तुख्मे खुबाज़ी मैलो जाति के पौधे के बीज हैं जो देसी, यूनानी दवाओं में प्रयोग किये जाते हैं. इसका पौधा छोटे आकार का खुदरौ यानि खाली पड़े स्थानों पर स्वयं उगने वाला होता है और इसकी खेती भी की जाती है. इसके बीज गोल आकार के बटन जैसे किनारों से उभरे और बीच से दबे हुए होते हैं. यूनानी दवाओं का एक मुख्य अव्यव है. नज़ले ज़ुकाम के लिए जो काढ़ा या जोशांदा दिया जाता है उसका एक मुख्य घटक है.
जोशांदे में मुख्य रूप से सात दवाएं पड़ती हैं. (1) गुलबनफ्शा जिसे लोग गुल बनकशा भी कहते हैं. (2) तुख्मे खत्मी (3 ) तुख्मे खुबाज़ी (4 ) सपिस्ताँ जिसे लभेड़ा भी कहा जाता है. (5 ) उन्नाब (6 ) बर्गे गावज़बाँ (7 ) मुलेठी
गुलबनफ्शा के स्थान पर हंसराज का प्रयोग भी किया जाता है. हंसराज भी एक बहुत कारगर दवा है. यदि खांसी न हो तो मुलेठी डालने की भी ज़रूरत नहीं है. बुखार के लिए इसी जोशांदे में दो से तीन इंच का टुकड़ा गुर्च की बेल का भी कुचल कर डाल दिया जाता है. ये जोशांदा नज़ला ज़ुकाम, बुखार,गले की खराश, में फायदा करता है. इसे ज़ुकाम और फ्लू से रक्षा के लिए भी पिया जाता है.
खांसी, बुखार, जुकाम के लिए आजकल इस काढ़े का प्रयोग किया जाता हैं, इसे खांसी जुकाम से बचाव के लिए भी प्रयोग किया जा रहा है:
(1) हंसराज (2) तुख्मे खत्मी (3 ) तुख्मे खुबाज़ी (4 ) सपिस्ताँ जिसे लभेड़ा भी कहा जाता है. (5 ) उन्नाब (6 ) बर्गे गावज़बाँ (7 ) मुलेठी (8) मुनक्का (9) गुर्च
इन सब दवाओं को समान मात्र में लगभग हर दवा 10 ग्राम की मात्र में पानी के साथ पकाकर काढ़े के रूप में सुबह शाम दो समय प्रयोग की जाती है। ये देसी नुस्खा है।
देसी जड़ी बूटियां नुकसान नहीं करतीं और इस जोशांदे में कोई ऐसी जड़ी बूटी नहीं है जो हानिकारक हो. लेकिन इसे हाकिम या वैद्य की सलाह से ही प्रयोग करना चाहिए.
तुख्मे खुबाज़ी में बलगम को निकालने और फेफड़ों को शक्ति देने के गुण हैं. ये शोथ को घटाती है इसलिए फेफड़ों में ब्रोंकाइटिस की वजह से बारीक़ नालियों में जो सूजन आ जाती है ये उसे ठीक करती है और कफ आसानी से निकलने लगता है. गले की सूजन, गुर्दे की सूजन, लीवर की सूजन को घटाकर आराम दिलाती है.
खुबाज़ी में त्वचा को कांति देने, घाव को भरने, ब्लड को साफ़ करने के गुण हैं. अन्य दवाओं के साथ प्रयोग करने पर ये स्किन की बीमारियों जैसे खुजली, फोड़े, एक्ज़िमा आदि से निजात दिलाती है.
तुख्मे खुबाज़ी का यूनानी दवा में बहुतायत से प्रयोग होता है.
डिसक्लेमर
इस ब्लग में जो भी जानकारी दी गयी है वह देसी दवाओं, पौधों, और जड़ी बूटियों के बारे में ज्ञान बढ़ाने के लिए है। इसका प्रयोग बिना वैद्य, हकीम, डाक्टर की सलाह से न किया जाए।