शनिवार, 6 जनवरी 2018

सना

सना, या सना-ए  मक्की एक गर्म इलाके में पाया जाने वाला पौधा है. इसके लिए रेगिस्तानी भूमि और शुष्क वातावरण की ज़रुरत होती है. दवाओं में सऊदी अरब के मक्का शहर में पैदा होने की वजह से सना की अच्छी क्वालिटी मक्का की सना या सना-ए मक्की कहलाती है और यही दवाओं में प्रयोग होती है. देसी तौर पर सना को भारत में भी उगाया जाता है और दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है.

सना की पत्तियां ही दवा में इस्तेमाल की जाती हैं. इसकी पत्तियां मेहँदी  की  पत्तियों से मिलती जुलती लेकिन मेहँदी  की पत्तियों से बड़ी होती हैं. सना कब्ज़ दूर करती है. इसका इस्तेमाल रेचक के रूप  में किया जाता है. सना पेट के रोगों के लिए बने चूर्ण में डाली जाती है.
सना आयु को बढाती है. शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ने देती. इसकी पत्तियों के प्रयोग से पहले इसकी डंडियां, बीज वाली फलियां आदि निकल देना चाहिए सना की पत्तियों के डंठल पेट में मरोड़ और दर्द पैदा करते हैं.
सना पेट की गैस में लाभ करती है. सना का इस्तेमाल एक अकेली दवा के रूप में नहीं किया जाता. इसके साथ बराबर मात्रा में सौंफ मिलकर इस्तेमाल की जाती है. अकेली सना पेट में दर्द पैदा कर सकती है.
इस हर्ब की अजीब बात है की सना की केवल ढाई पत्तियां थोड़े पानी में पकाकर काढ़े की तरह रात को पीने से कब्ज़ दूर हो जाता है.

रविवार, 31 दिसंबर 2017

मेहंदी

मेहंदी का दूसरा नाम हिना है. हिना नाम से ये हर्बल हेयर कलर में प्रयोग की जाती है. ये एक झाड़ीनुमा पौधा है. बीज और कटिंग दोनों से नये पौधे लगाए जाते हैं. इसकी पत्तियों को ही श्रंगार के लिए हाथों, पैरों और बालों में लगाने में इस्तेमाल किया जाता है.

मेहंदी की पत्तियां पीसने पर पीलापन लिए लाल रंग देती हैं. यही मेहंदी का विशेष रंग होता है. मेहंदी एक अच्छा ब्लड प्यूरीफायर है. यह खून को साफ़ करती है. स्किन के दाग धब्बे मिटाती है. मेहंदी की ताज़ी पत्तियां 10 ग्राम  ऐसे ही बिना पीसे नीम की  10 ग्राम पत्तियों के साथ  एक ग्लास पानी में  रात को भिगो दी जाती हैं और सुबह वह पानी खली पेट पीने से स्किन के दाग धब्बे, खुजली, जलन दूर हो जाती है. मेहंदी को इस प्रकार इस्तेमाल करने का मौसम अप्रैल से जून के मध्य है. क्योंकि मेहंदी का स्वाभाव ठंडा है. बरसात और जाड़े में मौसम में मेहंदी का अंदरूनी इस्तेमाल नुक्सान करता है. वे लोग जो नज़ला, खांसी के मरीज़ हैं उन्हें मेहंदी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
मेहंदी सौंदर्य प्रसाधन के रूप में बालों में लगाने से न केवल उन्हें बढ़िया रंग देती है बल्कि बालों की कंडीशनिंग भी करती है. मेहंदी बालों पर एक परत चढ़ा देती है जिससे बाल देखने में घने लगने लगते हैं. यह सर को भी ठंडा रखती है. गर्मी से जिनके सर में दर्द रहता हो, हाई ब्लड प्रेशर हो, तो मेहंदी का सर और हाथ पैर में लगाने से लाभ होता है. मेहंदी में मार्च से लेकर मई जून में फूल आते है. इसका फूल सफ़ेद होता है और गुच्छो में खिलता है. फूल भी त्वचा की बीमारियों में लाभकारी है. इसके फूल को छाया में सुखाकर मुंडी बूटी के फूलों के साथ सामान मात्रा में पानी में भिगोकर पीने से त्वचा कांतिमय हो जाती है और खून के खराबी ठीक हो जाती है. लेकिन मेहंदी का स्वाभाव ठंडा है. जो लोग ठन्डे स्वाभाव के हैं, नज़ला, ज़ुकाम, खांसी के मरीज़ हैं, जिनकी सांस फूलती है और जो दमे के बीमारी का शिकार हैं उनके लिए मेहंदी का प्रयोग खतरनाक हो सकता है.

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

गुले सुपारी

 गुले सुपारी या या सुपारी का का फूल किसी फूल का नाम नहीं है. ये एक पेड़ के गोंद का नाम है जिसे सेमर या सिल्क कॉटन ट्री कहते हैं. कई बार पुराने यूनानी नुस्खे बनाने वाले दवाएं ढूंढते फिरते हैं. कभी कभी दवाओं के बेचने वालों को भी दवाओं के विभिन्न नाम नहीं मालूम होते इसलिए दवाएं नहीं मिलती या फिर एक के स्थान पर दूसरी दवा मिलती है. नतीजा ये होता है की नुस्खा सही नहीं बनता और दोष नुस्खे के सर मढ़ा जाता है.

सिल्क कॉटन ट्री का वर्णन इसी ब्लॉग में पहले हो चूका है. ये इस पेड़ का गोंद है जो मोचरस के नाम से भी जाना जाता है. मोचरस एक गोंद है और जंगल में रहने वालों से सस्ता मिल जाता है ये गोंद के रूप में चिपचिपा और एडहेसिव होने के कारण बुक बाइंडिंग और चीजों को चिपकने के भी काम आता है. पेड़ से निकलने पर ताज़ा गोंद भूरे रंग का होता है. सूखने पर ये काला पड़ जाता है. बाजार में इस काले काले गोंद के बड़े और छोटे टुकड़े मिलते हैं.
इस गोंद में दूसरे पेड़ों  के गोंद की मिलावट की जाती  है. अक्सर इसमें सहजन का गोंद मिला होता है. कुछ लोग सहजन के गोंद  को ही मोचरस  बताकर बेच रहे हैं.
आइस क्रीम को गाढ़ा  बनाने के लिए भी इसका प्रयोग किया जाता है. कभी कभी गोंद ट्रैगाकंथ या गोंद कतीरा की जगह भी प्रयोग होता है.

मोचरस पुष्टकारी और शक्ति वर्धक के रूप में अन्य दवाओं के साथ मिलकर प्रयोग किया जाता है. ये ल्यूकोरिया और स्पर्मेटोरया की लिए लाभकारी है.
मोचरस को घी में भूनकर खाने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है. 

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