शनिवार, 20 जनवरी 2018

कैलेन्डुला

कैलेन्डुला वार्षिक पौधा है जो सजावट के लिए बगीचों और घरों  उगाया जाता है. कैलेन्डुला को पॉट मैरीगोल्ड या विलायती गेंदा भी कहते हैं. ये एक बहुत कॉमन पौधा है जो फूलों के शौक़ीन लोगों के गमलों और बगीचों में मिल जाता है.
कैलेन्डुला खुली धूप  पसंद करता है. दिसम्बर से लेकर फरवरी - मार्च तक इसके फूल खिलते हैं. गर्मी की धूपों में ये समाप्त हो जाता है.
कैलेन्डुला स्किन की बड़ी दवा है. कैलेन्डुला के नाम से बाज़ार में जाने कितनी क्रीमें, मरहम, लोशन और अन्य सौंदर्य उत्पाद उपलब्ध हैं. कैलेन्डुला में स्किन के घावों को तेज़ी से भरने की शक्ति है. ये स्किन को कान्ति या ग्लो प्रदान करता है. जलने, कटने, स्किन पर दाने, मुहासे, खुजली में लाभ करता है. इसके टिंक्चर के इस्तेमाल से घाव से बहता खून रूक जाता है. कैलेन्डुला पीले और गहरे पीले रंग में पाया जाता है. इसके फूल बहुत खूबसूरत होते हैं. इसका स्वाद कुछ कड़वा और कसैला होता है. लेकिन कैलेन्डुला खाया जा सकता है. इसके फूलों का पीला रंग केसर के स्थान पर प्रयोग किया जाता है. अल्कोहल को रंगने, कुछ दवाओं को रंग देने में भी इसका प्रयोग किया जाता है.
कैलेन्डुला के फूलों का रस, गुलाब के फूलों का रस अल्कोहल और थोड़े पानी में मिलकर फ़्रिज में रखदें. रोज़ाना इस मिक्सचर को  चेहरे पर लगाने से मुहासे नहीं निकलते और चेहरा चमकने लगता है.
कैलेन्डुला के फूलों को तेल में पकाकर ये तेल बालों में लगाने से उनकी चमक बढ़ता है. रूसी को समाप्त करता है.
कैलेन्डुला के फूलों को छाया में सुखाकर रखलें. इन फूलों को टी के रूप में 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रयोग किया जा सकता है. कैलेन्डुला टी महिलाओं में हार्मोन के संतुलन को ठीक रखती है. ये टी पेट के लिए भी फायदेमंद है.
कैलेन्डुला के फूलों के टिंक्चर से गार्गल करने से दांतो के दर्द में और मुंह के छालों में आराम मिलता है. कैलेन्डुला बहुत बड़ी एंटीसेप्टिक औषधि है.
कुछ लोगों को कैलेन्डुला के प्रयोग से एलर्जी हो सकती है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी ये हानिकारक है. 

शनिवार, 6 जनवरी 2018

सना

सना, या सना-ए  मक्की एक गर्म इलाके में पाया जाने वाला पौधा है. इसके लिए रेगिस्तानी भूमि और शुष्क वातावरण की ज़रुरत होती है. दवाओं में सऊदी अरब के मक्का शहर में पैदा होने की वजह से सना की अच्छी क्वालिटी मक्का की सना या सना-ए मक्की कहलाती है और यही दवाओं में प्रयोग होती है. देसी तौर पर सना को भारत में भी उगाया जाता है और दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है.

सना की पत्तियां ही दवा में इस्तेमाल की जाती हैं. इसकी पत्तियां मेहँदी  की  पत्तियों से मिलती जुलती लेकिन मेहँदी  की पत्तियों से बड़ी होती हैं. सना कब्ज़ दूर करती है. इसका इस्तेमाल रेचक के रूप  में किया जाता है. सना पेट के रोगों के लिए बने चूर्ण में डाली जाती है.
सना आयु को बढाती है. शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ने देती. इसकी पत्तियों के प्रयोग से पहले इसकी डंडियां, बीज वाली फलियां आदि निकल देना चाहिए सना की पत्तियों के डंठल पेट में मरोड़ और दर्द पैदा करते हैं.
सना पेट की गैस में लाभ करती है. सना का इस्तेमाल एक अकेली दवा के रूप में नहीं किया जाता. इसके साथ बराबर मात्रा में सौंफ मिलकर इस्तेमाल की जाती है. अकेली सना पेट में दर्द पैदा कर सकती है.
इस हर्ब की अजीब बात है की सना की केवल ढाई पत्तियां थोड़े पानी में पकाकर काढ़े की तरह रात को पीने से कब्ज़ दूर हो जाता है.

रविवार, 31 दिसंबर 2017

मेहंदी

मेहंदी का दूसरा नाम हिना है. हिना नाम से ये हर्बल हेयर कलर में प्रयोग की जाती है. ये एक झाड़ीनुमा पौधा है. बीज और कटिंग दोनों से नये पौधे लगाए जाते हैं. इसकी पत्तियों को ही श्रंगार के लिए हाथों, पैरों और बालों में लगाने में इस्तेमाल किया जाता है.

मेहंदी की पत्तियां पीसने पर पीलापन लिए लाल रंग देती हैं. यही मेहंदी का विशेष रंग होता है. मेहंदी एक अच्छा ब्लड प्यूरीफायर है. यह खून को साफ़ करती है. स्किन के दाग धब्बे मिटाती है. मेहंदी की ताज़ी पत्तियां 10 ग्राम  ऐसे ही बिना पीसे नीम की  10 ग्राम पत्तियों के साथ  एक ग्लास पानी में  रात को भिगो दी जाती हैं और सुबह वह पानी खली पेट पीने से स्किन के दाग धब्बे, खुजली, जलन दूर हो जाती है. मेहंदी को इस प्रकार इस्तेमाल करने का मौसम अप्रैल से जून के मध्य है. क्योंकि मेहंदी का स्वाभाव ठंडा है. बरसात और जाड़े में मौसम में मेहंदी का अंदरूनी इस्तेमाल नुक्सान करता है. वे लोग जो नज़ला, खांसी के मरीज़ हैं उन्हें मेहंदी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
मेहंदी सौंदर्य प्रसाधन के रूप में बालों में लगाने से न केवल उन्हें बढ़िया रंग देती है बल्कि बालों की कंडीशनिंग भी करती है. मेहंदी बालों पर एक परत चढ़ा देती है जिससे बाल देखने में घने लगने लगते हैं. यह सर को भी ठंडा रखती है. गर्मी से जिनके सर में दर्द रहता हो, हाई ब्लड प्रेशर हो, तो मेहंदी का सर और हाथ पैर में लगाने से लाभ होता है. मेहंदी में मार्च से लेकर मई जून में फूल आते है. इसका फूल सफ़ेद होता है और गुच्छो में खिलता है. फूल भी त्वचा की बीमारियों में लाभकारी है. इसके फूल को छाया में सुखाकर मुंडी बूटी के फूलों के साथ सामान मात्रा में पानी में भिगोकर पीने से त्वचा कांतिमय हो जाती है और खून के खराबी ठीक हो जाती है. लेकिन मेहंदी का स्वाभाव ठंडा है. जो लोग ठन्डे स्वाभाव के हैं, नज़ला, ज़ुकाम, खांसी के मरीज़ हैं, जिनकी सांस फूलती है और जो दमे के बीमारी का शिकार हैं उनके लिए मेहंदी का प्रयोग खतरनाक हो सकता है.

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