बुधवार, 28 दिसंबर 2016

भृंगराज

 भृंगराज, एक औषधीय  पौधा है. आम लोग इसे भंगरा  भी कहते हैं. ये काला और सफ़ेद दो प्रकार का पाया जाता है. काले पौधे की शाखें काली होती हैं. इसका फूल सफ़ेद कुछ कालिमा लिए हुए होता है. बालों को बढ़ाने, लंबा और घना करने में इसका बहुत नाम है. आयुर्वेद में माह भृंगराज तैल बालों को बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.
भंगरा एक जड़ी बूटी के रूप में खाली पड़ी जगहों पर घास फूस के दरम्यान उगता है. इसे पानी और नमी के ज़्यादा आवश्यकता होती है. इसलिए इसके पौधे नालियों के किनारे, ऐसे स्थानों पर जहाँ नमी रहती हो पाये जाते हैं.

इसके फूल छोटे छोटे सफ़ेद होते हैं. फूल सूख जानेपर इसके बारीक बीज गिर जाते हैं. इसके पौधे बरसात में आसानी से उगते हैं. वैसे ये साल भर मिल सकता है लेकिन जाड़ों में कमी के साथ पाया जाता है.
जहाँ से बाल उड़ गए हों और चिकने स्थान रह गए हों वहां पर इसके पत्तों को प्याज़ के साथ पीसकर लगाने से बाल दुबारा उग आते हैं. इसकी यही एक अजीब बात बहुत काम की है. भंगरा, आमला, जटामांसी, करि पत्ता और मेंहदी की पत्तियों के पाउडर को तेल में पकाकर उस तेल को छान कर बालों में लगाने से बाल बढ़ते और घने होते हैं.
भंगरा का प्रयोग आँख की दवाओं में भी होता है. इसका काजल बनाकर आँखों में लगाने से आँखें स्वस्थ रहती हैं. काजल बनाने का तरीका ये है कि भंगरा की पत्तियों का रस निकालकर उसमें मुलायम सूती कपडा भिगोकर लपेटकर बत्ती बना ली जाए. बत्तियों के सूख जाने पर उसे तिल  के तेल के दीपक में जलाया जाए और उसकी लौ के ऊपर एक साफ मिटटी का बर्तन इस प्रकार रखा जाए कि बत्ती जलती रहे और उसका धुआं मिटटी के बर्तन में कालक के रूप में जमा होता रहे. बाद में इसी कालक को लेकर थोड़ा सा घी मिलकर पेस्ट के रूप में काजल बनाया जाता है.


मूली

मूली एक सब्ज़ी है जिससे सभी लोग परिचित हैं. मूली के बारे में एक कहावत प्रसिद्ध है: सुबह की मूली अमृत, दिन की मूली मूली और रात की  शूली. मतलब यह है की सुबह को मूली खाना अमृत की तरह फायदेमंद है. दिन में मूली खाना भी गुणकारी है लेकिन रात मो मूली दर्द देने वाली होती है.
मूली खाने को पचाती है लेकिन खुद देर में पचती है. इस खराबी को दूर करने के लिए मूली के पत्ते भी साथ में खाना चाहिए. खाने में मूली और दही का साथ अच्छा नहीं माना जाता कुछ लोगों को पेट में दर्द हो जाता है. मूली का स्वाभाव ठंडा है. ठन्डे  स्वाभाव वालों को मूली का प्रयोग सोच समझ कर करना चाहिए.
मूली का नमक या मूली खार  पेट के दर्द, गैस और गुर्दे की पथरी तोड़ने में कामयाब है.

मूली के पौधे में  खूबसूरत फूल खिलते हैं.  फूल चार पंखुड़ी का होता है. इसमें सरसों की  फलियों के तरह फलियां लगती हैं. ये फलियां सरसों की  फलियों से मोटी होती हैं. क्योंकि मूली का बीज सरसों के बीज से दोगुना बड़ा होता है. इसका बीज बिलकुल गोल नहीं होता बल्कि कुछ चपटा होता है. ये फलियां कच्ची अवस्था में सब्ज़ी बनाकर खायी जाती हैं. इनके फायदे भी वही हैं जो मूली के हैं.
मूली बवासीर में भी फायदा करती है. मूली को शकर लगाकर खाने से बाल मज़बूर होते हैं. और उनका गिरना बंद हो जाता है.
मूली को सिरके में डालकर पका  लिया  जाए तो ये बढे हुए जिगर और बढ़ी हुई तिल्ली के बड़ी दावा बन जाती है.
 मूली के सलाद पर काली मिर्च और नमक छिडककर दोपहर में खाने से बढ़ हुआ पेट काम हो जाता है. लेकिन इसका सेवन नियमित किया जाए और दोपहर के खाने के मात्रा आधी करदी जाए.
मूली जॉन्डिस में भी फायदा करती है. इसकी सब्ज़ी बनाकर खाने से बहुत लाभ होता है.   

अरण्ड

एरण्ड, एरण्डी, अरण्ड, अण्डउआ एक बहु उपयोगी पेड़ है. इसके फल अरंडी या अंडी  कहलाते हैं. अंडी का तेल या कैस्टर आयल कब्ज़ दूर करने के लिए एलोपैथी में बहुतायत से उपयोग किया जाता है. इसके बीज का बाहरी सख्त छिलका ज़हरीला होता है. इसके बीज खाने से ज़हरीला प्रभाव हो सकता है. इसलिए अंडी को बच्चों के पहुँच से दूर रखें.
इसके पत्ते और जड़ जोड़ों के दर्दों में लाभकारी है. विशेषकर घुटने के दर्द में सरसों का तेल गुनगुना करके नामांक के साथ मालिश के जाए और बाद में अरंड का पत्ता आग पर गर्म करके ऊपर से रख कर गर्म पट्टी लपेट दी जाए तो दर्द ठीक हो जाता है.

जोड़ों के पुराने दर्द और गढ़िया के लिए अरंड की जड़ का पाउडर आम्बा हल्दी के पाउडर के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर और पन्नी के साथ पेस्ट बनाकर थोड़ा गर्म करके जोड़ों पार्क लगा दिया जाता है और ऊपर से पट्टी बांच दी जाती है. सुबह को यह लेप छुड़ा दिया जाए और किसी अच्छे दर्द निवारक तेल के मालिश के जाए तो घुटनों के दर्द में बहुत आराम मिलता है.
कब्ज़ के लिए एक से दो चमच अरंड का तेल गर्म दूध में मिलाकर रात को पीने से कब्ज़ दूर होता है.
अस्थमा के दौरे में अरंड के सूखे पत्तों को तम्बाकू के तरह पीने से आराम होता है.
ध्यान रहे के अरंड एक ज़हरीली दावा है इसलिए खाने पीने में इसका प्रयोग किसी जानकार वैध या हकीम के सलाह से ही करना चाहिए.
अरंड के आयल  में विटामिन ई आयल मिलकर त्वचा पर लगाने से झुर्रियां नहीं पड़ती.
अरंड के तेल में शहद के छत्ते वाला असली मोम गर्म करके मिला दें यह एक प्रकार की क्रीम बन जाएगी।  इसे फटी एड़ियों पर लगाने से एड़ियां ठीक हो जाती हैं. और मंहगी क्रीमों से छुटकारा मिल जाता है.

Popular Posts

इस बरसात जंगल लगाएं

जंगल कैसे लगाएं  जंगलों का क्षेत्र तेज़ी से सिमट रहा है. इसलिए ज़रूरी है कि प्रत्येस नागरिक जंगल लगाने की ज़िम्मेदारी ले. ये बहुत आसान है. एक छ...