता है. बथुए की सब्ज़ी एक सम्पूर्ण भोजन है. इसके रेशे आंतो की सफाई कर देते हैं. जिन लोगों को पुराने कब्ज़ की समस्या है वह अगर बथुए का नियमित इस्तेमाल करें तो कब्ज़ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.
बथुआ ब्लड सर्कुलेशन को बढाता है. जिनका ब्लड प्रेशर काम रहता है उनके लिए अच्छी दवा है. सर्दियों में इसका नियमित इस्तेमाल हार्ट-अटैक  के खतरे से बचाता  है.
जो लोग ल्यूकोडर्मा या सफ़ेद दाग की समस्या से परेशान  हैं उनके लिए बथुआ एक अजीब हर्ब है. बताए गए तरीके से इसका नियमित इस्तेमाल सफ़ेद दाग से जड़ से छुटकारा दिला देता है. ऐसे मरीज़ नियमित 3 से 6 माह तक केवल बथुए की सब्ज़ी हल्का सा नमक और काली मिर्च  डालकर बेसन की रोटी के साथ इस्तेमाल करें. और सफ़ेद दागों पर दिन में तीन बार बथुए के पत्तों को पीसकर उनका लेप लगाएं तो सफ़ेद दागों से छुटकारा मिल जाता है.


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