शनिवार, 18 जून 2016

बढ़ल का फल

बढ़ल एक बड़ा और खुरदुरे पत्तों वाला पेड़  है. इसके दुसरे नाम डहु, डहुआ, ढेयू और लकूचा हैं.  इसके पत्ते बड़े बड़े और रोएँदार होते हैं. इसका फूल मार्च अप्रैल में खिलता है. फूल में दुसरे फूलों की तरह पंखड़ी नहीं होती.  ये एक पाउच जैसा पीले रंग का आवरण होता है. इसपर भी मुलायम रोएँ होते हैं. इसके पत्ते चारे के रूप में जानवरों को खिलाते हैं.

बढ़ल   के पेड़ों  के नीचे ये पीले फूल गिरे पड़े रहते हैं. कुछ लोग इनकी सब्ज़ी बनाकर खाते हैं. फूल का स्वाद खट्टा होता है. इसकी सब्ज़ी खट्टेपन के कारण स्वादिष्ट लगती है. फूल गिरने के बाद इसमें गोल आकर के टेढ़े मेढ़े फल लगते हैं. ये फल कच्चे पर हरे और पककर पीले और ऑरेंज रंग के हो जाते हैं. इनका स्वाद खट्टा मीठा होता है. इनका गूदा बहुत मुलायम और इसमें सफ़ेद रंग के बड़े बड़े बीज बीज झिल्ली में लिपटे हुए रहते  हैं.
बढ़ल के फल जून माह में पाक जाते हैं और पेड़ों से गिरने लगते हैं.

ये फल कभी कभी बाजार में भी मिल जाते हैं. इसे आम फलों की तरह बहुत चाव से नहीं खाया जाता. खट्टा पसंद करने वाले लोग ही इसे खाते हैं. कच्चे फलों की चटनी बनाई जाती है या फिर करी में खट्टे स्वाद के लिए प्रयोग करते हैं.  इसका कच्चा फल बहुत जल्दी कमरे के तापमान पर पकने लगता है. पहले ये पीला पड़ता है फिर गहरा नारंगी रंग लेने लगता है. ये रखे रखे पकता जाता है. इसका पकना रुकता नहीं है.
बढ़ल प्रकृति से गरम होता है. इसका गूदा लीवर को शक्ति देता है. इसका बीज कच्च खाने से कब्ज़ दूर करता और दस्त लाता  है. ये एक दूध वाल पौधा  है।  इसके दूध में भी कब्ज़ को दूर करने के शक्ति है. कच्चा फल खून को ख़राब करता है. भूक मार देता है और पौरुष शक्ति को कम करदेता है.  पक्के फल में  खून को साफ़ करने की छमता है. पेट के इन्फेक्शन को दूर करता है और पौरुष शक्ति को बढ़ाता है.  इसके कच्चे फलों का अचार भी बनाया जाता है जो बहुत स्वादिष्ट होता है. इसके फल को सुखाकर इमली की जगह खट्टेपन के लिए सब्ज़ी करी और दाल में भी प्रयोग करते हैं. इसके फल का इस्तेमाल कुपोषण को दूर करता है. ये ऐसा अजीब फल है जिसका इस्तेमाल बहुत सी बीमारियों से बचाता है.

इसका बीज आग में भूनकर खाने से कब्ज़ करता है लेकिन कच्चा बीन अच्छा परगेटिव /दस्तावर है.
बढ़ल के पेड़ बीज से लगाए जाते हैं. इसके बीज जो पेड़ों के नीचे गिर जाते हैं, बरसात में फूटने लगते हैं. और छोटे छोटे पौधे बन जाते हैं. इसका बीज अगर बना हो तो फल से निकालने के बाद जल्दी ही बो दिया जाए. ज़्यादा दिन रखे रहने से बीजों में जमने के शक्ति जाती रहती है.
क्योंकि ये दूध वाला पौधा है इसलिए इसकी कलम भी लगाई जाती है और बरसात में बहुत जल्दी जड़ पकड़ लेती है.

2 टिप्‍पणियां:

Popular Posts

महल कंघी Actiniopteris Radiata

महल कंघी एक ऐसा पौधा है जो ऊंची दीवारों, चट्टानों की दरारों में उगता है.  ये छोटा सा गुच्छेदार पौधा एक प्रकार का फर्न है. इसकी ऊंचाई 5 से 10...