गुरुवार, 9 जून 2016

शहतूत जंगली

शहतूत जंगली मध्य ऊंचाई का पौध है. ये बीज से उगता है. इसकी लकड़ी बहुत लचीली होती है. छोटी शाखा को एक रिंग की तरह मोड़ा जा सकता है और वो टूटती नहीं है. इसमें ज़्यादातर दो तरह के शहतूत लगते हैं. एक वैराइटी में सफ़ेद और दूसरी में लाल जो पककर काले हो जाते हैं.
जंगली शहतूत छोटे छोटे होते हैं. बागों में बोया जाने वाला शहतूत जिस पर रेशम के कीड़े भी पाले जाते हैं, लम्बा होता है और बहुत मीठा भी होता है. फरवरी माह में पतझड़ के बाद जंगली शहतूत लगने लगते हैं. मार्च अप्रैल में ये पाक जाते हैं. और खाने के काबिल हो जाते हैं. स्वाद कुछ खट्टा कुछ मीठा होता है.
शहतूत जंगली हो या काश्त किया हुआ दोनों के गुण लगभग सामान हैं. शहतूत प्रकृति से ठंडा होता है. इसका सीरप गले के दर्द में आराम पहुंचता है. शहतूत का सेवन त्वचा को चमक  देता है.और  त्वचा से झुर्रियों को दूर करता  है. इसमें ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो एजिंग प्रोसेस पर कंट्रोल करते हैं और असमय बुढ़ापे से बचाते हैं. ये पेट की गर्मी को शांत करता है और एसीडिटी में फायदा पहुंचाता है. इसका रस होटों पर लगाने  से होंटों की नरमी और  सुंदरता बनी रहती है. 

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