शनिवार, 31 दिसंबर 2016

प्याज़

प्याज़ एक जानी मानी सब्ज़ी है. इसमें तेज़ झरप और गंध होती है जो काटने वाले को आंसू रुलाती है. कभी ये मंहगा हो जाता है और कभी सस्ता. हर हालात में न्यूज़ में रहता है और इस पर राजनीति  भी होती है.

ये एक गुणकारी दवा है. स्वाभाव से गर्म होता है. प्याज़ को आग पर गर्म करके फोड़ों पर बंधने से फोड़ों को पका  देता है जिससे पलौड़ा फूटकर पस बहने में मदद मिलती है. देहातों में कहावत थी की जिसने बरसात के मौसम में पांच सेर प्याज़ और पांच सेर गुड़ खालिया उसने पांच भैंसों का मक्खन खाने के बराबर शक्ति प्राप्त करली.
दो मीडियम साइज़ के प्याज़ को कुचलकर पानी निकल लिया जाए और उसमें दो चमच शहद मिलकर हलकी आंच पर इतना पकाया जाए कि प्लीज़ का पानी जलकर केवल शहद बाकी रहे, इसके सेवन से शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होती है.

प्याज़ खून को पतला करता है. गर्मी की मौसम में इसका सेवन लू से बचाता  है. प्याज़ का रस और कपूर के सेवन से कालरा नहीं होता.
प्याज़ बाल बढ़ाने और उगाने में लाभकारी है. बालखोरे पर कच्ची प्याज़ लगाने से बालखोर ठीक हो जाता है और फिरसे बाल  निकल आते हैं.
प्याज़ को काटकर धूप  में सुखा लिया जाए और फिर इसे पाउडर बना दिया जाए. प्याज़ का पाउडर, अश्वगंधा का पाउडर, शतावरी का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर इस दावा का एक चमच सुबह और एक

चमच शाम दूध के साथ प्रयोग करने से टॉनिक का कार्य करता है और बीमारीयों से बचाता  है.
प्याज़ एक बहु उपयोगी सब्ज़ी ही नहीं ये एक बड़ी दावा है. सावधानी से इसका प्रयोग बहुत से बीमारियों से बचता है.


शुक्रवार, 30 दिसंबर 2016

ज़मींकंद

ज़मींकंद का पौधा बरसात में उगता है और बरसात गुजरने के बाद सूख जाता है. इसका कंद ज़मीन में रह जाता है. ये एक प्रकार का ट्यूबर है जो गोलाई लिए टेढ़े मेढ़े आकर का होता है. इसका मज़ा बहुत तिक्त और मुंह में जलन डालने वाला होता है.   इसकी सब्ज़ी बनाकर खायी जाती है. इसका स्वाद बहुत ज़्यादा जलन डालने वाला होता है. कि इसका इस्तेमाल करने से पहले इसके टुकड़ों को इमली के साथ उबाला जाता है जिससे इसका स्वाद ज़्यादा तेज़ न रहे. इमली न मिलने पर नीबू के साथ भी उबाल सकते हैं.

जमीकंद स्वाभाव से बहुत गर्म है. गर्म स्वाभाव के लोगों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसे लोग जो चर्म रोगों से ग्रस्त हों उनको भी ये नुकसान करता है.
जमीकंद खून को पतला करता है. हार्ट के ऐसे मरीजों को जो खून का थक्का बनने की बीमारी से ग्रस्त हैं ये लाभकारी सिद्ध होता है. ब्लड फ्लो बढ़ाने के कारण ये मेंस्ट्रुएशन के दौरान और लाक्टेटिंग वीमेन को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
पेट के अल्सर से ग्रस्त मरीजों को भी ये अल्सर से ब्लीडिंग बढाकर नुकसान कर सकता है.
सर्दी से होने वाले रोगों जैसे अस्थमा, साँस फूलना, ब्लड का गाढ़ा होना, शरीर में वाइटल हीट के कमी में इसका प्रयोग बहुत लाभकारी है.
ये कब्ज़ को दूर करता है. इसका प्रयोग गर्मी के मौसम में न करे. सर्दी के मौसम में भी इसका प्रयोग सावधानी से करने पर ये एक बहुत लाभकारी दवा है.

बुधवार, 28 दिसंबर 2016

भृंगराज

 भृंगराज, एक औषधीय  पौधा है. आम लोग इसे भंगरा  भी कहते हैं. ये काला और सफ़ेद दो प्रकार का पाया जाता है. काले पौधे की शाखें काली होती हैं. इसका फूल सफ़ेद कुछ कालिमा लिए हुए होता है. बालों को बढ़ाने, लंबा और घना करने में इसका बहुत नाम है. आयुर्वेद में माह भृंगराज तैल बालों को बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.
भंगरा एक जड़ी बूटी के रूप में खाली पड़ी जगहों पर घास फूस के दरम्यान उगता है. इसे पानी और नमी के ज़्यादा आवश्यकता होती है. इसलिए इसके पौधे नालियों के किनारे, ऐसे स्थानों पर जहाँ नमी रहती हो पाये जाते हैं.

इसके फूल छोटे छोटे सफ़ेद होते हैं. फूल सूख जानेपर इसके बारीक बीज गिर जाते हैं. इसके पौधे बरसात में आसानी से उगते हैं. वैसे ये साल भर मिल सकता है लेकिन जाड़ों में कमी के साथ पाया जाता है.
जहाँ से बाल उड़ गए हों और चिकने स्थान रह गए हों वहां पर इसके पत्तों को प्याज़ के साथ पीसकर लगाने से बाल दुबारा उग आते हैं. इसकी यही एक अजीब बात बहुत काम की है. भंगरा, आमला, जटामांसी, करि पत्ता और मेंहदी की पत्तियों के पाउडर को तेल में पकाकर उस तेल को छान कर बालों में लगाने से बाल बढ़ते और घने होते हैं.
भंगरा का प्रयोग आँख की दवाओं में भी होता है. इसका काजल बनाकर आँखों में लगाने से आँखें स्वस्थ रहती हैं. काजल बनाने का तरीका ये है कि भंगरा की पत्तियों का रस निकालकर उसमें मुलायम सूती कपडा भिगोकर लपेटकर बत्ती बना ली जाए. बत्तियों के सूख जाने पर उसे तिल  के तेल के दीपक में जलाया जाए और उसकी लौ के ऊपर एक साफ मिटटी का बर्तन इस प्रकार रखा जाए कि बत्ती जलती रहे और उसका धुआं मिटटी के बर्तन में कालक के रूप में जमा होता रहे. बाद में इसी कालक को लेकर थोड़ा सा घी मिलकर पेस्ट के रूप में काजल बनाया जाता है.


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