अगावे अमेरिकाना एक सजावटी पौधा है. इसकी बहुत सी प्रजातियां हैं. इसे सेंचुरी प्लांट भी कहते हैं. यह अपने मज़बूत रेशों के लिए जाना जाता है. इसके पत्तों के सिरे पर एक मज़बूत कांटा होता है. कई बार बच्चे खेलते समय और बड़े इसकी देखभाल करते समय अनजाने में इसके कांटो से ज़ख़्मी हो जाते हैं.
इसकी जड़ से दूसरे नए पौधे निकलते हैं जिन्हे निकालकर अन्य जगहों पर लगाया जा सकता है. ये कम पानी पसंद करता है इसलिए इसे ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं पड़ती.
घरों में इसके पौधे गमले में भी लगते हैं लेकिन ज़मीन में लगाने पर ये काफी बड़ा हो जाता है. इसके पत्तों को कुचलकर या पानी में सड़ाकर रेशा निकाला जाता है जो रस्सी बनाने में काम आता है. देहात में इस पौधे को राम बांस के नाम से लोग जानते हैं.
इस पौधे की एक प्रजाति से टकीला बनाई जाती है जो एक मशहूर शराब का ब्रांड है. इस पौधे के आगावे टकीला ही कहते हैं.
दवाई गुणों के आधार पर आगावे का गूदा कब्ज़ दूर करने वाला और लैक्सेटिव है. इसके अतिरिक्त यह पेशाब को अधिक मात्रा में लाता है जो इसका डाययुरेटिक गुण है.
होम्योपैथी में इसे जो दवा बनाई जाती है वह कुत्ता काटने के कारण हुए हलकाव, या पानी से डरने, हाइड्रोफोबिया में प्रयोग की जाती है.
हाइड्रोफोबिया में आगावे को चाव से खाने का उदाहरण
जॉन हेनरी क्लार्क ने होम्योपैथिक मटेरिया मेडिका में हाइड्रोफोबिया का एक केस जो एल - सिंगलो मेडिको से एच-रिकार्डर द्वारा कोट किया गया है, का उद्धरण किया है. काटे जाने के साढ़े चार माह बाद एक लड़के को हाइड्रोफोबिया हो गया. उसे गले से निगलना असम्भव हो गया और उसे नर्सो को अस्पताल में काटने से बचाने के लिए रोकना पड़ता था. डाक्टर ने उसे अस्पताल में उगे आगावे के पत्ते का एक टुकड़ा दिया जिसे लड़के ने बड़े चाव से खाया. वह आगावे को चाव से खता रहा और धीरे धीरे उसका रोग ठीक होता गया. लेकिन उसने आठवें दिन आगावे खाने से मना कर दिया और कहा कि यह बहुत कड़वा है और मुंह में जलन डालता है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें