बुधवार, 30 जुलाई 2025

दस बजे का फूल, लुनिया जंगली (Portulaca)

 लुनिया जंगली एक छत्तेदार बूटी है जो बरसात में उगती है. यह पोर्टुलका ग्रान्डीफ्लोरा  की एक जंगली वैराइटी है. यह पार्टलेकैसी कुल का पौधा है. आम भाषा में इसे लुनिया कहते हैं. पोर्टुलका ग्रान्डीफ्लोरा के पौधे सुंदरता के लिए घरों में लगाए जाते हैं. इसमें खूबसूरत गुलाब से मिलते जुलते फूल खिलते हैं. इसकी पत्तियां मांसल, लम्बे आकर की होती हैं और यह पौधा घास की तरह ज़मीन पर फैलता है. 


इसे आसानी से कटिंग से लगाया जा सकता है. इसकी शाखा को ज़मीन में लगा देने से वह बहुत जल्दी जड़ पकड़ लेता है और फूल भी जल्दी खिलने लगते हैं. यहां पर लुनिया जंगली का फोटो दिया जा रहा है. इसी प्रकार के पौधे में घनी पंखुड़ियों वाले फूल खिलते हैं. यह जंगली वैराइटी है इसलिए इसके फूल इकहरी पत्ती के और छोटे आकर के हैं. इसे दस बजे का फूल भी कहते हैं क्योंकि यह दिन में दस बजे के लगभग खिलता है. 

 इसी पार्टलेकैसी कुल का दूसरा पौधा  पोर्टुलका ओलेरेसिया है जिसे परसले कहते हैं. आम भाषा में खुरफा का साग के नाम से बाजार में मिलता है. इसके पत्ते भी मांसल लेकिन आगे से नुकीले होने के बजाय गोलाई लिए होते हैं. इसकी जंगली वैराइटी को लोनिया का साग या नोनिया का साग कहते हैं और इसे सब्ज़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं.  बाजार में मिलने वाला खुरफा, या कुल्फ़ा का साग बड़े पत्तों का होता है और जंगली उगने वाला कुल्फ़ा छोटे आकर के पत्तों का होता है. दोनों में पीले फूल खिलते हैं. 

रविवार, 27 जुलाई 2025

अगावे अमेरिकाना Agave Americana/ Century Plant

 अगावे अमेरिकाना एक सजावटी पौधा है.  इसकी बहुत सी प्रजातियां हैं. इसे सेंचुरी प्लांट भी कहते हैं. यह अपने मज़बूत रेशों के लिए जाना जाता है. इसके पत्तों के सिरे पर एक मज़बूत कांटा होता है. कई बार बच्चे खेलते समय और बड़े इसकी देखभाल करते समय अनजाने में इसके कांटो से ज़ख़्मी हो जाते हैं. 

इसकी जड़ से दूसरे नए पौधे निकलते हैं जिन्हे निकालकर अन्य जगहों पर लगाया जा सकता है. ये कम पानी पसंद करता है इसलिए इसे ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं पड़ती. 

घरों में इसके पौधे गमले में भी लगते हैं लेकिन ज़मीन में लगाने पर ये काफी बड़ा हो जाता है. इसके पत्तों को कुचलकर या पानी में सड़ाकर रेशा निकाला  जाता  है जो रस्सी बनाने में काम आता है.  देहात में इस पौधे को राम बांस के नाम से लोग जानते हैं. 


इस पौधे की एक प्रजाति से टकीला बनाई जाती है जो एक मशहूर शराब का ब्रांड है.  इस पौधे के आगावे टकीला ही कहते हैं. 

दवाई गुणों के आधार पर आगावे का गूदा कब्ज़ दूर करने वाला और लैक्सेटिव है. इसके अतिरिक्त यह पेशाब को अधिक मात्रा में लाता है जो इसका डाययुरेटिक गुण है. 

होम्योपैथी में इसे जो दवा बनाई जाती है वह कुत्ता काटने के कारण हुए हलकाव, या पानी से डरने, हाइड्रोफोबिया में प्रयोग की जाती है.

हाइड्रोफोबिया में आगावे को  चाव से खाने  का उदाहरण 

जॉन हेनरी क्लार्क ने होम्योपैथिक मटेरिया मेडिका में हाइड्रोफोबिया का एक केस जो  एल - सिंगलो मेडिको से एच-रिकार्डर द्वारा कोट किया गया है, का उद्धरण किया है.  काटे जाने के साढ़े चार माह बाद एक लड़के को हाइड्रोफोबिया हो गया.  उसे गले से निगलना असम्भव हो गया और उसे नर्सो को अस्पताल में काटने से बचाने के लिए रोकना पड़ता था. डाक्टर ने उसे अस्पताल में उगे आगावे के पत्ते का एक टुकड़ा दिया जिसे लड़के ने बड़े चाव से खाया. वह आगावे को चाव से खता रहा और धीरे धीरे उसका रोग ठीक होता गया. लेकिन उसने आठवें दिन आगावे खाने से मना कर दिया और कहा कि  यह बहुत कड़वा है और मुंह  में जलन डालता है. 








सोमवार, 17 जून 2024

इस बरसात जंगल लगाएं

जंगल कैसे लगाएं 

जंगलों का क्षेत्र तेज़ी से सिमट रहा है. इसलिए ज़रूरी है कि प्रत्येस नागरिक जंगल लगाने की ज़िम्मेदारी ले. ये बहुत आसान है. एक छोटा सा समूह बनाकर ये काम किया जा सकता है. नरसरी से वुडेन पौधे यानि वे पौधे जो लकड़ी वाले हैं और बड़े वृक्ष बन जाते हैं खरीदे जा सकते हैं. 

 

इन पौधों में अमलतास, अर्जुन, बढ़ल, नीम, शीशम, सागौन, जामुन, आम, बहेड़ा, करंज, चिलबिल, कनक चम्पा जिसे मुचकुन्द भी कहते हैं, और बकायन जैसे पौधे लगाए जा सकते हैं. यूकेलिप्टिस जिसे नीलगिरि भी कहते हैं एक समय काफी मात्रा में लगाया गया था लेकिन बाद  में  ज्ञात हुआ कि ये पौधा पानी की अधिक मात्रा चाहता है और इससे भूमिगत जल के स्रोतों को हानि पहुंचती है. इसलिए इसका रोपण बंद कर दिया गया. लेकिन ये पौधा दलदली जमीनों पर अब भी लगाया जाता है. 

बिना पैसा खर्च किये पौधे कैसे लगाएं. 

बिना कोई पैसा खर्च किये भी आप पौधे लगा सकते हैं. इसके लिए बरसात का मौसम सबसे अच्छा है. इसके लिए घर में खाने वाले फलों के बीज या गुठलियां इकठ्ठा कर लें. इन बीजों से आप ये पौधे लगा सकते हैं. : 

इमली :

इमली का वृक्ष बड़ा होता है. बीज से आसानी से पौधे उग आते हैं. बाज़ार से घर में प्रयोग के लिए लायी गयी इमली  के बीज फेंकें नहीं.   दो या तीन बीज गीली मिट्टी में रखकर  मिट्टी का एक लड्डू के आकार का गोला बनाएं और उसे सूखने दें. ध्यान रहे इसे छाया में ही सुखाएं. 

आम :

आम का पौधा बहुत आसानी से उगता है. कूड़े वाले स्थानों पर बरसात में जहां आम की गुठलियां फेंकी जाती हैं आम के पौधे उग आते हैं. बस आप को करना ये है कि इस बार आम खाकर गुठलियां रख लें. 

लीची:

इसका पौधा भी बहुत आसानी से उगता है. इसकी गुठलियां भी संभालकर रखें. 

आड़ू: 

इसका पौधा ज़रा मुश्किल से उगता है. लेकिन गुठली बजाए फेंकने के संभालकर रखें. 

जामुन: 

जामुन का पौधा बहुत जल्दी उगता है. इसकी गुठली भी खाने के बाद सुखाकर रख लें. 

जब बरसात कई दिन होकर ज़मीन अच्छी तरह भीग जाए तो आप इन गुठलियों को ऐसे ही किसी भी खाली स्थान पर फेंक सकते हैं. छोटे बीजों को मिट्टी के लड्डू में रखकर फ़ेंक दें. ये काम ऐसे स्थानों पर करें जहां थोड़ी बहुत घास फूस, झाड़ी आदि हो. इससे फायदा ये होगा की पौधा जब उगेगा तो घास या झड़ी के बीच में सुरक्षित रहेगा. और बरसात में अच्छी बढ़वार पकड़ लेगा.  आप के इस तरह बिखेरे हुए बीजों और गुठलियों से अगर कुछ पौधे भी बच गए तो धरती को हरा भरा करने में एक बड़ा योगदान होगा. 

ये केवल एक उदाहरण है. आप इस प्रकार बहुत प्रकार के पौधे लगा सकते हैं. 

तो आइये इस बरसात धरती को हरा भरा बनाने में सहयोग दें. 



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