हिन्दी में इसे कुछ लोग मयूर शिखा भी कहते हैं क्योंकि इसके पत्ते कटे किनारीदार होते हैं. लेकिन मयूर शिखा का नाम कन्फूज़न पैदा करता है. मुर्गा केस cocks comb celosia flower को भी मयूर शिखा उसके फूलों की वजह से कहा जाता है.
ऊंची दीवारों और महलों के कंगरों पर उगने के कारण इसका नाम महल कंघी पड़ा है जो उचित है और इसके मिजाज से मिलता है.
इसके पौधे सितंबर अक्तूबर में सूखने लगते हैं और दीवारों पर सूखे गुच्छे से रह जाते हैं. बरसात आने पर नए पौधे पुरानी जड़ों से फूट निकलते हैं.
इसका प्रयोग वर्षों से देसी और घरेलू दवाओं में किया जा रहा है. इस पौधे में घाव को भरने की शक्ति है. इसलिए इसको पीसकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं. ये एक कीटाणुनाशक का कार्य भी करता है.
इसका स्वभाव ठंडा और तर है. इसलिए मुंह के छालों में कत्थे के साथ इसकी पत्तियां चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं. ल्यूकोरिया में इसकी चार पांच पत्तियों को पीसकर दूध के साथ दिन में दो बार लेने से आराम होता है.इसके आलावा भी इस पौधे को बच्चों के पेट के कीड़े मारने के लिए भी प्रयोग किया जाता है. पत्तियों का पेस्ट बनाकर चीनी के साथ बच्चे की आयु के अनुसार दो से चार ग्राम की मात्रा में खिलाया जाता है. ये खुराक दो से तीन दिन तक दी जाती है. इस दौरान ये देखा जाता है की बच्चे का पेट ठीक रहे और उसे कब्ज़ न हो. आवश्यकतानुसार रेचक दवा भी दी जाती है जिससे पेट के कीड़े मरकर बाहर निकल जाते हैं.
जड़ी बूटी कोई भी हो और कितनी ही लाभदायक हो उसका प्रयोग किसी काबिल हकीम ये वैध की निगरानी में ही करें क्योंकि कई बार पौधे को पहचानने में गलतियां हुई हैं और कई बार मरीज के मिजाज से विपरीत होने के कारण गंभीर परिणाम उत्पन्न हुए हैं.
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