शनिवार, 3 मार्च 2018

गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूल

गुले-लाला को गार्डन पॉपी कहते हैं. इस पौधे की पत्तियां पॉपी या अफीम के पौधे से मिलती जुलती होती हैं. इसमें पॉपी की तरह ही फूल खिलता है. गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूल का रंग आम तौर से लाल रंग का होता है. लेकिन लाल रंग के अलावा इसके अन्य रंगों  जैसे पीले और सफ़ेद रंग  के  फूल भी पाये जाते हैं. दवाओं और जड़ी बूटी के रूप में पुराने समय से लाल रंग के गुले लाला का प्रयोग ही किया जाता है.

गार्डन पॉपी एक सीज़नल हर्ब है. इसके पौधे सर्दियों में लगाए जाते हैं. इसके फूल आखिर  जनवरी से मार्च महीने तक खिलते हैं. अजीब बात है की इसकी कलियां  नीचे की ओर झुकी हुई होती हैं और फूल खिलने पर फूल ऊपर की तरफ मुंह कर लेता हैं. 
गार्डन पॉपी के फूल के बीच में गहरे रंग का स्पॉट होता है. शायरों ने गुले  लाला को बहार के मौसम का पौधा माना है. इसके फूल बहार आने का संकेत देते हैं. 
गार्डन पॉपी के लाल रंग के फूलों की पंखुड़ियों को सुखाकर बहुत पुराने समय से दवाओं को रंग देने के लिए, कफ सीरप और वाइन को लाल रंग का बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है. इस पौधे में दर्द और सूजन को दूर करने की शक्ति है. इसमें पॉपी या अफीम के पौधे की तरह तेज़ नशे वाले अल्कलॉइड नहीं हैं. इसका प्रयोग बच्चों के लिए भी सुरक्षित है. गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूलों का काढ़ा इस्तेमाल करने से नींद न आने की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है. 
इसके फूलों का काढ़ा गले की सूजन में राहत  देता है. नज़ला, ज़ुकाम, टांसिल, गले की सूजन, खांसी में इसके सूखे फूलो की पत्तियों को तुख्मे खतमी और गुल बनफ्शा के साथ काढ़ा बनाकर इस्तेमाल किया जाता है.
गुले लाला या गार्डन पॉपी के फूल ही दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं. अजीब बात है की इस पौधे के  फूल और बीज ही दवा के रूप में प्रयोग किये जाते हैं. इसके अलावा  पौधे के अन्य अंगों में ज़हरीले पदार्थ होते हैं जो नुकसान करते हैं.   

शुक्रवार, 2 मार्च 2018

बथुआ कमाल का पौधा है

बथुआ रबी की फसल का पौधा है. अक्सर ये गेहूं और आलू की फसल के साथ खर-पतवार के रूप में उगता है. इसे गरीबो का साग भी कहा जाता है. बहुत पुराने समय से इसे सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जा रहा है. इसकी पत्तियों को दाल के साथ, या अकेला ही, या फिर आलू के साथ मिलाकर सब्ज़ी के रूप में प्रयोग किया जाता है.
बथुआ का स्वाभाव गर्म है. ये सर्दियों में शरीर को गर्म रखता है. नज़ला ज़ुकाम और खांसी से बचता है. दाल के साथ सब्ज़ी बनाने पर ये दालों की खुश्की काम कर देता है. इससे दाल ज़्यादा पाचक  बन जाती है और नुकसान नहीं करती.
मार्केटिंग के इस युग में बथुए को बहुत अहमियत दी जा रही है. सोशल फंक्शन और रेस्तरां में इसके पूड़ी पराठे भी परोसे जाते हैं. अब इसे भोज्य पदार्थ के रूप में कई तरह से प्रयोग किया जा रहा है. बथुआ के फायदे देखते हुए अब बाजार में ये ऊंचे दामों बेचा जा रहा है और इसकी खेती भी की जाने लगी है.
इसमें रेचक गुण है, ये पेट को ढीला करता  है.  बथुए में पाए जाने वाले आवशय मिनरल विशेषकर लोहा नया खून बनाने में मदद करता है. बथुए की सब्ज़ी एक सम्पूर्ण भोजन है. इसके रेशे आंतो की सफाई कर देते हैं. जिन लोगों को पुराने कब्ज़ की समस्या है वह अगर बथुए का नियमित इस्तेमाल करें तो कब्ज़ की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.
बथुआ ब्लड सर्कुलेशन को बढाता है. जिनका ब्लड प्रेशर काम रहता है उनके लिए अच्छी दवा है. सर्दियों में इसका नियमित इस्तेमाल हार्ट-अटैक  के खतरे से बचाता  है.
जो लोग ल्यूकोडर्मा या सफ़ेद दाग की समस्या से परेशान  हैं उनके लिए बथुआ एक अजीब हर्ब है. बताए गए तरीके से इसका नियमित इस्तेमाल सफ़ेद दाग से जड़ से छुटकारा दिला देता है. ऐसे मरीज़ नियमित 3 से 6 माह तक केवल बथुए की सब्ज़ी हल्का सा नमक और काली मिर्च  डालकर बेसन की रोटी के साथ इस्तेमाल करें. और सफ़ेद दागों पर दिन में तीन बार बथुए के पत्तों को पीसकर उनका लेप लगाएं तो सफ़ेद दागों से छुटकारा मिल जाता है.


रविवार, 18 फ़रवरी 2018

रीठा एक नेचुरल साबुन है

रीठा एक पौधे का गोल फल है. इसे अंग्रेजी में सोपनट कहते हैं.  इसकी ऊपरी सतह सुकड़ी हुई होती है. इसका रंग कला, भूरा और कुछ पीलापन लिए होता है. बाजार में इसका सूखा फल मिलता है और यही प्रयोग किया जाता है.
रीठा एक नेचुरल साबुन है. इसमें बहुत झाग होता है. पानी के साथ मिलकर इसका ऊपरी छिलका झाग बनता है. इसे बहुतायत से बालों को धोने यानि हेयर वाश और शैम्पू की तरह इस्तेमाल किया जाता है. रीठा अकेला या फिर शीकाकाई के साथ मिलकर शैम्पू की तरह इस्तेमाल होता है.
रीठा बालों के रंग को हल्का कर देता है. रीठे से बाल धोने से कुछ दिनों के बाद बाल काले से भूरे पड़ जाते हैं. आजकल भूरे और सुनहरे बालों का चलन है इसके लिए किसी भी अन्य प्रोडक्ट से बालों को सुनहरा और भूरा करने के लिए रीठा सबसे बेहतर दवा है. रीठा उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके बालों में चिपचिपापन रहता हो या जिनके सर की त्वचा तैलीय हो. रीठा इस्तेमाल करने से बाल रूखे हो जाते हैं.
फलों और सब्ज़ियों से पेस्टीसाइड का प्रभाव हटाने के लिए भी इन्हे रीठे के पानी से धोया जाता है. रीठा नेचुरल तरीके से पॉइज़न और टॉक्सिन हटाने का काम करता है. इसलिए सभी फलों और सब्ज़ियों को प्रयोग से पहले रीठे के घोल से धो लेना चाहिए.
सोने - चांदी  के आभूषण साफ़ करने के लिए भी रीठे के घोल का प्रयोग किया जाता है. रीठे का ऊपरी छिलका उतारकर उसे मोटा मोटा कूट लें. फिर उसे पानी मिलकर भिगो दें. छिलका पानी में गल  जाए तो उसके घोल को छान कर उसमे आभूषण डालकर मुलायम ब्रश से साफ़ कर लें.
कम मात्रा में रीठा दवा के रूप में खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. ये शरीर से टॉक्सिन निकाल देता है. इसके प्रभाव से रक्त पतला हो जाता है. रीठा हैमराईड को जड़ से ख़त्म कर देता है.
लेकिन रीठे के अंदरूनी इस्तेमाल से उल्टियां भी आ सकती हैं. इसका अधिक मात्रा में प्रयोग हानिकारक हो सकता है. इसलिए हमेशा ये ज़रूरी है की देसी जड़ी बूटियों और पेड़ पौधों के अंगों का प्रयोग काबिल और समझदार हाकिम या वैद्य के सलाह और देख रेख में ही होना चाहिए. ये लेख केवल आम जानकारी बढ़ने के लिए हैं.
अजीब बात है की यदि किसी को सांप ने काटा हो उसे रीठे का पाउडर 5 - 10 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ पिलाने से उल्टियां आती है और डायरिया हो जाता है. समय समय पर रीठे का इस प्रकार 3  - 4 बार का इस्तेमाल सारे ज़हर को उलटी और दस्त के रस्ते निकल बाहर करता है. लेकिन इसका प्रयोग काबिल हाकिम या वैद्य के देखरेख में होना चाहिए.

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