बड़ी दुधी बरसात के मौसम में खर पतवार के साथ खाली पड़े स्थानों पर उगती है. इसकी दो पत्तियों के जोड़ पर इसके बारीक़ फूलों और बीजों का गुच्छा लगा होता है. इस कारन ही इस बूटी की पहचान आसानी से के जा सकती है. इसकी शाखाये ज़मीन पर फैलने वाली गुच्छेदार और लचकदार होती हैं. शाखा तोड़ने पर इसमें से दूध निकलता है. इस दूध या लेटेक्स के कारण ही इसका नाम दूधी पड़ा है.
एक और बूटी भी है जिसे छोटी दूधी कहते हैं. इसके पत्ते छोटे गहरे हरे रंग के शाखाएं बारीक़ होती हैं. इसको तोड़ने पर भी दूध निकलता है.
छोटी दूधी को पहले ही इसी बलाग अजीब हर्ब में वर्णित किया जा चुका है.
दूधी को छाया में सुखाकर और पाउडर बनाकर पानी के साथ सेवन करने से डिसेंट्री में लाभ होता है. अपने तर स्वाभाव के कारण ये सूखी खांसी में भी लाभकारी है. खांसी में इसका प्रयोग काढ़े के रूप में करना चाहिए.
एक और बूटी भी है जिसे छोटी दूधी कहते हैं. इसके पत्ते छोटे गहरे हरे रंग के शाखाएं बारीक़ होती हैं. इसको तोड़ने पर भी दूध निकलता है.
छोटी दूधी को पहले ही इसी बलाग अजीब हर्ब में वर्णित किया जा चुका है.
दूधी को छाया में सुखाकर और पाउडर बनाकर पानी के साथ सेवन करने से डिसेंट्री में लाभ होता है. अपने तर स्वाभाव के कारण ये सूखी खांसी में भी लाभकारी है. खांसी में इसका प्रयोग काढ़े के रूप में करना चाहिए.