मंगलवार, 8 जून 2021

कैसे दिल की सेहत को दुरुस्त रखता है अर्जुन How Arjuna Tree is beneficial for heart ?

अर्जुन एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष है. ये भारत में लगभग सभी जगह पाया जाता है. इसके पत्ते लम्बे आगे से गोलाई लिए अमरुद के पत्तों से मिलते जुलते होते हैं. इसमें अप्रैल, मई में लम्बे शहतूत के आकार के फूल खिलते हैं. फिर इसमें कमरक की तरह के फल लगते हैं. जो सख्त किस्म के होते हैं और इनमने पांच उभार  या पहल होते हैं. अर्जुन को साइंटिफिक भाषा में टर्मिनेलिया अर्जुना कहते हैं. 

फूलों और फलों की सहायता से अर्जुन के वृक्ष की पहचान आसानी से की जा सकती है. 


देसी दवाओं और आयुर्वेद में अर्जुन का बड़ा महत्त्व है क्योंकि ये शरीर के बहुत महत्वपूर्ण अंग दिल की दवा है. जो लोग हाय मेरा दिल से परेशान हैं उनके लिए अर्जुन एक कारगर इलाज है. 

दिल के लिए अक्सर अर्जुन की छाल का काढ़ा जिसे अर्जुन की चाय या अर्जुन टी कहते हैं प्रयोग की जाती है. 

कोरोनरी धमनी रोग या सीएडी हृदय रोग का सबसे आम प्रकार है और हृदय रोग की कारन जितनी मौतें होती हैं उनके लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है. अर्जुन का उपयोग मुख्य रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सा में दिल के रोगों को ठीक  करने के लिए किया जाता है.  इस पौधे के रस  में विभिन्न प्रकार के तत्व  होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं जिससे धमनियों मेंथक्का  बनता है. इसके प्रयोग से स्वस्थ लिपिड प्रोफाइल मेन्टेन रहता है. 

अर्जुन में मौजूद ओलिगोमेरिक प्रोएंथोसायनिडिन और फ्लेवोनोइड्स हृदय की प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट रक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं और शरीर के संवहनी तंत्र को मजबूत करते हैं.  यह सीएडी रोगियों में प्लेटलेट को इकठ्ठा होने से रोकता है. इसके कारण धमनियों में रक्त का प्रवाह ठीक रहता है. 

यह दिल के दर्द को रोकता है. दिल के दर्द को एनजाइना कहते हैं. दिल का दर्द ही दिल के दौरे का मुख्य कारण है. इसका झटका इतना ज़बरदस्त होता है की मरीज़ इसमें कोलैप्स कर जाता है. और जल्दी इलाज न मिले तो उसकी मौत हो सकती है. अर्जुन  रक्तचाप को कम करता है, हृदय की विफलता में कारगर है  है और लिपिड प्रोफाइल में सुधार करता है. 

अर्जुन के लगातार इस्तेमाल से ये एनजाइना की आवृत्ति और गंभीरता को कम किया जा सकता है.  हल्के एनजाइना वाले लोगों में, इस्किमिया के कारण हृदय की मांसपेशियों में जो परिवर्तन आता है अर्जुन के इस्तेमाल से वह ठीक हो सकता है. लेकिन ये सब शुरुआत में ही फायदा करता है. गंभीर दिल के रोगों में अर्जुन या अन्य देसी जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से फायदा नहीं होता. तब डाक्टर की सलाह और इलाज ही कारगर है. 


अर्जुन की छाल के पाउडर को  मूत्रवर्धक के साथ लेने से दिल की विफलता के लक्षणों में सुधार होता है.  अर्जुन की छाल का पाउडर सिस्टोलिक रक्तचाप के स्तर को कम करके पुराने उच्च रक्तचाप के प्रतिकूल प्रभाव से हृदय की रक्षा कर सकता है। अर्जुन  हृदय की सहनशक्ति को बढ़ावा देने में मदद कर सकता  है. 

सामान्यत: चालीस वर्ष या उससे अधिक आयु वाले महिला और पुरुष यदि अर्जुन की छाल के काढ़े का प्रयोग इस प्रकार करें तो दिल की सेहत को कोई खतरा नहीं होता:

अर्जुन के पेड़ से अर्जुन की छाल खुद उतार कर छाया में सूखा लें. अब इसक छल को मोटा मोटा कूट लें और इसमें से दस ग्राम छाल एक ग्लास पानी में भिगो दें. कुछ देर भीगने के बाद इसे आग पर पकाएं की पानी आधा रह जाए. अब इस काढ़े को छान कर चाय की तरह पियें. इस काढ़े का सेवन दिन में एक बार करें और एक सप्ताह के बाद बंद करदें. एक माह में एक सप्ताह पीना काफी है. इससे  दिल की सेहत ठीक रहती है. 


रविवार, 30 मई 2021

अनार Pomegranate

अनार एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष है.  ये बीज और कलम दोनों से लगाया जाता है और लगाने के तीन साल में फल देने लगता है. इसमें सुंदर लाल रंग के फूल खिलते है और प्रागण के बाद इन फूलों के पिछले भाग से अनार का फल विकसित होता है. इनके फूलों का पिछला भाग पहले से ही कुछ उभरा हुआ होता है जो अनार के फल में बदल जाता है.

अनार को कैसे उगाएं How to grow Pomegranate ?

ये एक ऐसा पौधा है जो बीज से आसानी से उगाया जा सकता है. पक्के अनार की बीज एक गमले में बो दीजिये और उसे किसी छाया दर स्थान पर रखिये. गमले में हलकी नमी बनी रहे इसके लिए समय समय पर पानी का छिड़काव करते रहें. बरसात के मौसम में अनार के पौधे बहुत आसानी से उगते हैं. अगर आपके घर में ज़मीन में अनार लगाने की जगह नहीं है तो उसे गमले में भी लगाया जा सकता है. इसके लिए 14 इंच का गमला ठीक रहता है. अगर गमला न हो तो प्लास्टिक की बाल्टी का प्रयोग किया जा सकता है. अनार में गमले में भी खूब फल आते हैं. 


 अनार के फल विटामिन और आयरन का स्रोत हैं इसीलिए इसके जूस को रक्त वर्धक माना जाता है. ऐसे लोगों को जो खून की कमी का शिकार हों अनार खाने या अनार का जूस पीने की सलाह दी जाती है. अनार को बीजों समेत खाया जाता है इसमें डाइट्री फाइबर अधिक मात्रा में होता है जो आंतों से मल निकालने की शक्ति को बढ़ाता है. 

अनार दस्तों को बंद कर देता है. ऐसे लोग जो आंतों की कमज़ोरी से दस्तों से परेशान हों  उनके लिए अनार का इस्तेमाल किसी चमत्कार से कम नहीं है. अनार की छिलके में भी यही गुण हैं. 

जिन लोगों को पहले ही कब्ज़ रहता हो उनके लिए अनार का इस्तेमाल कब्ज़ को बढ़ा देता है. इसके लिए अगर अनार के जूस के साथ मौसमी का जूस मिलाकर इस्तेमाल किया जाए तो इस समस्या से छुटकारा मिल जाता है और ये दोनों जूस एक अच्छे टॉनिक का काम करते हैं. 

अनार दिल की सेहत को दुरुस्त रखता है. ये खून को पतला करता है और खून में थक्का नहीं जमने देता. अनार का नियमित इस्तेमाल सेहत को दुरुस्त रखता है.  

स्किन के लिए अनार के जूस का इस्तेमाल Use of Pomegranate juice for skin

अनार का जूस स्किन को टाइट करने के लिए फायदेमंद है. अनार का जूस निकालने के लिए पके अनार के दानों को किसी साफ कपडे में लेकर निचोड़ लें. (ध्यान रहे कि इस प्रक्रिया में कहीं भी अनार के जूस में लोहा न लगने पाये जैसे लोहे की छुरी आदि का इस्तेमाल न हो इससे अनार जूस काला पड़ जाता है और स्किन पर भी धब्बे पड़ जाते हैं.) इस जूस को सामान मात्रा में दूध की मलाई के साथ किसी कांच के बर्तन में अच्छी तरह मिक्स करलें. इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर एक घंटा छोड़ दें फिर पानी से साफ करलें. इस तरह नियमित इस्तेमाल करने से झुर्रियां मिट जाती हैं. 


रविवार, 23 मई 2021

नीम के तेल के फायदे Benefits of Neem Oil

 नीम का वृक्ष एक बहु उपयोगी वृक्ष है. इसे सब ही अच्छी तरह से जानते पहचानते हैं. इसके फल जिन्हें निमोली कहते हैं तेल का अच्छा स्रोत हैं. नीम का एक सामान्य वृक्ष साल में लगभग 30 से 50 किलो तक फल देता है. ये फल जमा कर लिए जाते हैं और फिर इनकी गुठली को गूदे और छिलके से अलग कर धोकर सुखा लिया जाता है. अब ये गुठली तेल निकालने के लिए तैयार हो जाती है. 

इन गुठलियों को मशीन के सहायता से दबाकर तेल निकाला जाता है. ये एक गाढ़ा तेल होता है जिसमें नीम के कड़वी गंध आती है और इसे आसानी से पहचाना जा सकता है. तेल निकालने के बाद जो नीम की खली बचती है वह अच्छी प्राकृतिक खाद के रूप में प्रयोग की जाती है. इसके इस्तेमाल से पौधों में कीड़ा भी नहीं लगता. 


नीम का तेल एंटीसेप्टिक है. ये जर्म्स को समाप्त करता है. फोड़े, फुंसी, घाव पर अकेला ही या फिर किसी अन्य दवा या तेल में साथ मिलकर लगाया जाता है. इसको पानी में मिलकर सर धोने से खुश्की और सर में खुजली, घाव आदि की समस्या दूर होती है. 

शैम्पू के साथ नीम के तेल का प्रयोग कैसे करें? How to use Neem Oil with Shampoo

शैम्पू के साथ नीम के तेल का प्रयोग करने के लिए जितना शैम्पू सर में लगाना हो अलग लेकर उसमें चार पांच बून्द नीम का तेल मिलकर अच्छी तरह मिक्स करलें और फिर उसे सर धोने में प्रयोग करें. इसीसे सर की खुजली, रुसी से छुटकारा मिलता है और बालों को पोषण मिलता है. 

नहाने में नीम के तेल का इस्तेमाल 

नहाने के लिए नीम के तेल का प्रयोग करने के लिए नीम के दस से पंद्रह बून्द तले को थोड़े से गर्म पानी में मिलाकर अच्छी तरह फेंट लें जिसे तेल पानी में मिल जाए. अब इस पानी को नहाने के पानी में मिलादें और इस्तेमाल करें. 


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