शंखपुष्पी, संखाहोली, सनखुलिया, कौडियाला एक घास की तरह का पौधा है. ये ज़मीन पर बिछी हुई एक छोटी छोटी शाखाओं वाली बूटी है. इसकी पत्तियां बहुत बारीक और पतली पतली होती हैं. जब इसके फूल न खिले हों तो इसके घास में से पहचानकर अलग करना मुश्किल है.
गर्मी के शुरू में अप्रैल, मई में इसके फूल खिलते हैं. ये फूल सफ़ेद रंग के कटोरीनुमा होते हैं. इस समय ही इस जड़ी बूटी के पहचान बड़ी आसानी से की जा सकती है.
सफ़ेद फूलों के कारण इसे शंखपुष्पी कहा जाता है. यही नाम बिगड़ कर सांखुलया और संखाहोली यानी शंख के समान सफ़ेद फूलों वाली बूटी हो जाता है.
कौड़ी भी एक समुंद्री जीव है. कौड़ी के सफ़ेद रंग के कारण भी इसका नाम कौडियाला भी है. ये बूटी अपने सफ़ेद फूलों से ही पहचानी जाती है और यही इसकी खूबी है.
शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी है. जिनको गर्मी जनित विकार हों. गर्मी के कारण शरीर और सर में जलन हो उनको ये बूटी फ़ायदा करती है. याददाश्त यानि मेमोरी को बढाने में इसका बहुत बड़ा नाम है. इसका प्रयोग मेमोरी को कायम रखने के लिए बरसों से हो रहा है. बाजार में शंखपुष्पी के नाम से सीरप आदि मिलते हैं. गर्मी के मौसम में शंखपुष्पी के ताज़ी शाखायें बादाम और सौंफ के साथ पीसकर ठंडाई के रूप में पीने से मन शांत रहता है और गर्मी के विकार दूर होते हैं.
शखपुष्पी को सुखाकर पाउडर बना लिया जाता है. एक भाग शंखपुष्पी का पाउडर, एक भाग ब्राह्मी का पाउडर, एक भाग काली मिर्च का पाउडर और तीन भाग बादाम का पाउडर मिलाकर, एक चम्मच ये पाउडर सुबह शाम दूध के साथ लेने से मेमोरी बढ़ती है और हाइपर टेंशन में आराम मिलता है और नींद भी अच्छी आती है.
गर्मी के शुरू में अप्रैल, मई में इसके फूल खिलते हैं. ये फूल सफ़ेद रंग के कटोरीनुमा होते हैं. इस समय ही इस जड़ी बूटी के पहचान बड़ी आसानी से की जा सकती है.
सफ़ेद फूलों के कारण इसे शंखपुष्पी कहा जाता है. यही नाम बिगड़ कर सांखुलया और संखाहोली यानी शंख के समान सफ़ेद फूलों वाली बूटी हो जाता है.
कौड़ी भी एक समुंद्री जीव है. कौड़ी के सफ़ेद रंग के कारण भी इसका नाम कौडियाला भी है. ये बूटी अपने सफ़ेद फूलों से ही पहचानी जाती है और यही इसकी खूबी है.
शंखपुष्पी की प्रकृति ठंडी है. जिनको गर्मी जनित विकार हों. गर्मी के कारण शरीर और सर में जलन हो उनको ये बूटी फ़ायदा करती है. याददाश्त यानि मेमोरी को बढाने में इसका बहुत बड़ा नाम है. इसका प्रयोग मेमोरी को कायम रखने के लिए बरसों से हो रहा है. बाजार में शंखपुष्पी के नाम से सीरप आदि मिलते हैं. गर्मी के मौसम में शंखपुष्पी के ताज़ी शाखायें बादाम और सौंफ के साथ पीसकर ठंडाई के रूप में पीने से मन शांत रहता है और गर्मी के विकार दूर होते हैं.
शखपुष्पी को सुखाकर पाउडर बना लिया जाता है. एक भाग शंखपुष्पी का पाउडर, एक भाग ब्राह्मी का पाउडर, एक भाग काली मिर्च का पाउडर और तीन भाग बादाम का पाउडर मिलाकर, एक चम्मच ये पाउडर सुबह शाम दूध के साथ लेने से मेमोरी बढ़ती है और हाइपर टेंशन में आराम मिलता है और नींद भी अच्छी आती है.