सोमवार, 1 अगस्त 2022

आम के बीज से पौधा उगना Mango Seed Germination

आम की गुठली जिसे आम का बीज भी कहते हैं आम का पौधा बहुत आसानी से जमाया जा सकता है. घूरे कूड़े पर पड़ी आम की गुठलियां बरसात का पानी पाकर उनसे पौधे निकलते हैं. लेकिन उचित देख रेख न मिलने या फिर बरसात के बाद पानी न मिलने से सूख जाते हैं.  

आम की गुठली मोटी और सख्त होती है. बीज को जमने के लिए इतने पानी की ज़रूरत होती है जिससे अंदर का बीज फूल जाए, उसमें जड़ निकले और वह बहरी कवर को फाड़कर बाहर निकल सके. इसके लिए कुदरत ने आम के बीज में रेशे बनाए हैं जो पानी सोख लेते हैं और गुठली नरम हो जाती है. आम के बीज को जमने के लिए 25 डिग्री सेल्सियस से 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान की ज़रूरत होती है. इसके अलावा इसे गर्म और नम मौसम चाहिए. उत्तरी भारत में ये सभी आवश्यकताएं बरसात के मौसम में आसानी से पूरी हो जाती हैं इसलिए आम के बीज आसानी से फूट जाते हैं और इनसे नए पौधे निकलते हैं. 

आम की गुठली को एक गमले में बगीचे की मिटटी में लगा दीजिये. इसे हल्का पानी दीजिये जिससे इसमें नमी बनी रहे. गुठली से सबसे पहले जड़ निकलती है. जड़ एक छोटे छेद से निकलती है जहाँ पुर कुदरत ने गुठली को थोड़ा सा कमज़ोर रखा होता है. जड़ पानी लेकर अंदर के बीज को देती है जिससे बीज फूल जाता है और उसके फूलने से गुठली फट जाती है. अब इस गुठली से नन्ही छोटी पत्तियां निकलती हैं जिनका रंग बैगनी होता है. ये आम में मौजूद टैनिक एसिड और गैलिक एसिड की वजह से होता है. 

गुठली पर धुप पड़ने से वह भी हरे रंग में बदल जाती है और क्लोरोफिल के कारण कुछ भोजन बनाकर नयी पत्तियों को देती है. गुठली में भी इस नये पौधे के लिए भोजन पहले ही मौजूद होता है. लेकिन कुदरत इसका पोषण दो तरह से करती है. 

गुठली से पौधा दो सप्ताह में निकल आता है. दो सप्ताह के पौधे का फोटो ये है. 


पौधा धीरे धीरे डेवलप होता है. इसकी पत्तियां अभी हरी नहीं होतीं. अगले एक सप्ताह के बाद पौधा कुछ इस तरह का लगता है. 


अगले एक सो दो सप्ताह में पौधा लम्बाई में बढ़ जाता है. इसके पत्ते भी बड़े हो जाते हैं और जड़ गहराई में पहुंच जाती है. चार सप्ताह के पौधे का चित्र ये है:


पांच से छः सप्ताह में पौधे की पत्तियां और बड़ी हो जाती हैं. इस पौधे का चित्र ये हैं:


आम का नया पौधा सितंबर तक बढ़ता है. लेकिन ये एक डेढ़ फुट से ज़्यादा नहीं बढ़ता. अब क्योंकि पतझड़ का मौसम आ जाता है और आम के पौधे सुप्तावस्था में चले जाते हैं. 

इन नये पौधों को सर्दी के मौसम में सर्दी और पाले की मार से बचाना ज़रूरी है. नहीं तो पौधा मर जाता है. फरवरी में ये पौधे फिर जागते हैं और इनमें नयी पत्तियां निकलती हैं. 

दो या तीन वर्ष के पौधों को नयी जगह पर लगाया जा सकता है. बीज से बने आम के पौधे में फल आने में सात से दस वर्ष लगते हैं. 

बुधवार, 20 जुलाई 2022

लेमन ग्रास और सिट्रोनेला Cymbopogon citratus & Cymbopogon nardus

लेमन ग्रास एक माध्यम ऊंचाई  का पौधा है. घास की तरह ही इसकी पत्तियां जड़ों से निकलती हैं. ये पत्तियां पतली, लम्बी और और नाज़ुक होती हैं इसलिए ये अगले हिस्से में मुड़कर नीचे की तरफ पलट जाती हैं. कुछ बीच में से टूट जाती हैं. इसमें नीबू की खुशबु आती है. इसीलिए इसे लेमन ग्रास या नीबू घास कहते हैं. इसका वनास्पतिक नाम Cymbopogon citratus है. 

लेमन ग्रास कमाल का पौधा है. इसे नरसरी से आसानी से खरीदा जा सकता है. इसे गमले में लगाकर इनडोर भी रख सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि इसे खिड़की के पास की थोड़ी धूप मिलना ज़रूरी है. 

लेमन ग्रास में जीवाणुओं और फफूंद को नष्ट करने के गुण हैं. इसके पास मच्छर और कीड़े मकोड़े नहीं आते. मच्छरों को भगाने के लिए लेमन ग्रास से अधिक प्रभावशाली सिट्रोनेला है. ये भी इसी कुल का पौधा है. इसकी बनावट और इसकी पत्तियां भी लेमन ग्रास की तरह होती हैं. लेकिन सिट्रोनेला के पौधे की पत्तियों के डंठल लाल गुलाबी रंग लिए होते हैं और इसकी गंध बहुत तेज़ होती है. 


लेमन ग्रास की चाय जो थोड़ी पत्तियों को पानी में पकाकर बनायी जाती है शुगर घटाने, मोटापा कम करने और लिपिड घटाने के लिए कारगर है. इस जड़ी बूटी में शोथ या सूजन घटाने के भी गुण हैं. 

लेमन ग्रास का प्रयोग बहुत थोड़ी मात्रा में सलाद में, चटनी में और खाने में किया जाता है. लेकिन कुछ लोगों को इसके प्रयोग से एलर्जी हो सकती है. जी मिचलाना, त्वचा पर दाने निकलना, खुजली, पेट की खराबी, दस्त आदि हो जाते हैं. इसलिए इसका प्रयोग खाने में हितकर नहीं है. 

सिट्रोनेला का वनास्पतिक नाम  Cymbopogon nardus है. ये भी लेमन ग्रास कुल का पौधा है. कुछ लोग लेमन ग्रास को ही सिट्रोनेला समझ लेते हैं. सिट्रोनेला अपने एसेंशियल ऑयल की वजह से मशहूर है. श्री लंका का सिट्रोनेला ऑयल बहुत अच्छा माना जाता है. इसका प्रयोग सुगंध के रूप में, कमरे को सुगन्धित रखने, कपड़ों में, सर दर्द को आराम देने और मूड को फ्रेश रखने के लिए किया जाता है. पानी में डालकर नहाने से दाने खुजली और फफूंद जनक रोग नष्ट हो जाते हैं. 

मच्छरों को दूर रखने के लिए सिट्रोनेला ऑयल, यूक्लिप्टिस ऑयल को  वाइट ऑयल में मिलाकर या फिर नारियल के तेल में मिलाकर लगाने से मच्छर पास नहीं आते. सिट्रोनेला ऑयल मिलाकर मोमबत्ती भी बनायी जाती है जिसको जलाने से मच्छर भागते हैं. 

मार्केट में सिट्रोनेला एसेंशियल ऑयल आसानी से मिल जाता है. लेकिन इसे कदापि खाने में प्रयोग न करें और बच्चों की पहुंच से दूर रखें. 

अजीब बात है की सिट्रोनेला के पौधों को जानवर नहीं खाते. इनका स्वाद गंध और ऑयल की वजह से अच्छा नहीं होता. कहते हैं जानवर चाहे भूखा मर जाए सिट्रोनेला नहीं खाएगा। इसलिए जो लोग बगीचे में जानवरों से परेशान हैं उन्हें किनारों पर सिट्रोनेला लगाना चाहिए. 


मंगलवार, 12 जुलाई 2022

सजावटी पौधे

 बरसात में पौधों को उगाना आसान होता है. घरेलु बगीचों में सुंदरता के लिए पौधे लगाए जाते हैं.  जिन घरों में जगह कम हो वहां छत पर या बालकनी में भी पौधे लगाए जाते हैं. कुछ बेलें ऐसे होती हैं जो किसी कोने, किनारे में भी लग जाती हैं. 

मनी प्लांट 
घरों के लिए ऐसे पौधे अच्छे हैं जिन्हें ज़्यादा देख भाल की ज़रूरत न हो. मनी प्लांट एक ऐसा ही पौधा है जो आसानी से लग जाता है.  मनी प्लांट को Pothos, Epipremnum aureum, Devil's Ivy  भी कहते हैं. ये किसी गमले, किसी बोतल में या फिर ज़मीन में उगाया जा सकता है. इसे लगाना बहुत आसान है. बस इसकी एक छोटी शाखा हासिल कर लीजिए और उसे किसी गमले में लगा दीजिए. बरसात के मौसम में ये बहुत जल्दी जड़ पकड़ लेता है और बेल की तरह बढ़ने लगता है. 

अधिक सुंदर दिखने के लिए इसके गमले में मॉस स्टिक लगाकर इस बेल को उसपर चढ़ा दीजिए. इससे इसके पत्ते बड़े हो जाते हैं क्योंकि इसकी हवाई जड़ें मॉस स्टिक से भी नमी लेती हैं और डबल न्यूट्रीशन से इसके पत्ते खूब बढ़ते हैं. 

यदि इसे किसी बड़े वृक्ष पर चढ़ा दिया जाए तो इसके पत्ते एक से डेढ़ फुट के आकार तक बड़े हो जाते हैं. मैंने अपलने घर में मनी प्लांट को आम के वृक्ष पर चढ़ा रखा था. देखने वाले इसे मनी प्लांट के बजाय कोई और पौधा समझते थे. क्योंकि पत्तों का आकार बहुत बड़ा, बेल बहुत मोटी और रंग बहुत खिलता हुआ था. मनी प्लांट को पोथोस भी कहते हैं. 

सिंगोनियम
बेल की शक्ल में एक खूबसूरत पौधा और है जिसे सिंगोनियम कहते हैं. इसे एरोहेड प्लांट भी कहते हैं. इसके पत्ते तीर की तरह नुकीले होते हैं. ये भी आसानी से लग जाता है. बस इसका एक टुकड़ा काफी है जो गमले में लगा दिया जाए. इसे भी मॉस स्टिक पर चढ़ाना चाहिए. ये पौधा बहुत छोट पत्ते, मीडियम पत्ते और बड़े पत्तों के आकर वाला होता है. जैसे जगह हो वैसा पौधा लगाएं. 

कोलियस

कोलियस ऐसा पौधा है जिसे बरसात में लगाना चाहिए. ये कटिंग से लगाया जाता है. वैसे इसके बीज भी होते हैं लेकिन बीजों से उगना थोड़ा कठिन काम है. इसके पौधों को बरसात में लगाएं. आसानी से लग जाता है. इसके रंग बहुत खूबसूरत होते हैं.

कोलियस के पौधे के आखिरी सिरे पर लम्बे गुच्छो में फूल आते हैं जिनमें बीज बनते हैं. अगर पौधे के खूबसूरती बरकरार रखना है तो इन फूलों को कटर से काटकर अलग करदें. क्योंकि फूलों के आने और बीज बनने से पौधे की पत्तियों में खूबसूरती बाकी नहीं रहती. 

ये पौधा न सिर्फ सुंदर पतियों की वजह से जाना जाता है बल्कि आसानी से लग जाता है. थोड़ा ध्यान रखा जाए तो कोलियस बाजार से एक बार खरीदने  के बाद हमेशा रहता है. कोलियस बहुत से रंगों में उपलब्ध है. इसकी खूबसूरत पत्तियां ही इसकी पहचान हैं. ये साल भर रह सकता है अगर इसकी अच्छी देखभाल  की जाए. इसे अधिक पानी और बहुत देखभाल की आवश्यकता नहीं है. इसके गमले में गोबर की खाद डालने से पौधा अच्छी तरह बढ़ता है. 

अगर इसे लगाकर इसकी अच्छी प्रूनिंग कर पौधा बढ़िया शक्ल में बनाया जाए तो अक्टूबर, नवंबर में इस पौधे पर शबाब होता है. जाड़ों में इसके रंग और खूबसूरत लगते हैं. ये पौधा साल दो साल रह सकता है. लेकिन अच्छे परिणाम के लिए हर साल इसके नए पौधे लगाएं. 

अगावे

अगर आप चाहते हैं की पौधे की कम देख भाल करना पड़े तो सकलेंट किस्म के पौधे लगाएं. इस प्रकार का एक पौधा अगावे है जो कई वैराइटी में मिलता है. इसे कम पानी चाहिए. ज़्यादा पानी में इसकी जड़ें सड़ जाती हैं.


बरसात में इसे वाटर लाग्गिंग से बचाएं. इसकी पत्ती के सिरे पर एक कांटा होता है. इससे भी बचाव रखें. कभी ये गमले की देख भाल करते समय आंख में भी चुभ गया है. बच्चों को भी इससे दूर रखें. 

गुले फानूस 

गुले फानूस एक बहुत खूबसूरत झड़ी नुमा पौधा है. इसे Lagerstroemia Indica, Crepe myrtle भी कहते हैं. इसके फूल फानूस के आकार के होते हैं. ये गुलाबी और सफ़ेद रंग में मिलता है. ये पौधा बीज से उगाया जाता है. इसके पौधे में बहुत बीज लगते हैं जिनसे आसानी से पौधे उग आते हैं. ये अप्रेल, मई में खिलना शुरू हो जाता है और गुच्छेदार फूलों से भर जाता है. इसके फूल सितंबर अक्टूबर तक खिलते रहते हैं. इसे बंगलों के गेट पर लगाने से बहुत सुंदर दृश्य उत्पन्न होता है. 



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