काहू के नाम से इस पौधे को केवल हकीम, या वो लोग जानते जो इसकी खेती और व्यापार करते हैं. इसका प्रयोग सलाद के रूप में किया जाता है. मार्केट में ये आसानी से मिल जाता है. अंग्रेजी भाषा में इसे लेटिस कहते हैं. ये एक सीजनल पौधा है. सितम्बर अक्टूबर में इसका बीज बोया जाता है. जाड़ों के महीनो में इसके पत्तों को सलाद की तरह इस्तेमाल किया जाता है.
इसके पत्ते हरे, झुर्रियों और टेढ़ी मेढ़ी सतह के होते हैं. देखने में ये बहुत खूबसूरत लगता है. उतना ही ये गुणकारी है. कहु उत्तेजना को शांत करता है और गहरी नींद लाता है. आज के युग में बहुत से बीमारियां उत्तेजना और नींद न आने के कारण हो रही हैं. आज के रोगों की ये बड़ी औषधि है.
इसमें डायूरेटिक यानी मूत्र प्रवाह बढ़ाने के शक्ति है. अपने इस गन के कारण ये गुर्दों को साफ करता है और उनके विषैले पदार्थ या टाक्सिन बाहर निकलता है. ये यूरिक एसिड के समस्या से निजात दिलाता है.
इसके पत्तों में मौजूद डाइटरी फाइबर या खाद्य रेशे आँतों की सफाई करते हैं. यहाँ भी ये टॉक्सिन यानि विषैले पदार्थ बहार निकलने का काम करता है. इसमें मौजूद रसायन आंतों को कैंसर जैसे रोग से बचने में सहायता करते हैं.
हकीम काहू के बीजों के तेल या रोगन काहू को नींद न आने के समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए इस्तेमाल करते थे. ये सदियों से यूनानी और देसी इलाज के पद्धति में प्रयोग किया जा रहा है.
काहू के पौधे सलाद के लिए लगाए जाते हैं इसलिए ये पत्तों का गुच्छा बड़ा होते ही काट लिए जाते हैं. कहु के पौधे के तने से अगर रस निकला जाए तो ये रस सूख कर कला पड़ जाता है और गाढ़ा हो जाता है. इस रस का प्रयोग भी नींदलाने की दवाओं में हकीमों द्वारा किया जाता था.
काहू के पत्ते चूँकि झुर्रियोंदार होते हैं इसलिए इसमें तरह तरह के जर्म्स आसानी से पल जाते हैं. इसमें फंगस भी लग जाता है. इसके पत्तों को सलाद के रूप में इस्तेमाल करने से कभी कभी डायरिया, पेचिश या पेट के अन्य रोग हो जाते हैं. इसके पत्तों को खूब अच्छी तरह धोकर इस्तेमाल करना चाहिए.
इसके पत्ते हरे, झुर्रियों और टेढ़ी मेढ़ी सतह के होते हैं. देखने में ये बहुत खूबसूरत लगता है. उतना ही ये गुणकारी है. कहु उत्तेजना को शांत करता है और गहरी नींद लाता है. आज के युग में बहुत से बीमारियां उत्तेजना और नींद न आने के कारण हो रही हैं. आज के रोगों की ये बड़ी औषधि है.
इसमें डायूरेटिक यानी मूत्र प्रवाह बढ़ाने के शक्ति है. अपने इस गन के कारण ये गुर्दों को साफ करता है और उनके विषैले पदार्थ या टाक्सिन बाहर निकलता है. ये यूरिक एसिड के समस्या से निजात दिलाता है.
इसके पत्तों में मौजूद डाइटरी फाइबर या खाद्य रेशे आँतों की सफाई करते हैं. यहाँ भी ये टॉक्सिन यानि विषैले पदार्थ बहार निकलने का काम करता है. इसमें मौजूद रसायन आंतों को कैंसर जैसे रोग से बचने में सहायता करते हैं.
हकीम काहू के बीजों के तेल या रोगन काहू को नींद न आने के समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए इस्तेमाल करते थे. ये सदियों से यूनानी और देसी इलाज के पद्धति में प्रयोग किया जा रहा है.
काहू के पौधे सलाद के लिए लगाए जाते हैं इसलिए ये पत्तों का गुच्छा बड़ा होते ही काट लिए जाते हैं. कहु के पौधे के तने से अगर रस निकला जाए तो ये रस सूख कर कला पड़ जाता है और गाढ़ा हो जाता है. इस रस का प्रयोग भी नींदलाने की दवाओं में हकीमों द्वारा किया जाता था.
काहू के पत्ते चूँकि झुर्रियोंदार होते हैं इसलिए इसमें तरह तरह के जर्म्स आसानी से पल जाते हैं. इसमें फंगस भी लग जाता है. इसके पत्तों को सलाद के रूप में इस्तेमाल करने से कभी कभी डायरिया, पेचिश या पेट के अन्य रोग हो जाते हैं. इसके पत्तों को खूब अच्छी तरह धोकर इस्तेमाल करना चाहिए.