सोमवार, 8 सितंबर 2025

कटेरी, Yellow fruit nightshade

 कंटकारी, बड़ी कटेरी, कटेरी, अडेरी, ममोली, छमक निमोली, एक कांटेदार पौधे के नाम हैं जिसे Solanum virginianum, Surattense nightshade, or yellow fruit nightshade  भी कहते हैं. इस पौधे के पत्ते कटे किनारों वाले लम्बे आकर के और कांटों से भरे होते हैं. 

इसमें बैगनी, नीले रंग के फूल खिलते हैं. फूल एक शाखा में दो एक दूसरे विपरीत मुख किये हुए होते हैं. फूल के बीच  में पीले रंग का जीरा होता है. इसका फूल देखने में सुंदर लगता है और बैंगन के फूल की तरह होता है. 

गांव देहात में इसके फल को दवाई के रूप में प्रयोग किया जाता है. सूखा फल पीस छानकर थोड़ी मात्रा में सूंघने से बहुत छींकें आती हैं और पुराना रुका हुआ ज़ुकाम खुल जाता है.  इसी चूर्ण को पानी में मिलाकर खुजली और दाद पर लगाने से फायदा होता है. 

यह एक अत्यंत तेज़ प्रभाव वाला पौधा है इसलिए इसका प्रयोग खाने की दवाई में कदापि न करें. ज़ुकाम और सर दर्द में सूंघने से कभी एलर्जी हो सकती है इसलिए इसका प्रयोग किसी काबिल हकीम या वैद्य की निगरानी में ही करें. 

इस बलाग में दी गयी जानकारी केवल आम समझ और जानकारी के लिए है. इनमें से किसी भी जड़ी बूटी या पौधे का बिना चिकित्सीय सलाह के इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है. 


मंगलवार, 12 अगस्त 2025

कपूर का वृक्ष Camphora officinarum

 कपूर को काफूर भी कहते हैं।  ये बाजार में सफेद टुकड़ों के रूप में मिलता है. इसकी विशेष गंध होती है जो बहुत तेज़ होती है. कमरे में अगर कपूर रखा हो तो इसकी  गंध  दूर तक फैल जाती है. यह बहुत ज्वलनशील  होता है. इसे तमाशा दिखने वाले जीभ पर जलाकर दिखते हैं. 

बाजार में मिलने वाला कपूर सिंथेटिक होता है और नकली रूप से बनाया जाता है. असली कपूर वृक्ष से प्राप्त किया जाता है जो सफेद डलियों की शक्ल में होता है. कपूर का वृक्ष बड़ा होता है और इसकी आयु भी बहुत होती है. ये चीन, जापान, ताइवान, भारत लंका आदि में पाया जाता है. इसके वृक्ष में भी कपूर की गंध आती है. इसकी लकड़ी के टुकड़ों को पानी में उबालकर इसकी भाप को ठंडा करके कपूर प्राप्त किया जाता है. 


कपूर के  वृक्ष का वैज्ञानिक नाम  Camphora officinarum  है. इसमें सफेद फूल खिलते हैं और बाद में छोटे आकर के फल लगते हैं जो काले रंग के करी पत्ते के फलों की तरह होते हैं. 

कपूर की लकड़ी में कीड़ा नहीं लगता. इसकी गंध से कीड़े, मकोड़े दूर भागते हैं. दवाओं में कपूर का प्रयोग लगाने में किया जाता है. ये फंग्सनाशक और कीटाणुनाशक है. खुजली के लिए इसे नारियल के तेल में मिलाकर लगते हैं. यह ठंडक उतपन्न करता है और खुजली को आराम देता है. नाखूनों का कला पड़ना जो अक्सर फंगस की वजह से होता है के लिए कपूर को नारियल के तेल या वैसलीन में मिलाकर लगाना लाभ करता है. 

सर के दर्द, नज़ला ज़ुकाम, दर्द निवारक बाम में कपूर भी मिला होता है. नहाने के मेडिकेटेड साबुन में भी कपूर का प्रयोग किया जाता है. 

कपूर को कभी भी खाने की दवा के रूप में प्रयोग न करें। ये बहुत हानिकारक हो सकता है. 

गुरुवार, 7 अगस्त 2025

हरा सेब खाने के फायदे

हरा सेब खाने के फायदे बहुत हैं. सेब की बहुत सी वैराइटी उगाई जाती हैं जिनमें सेब के पकने से पहले जुलाई के महीने में बाजार में हरा सेब मिलने लगता है. इसका रेट कम होने के कारण इसे अमीर गरीब सभी आसानी से खरीद सकते हैं. 

हरा सेब कुदरत का एक वरदान है. यह मज़े में कुछ खट्टा होता है. इसकी चटनी बनाकर भी प्रयोग की जाती है. मुरब्बा बनाने  के लिए हरा सेब बहुत उपयुक्त रहता है. साबुत सेब का मुरब्बा बनाने के लिए हरा कच्चा सेब जो मीडियम आकर का हो प्रयोग किया जाता है. इसे छीलकर पानी में डालते रहते हैं जिससे यह काले न पड़ें. छीलने के लिए भी स्टेनलेस स्टील की छुरी, चाकू का प्रयोग करें. इन्हें अच्छी तरह धोकर पानी में जबतक उबालें कि यह थोड़ा नरम हो जाएं. उसके बाद शकर की चाशनी बनाकर सेब उसमें डाल दें. 

अगर आपने ठीक प्रकार सेब के लिए चाशनी बनाई है तो यह मुरब्बा खराब नहीं होता. फिर भी अगर सड़ने से बचाना हो तो फ्रिज में रखें. इसके अतिरिक्त बाजार के मुरब्बे में सड़ने से बचाने के लिए सोडियम बेंजोएट का प्ररोग किया जाता है. 

इसी प्रकार सेब को छोटा काटकर जैम भी बनाया जा सकता है. जैम एक पेस्ट जैसा होता है. 

सेब का मुरब्बा दिल और दिमाग की ताकत के  लिए फायदेमंद है. यह पेट को भी साफ़ रखता है और इसमें आवश्यक विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं. सबसे बढ़कर यह की घर का बनाया मुरब्बा अनावश्यक रंगों और केमिकल से भी बचा रहता है. 

कच्चा हरा सेब आँखों के लिए बहुत फायदेमंद है. इसके खाने से खून पतला रहता है और दिल के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. 
 

सोमवार, 4 अगस्त 2025

खुरफ़ा जंगली Purslane नोनिया का साग

 खुरफ़ा जंगली को लोनिया का साग या नोनिया भी कहते हैं. इसे भी साग सब्ज़ी की तरह पकाकर खाया जाता है.  जड़ी बूटी के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है. 

बाजार में जो कुलफा का साग मिलता है वह बड़े पत्ते वाला होता है. जंगली कुलफा या खुरफा छोटी पत्ती  वाला होता है. इसमें पीले फूल खिलते हैं. इसे नोनिया, या नोनिया का साग भी कहते हैं. 


यह खेतों में, खाली पड़े स्थानों में, गमलों में अपने आप उग आता है. इसके उगने का समय मार्च अप्रेल से जुलाई अगस्त तक है.  इसे बड़े चाव से लोग सब्ज़ी के रूप में  खाते हैं. 

जंगली लुनिया लाल रंग के फूलों वाली और नोनिया पीले फूल वाला दोनों  एक ही कुल के पौधे हैं. इसलिए इनका स्वभाव भी एक है. इसमें पानी  की मात्रा अधिक और पौष्टिक पदार्थ कम होते हैं. इसलिए यह मोटे लोगों के लिए फायदेमंद है. इसके खनिज पदार्थ जैसे मैगनीशियम, लोहा और कैल्शियम सेहत को दुरुस्त और हड्डियों, दांतो के लिए फायदेमंद है. 

यह सुपाचक है इसलिए पाचन तंत्र की समस्याओं के लिए लाभकारी है. 

लेकिन ध्यान रखें इसमने अक्ज़िलेट होता है जो गुर्दे की पथरी वाले मरीज़ों के लिए नुकसानदेह है. 

बुधवार, 30 जुलाई 2025

दस बजे का फूल, लुनिया जंगली (Portulaca)

 लुनिया जंगली एक छत्तेदार बूटी है जो बरसात में उगती है. यह पोर्टुलका ग्रान्डीफ्लोरा  की एक जंगली वैराइटी है. यह पार्टलेकैसी कुल का पौधा है. आम भाषा में इसे लुनिया कहते हैं. पोर्टुलका ग्रान्डीफ्लोरा के पौधे सुंदरता के लिए घरों में लगाए जाते हैं. इसमें खूबसूरत गुलाब से मिलते जुलते फूल खिलते हैं. इसकी पत्तियां मांसल, लम्बे आकर की होती हैं और यह पौधा घास की तरह ज़मीन पर फैलता है. 


इसे आसानी से कटिंग से लगाया जा सकता है. इसकी शाखा को ज़मीन में लगा देने से वह बहुत जल्दी जड़ पकड़ लेता है और फूल भी जल्दी खिलने लगते हैं. यहां पर लुनिया जंगली का फोटो दिया जा रहा है. इसी प्रकार के पौधे में घनी पंखुड़ियों वाले फूल खिलते हैं. यह जंगली वैराइटी है इसलिए इसके फूल इकहरी पत्ती के और छोटे आकर के हैं. इसे दस बजे का फूल भी कहते हैं क्योंकि यह दिन में दस बजे के लगभग खिलता है. 

 इसी पार्टलेकैसी कुल का दूसरा पौधा  पोर्टुलका ओलेरेसिया है जिसे परसले कहते हैं. आम भाषा में खुरफा का साग के नाम से बाजार में मिलता है. इसके पत्ते भी मांसल लेकिन आगे से नुकीले होने के बजाय गोलाई लिए होते हैं. इसकी जंगली वैराइटी को लोनिया का साग या नोनिया का साग कहते हैं और इसे सब्ज़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं.  बाजार में मिलने वाला खुरफा, या कुल्फ़ा का साग बड़े पत्तों का होता है और जंगली उगने वाला कुल्फ़ा छोटे आकर के पत्तों का होता है. दोनों में पीले फूल खिलते हैं. 

रविवार, 27 जुलाई 2025

अगावे अमेरिकाना Agave Americana/ Century Plant

 अगावे अमेरिकाना एक सजावटी पौधा है.  इसकी बहुत सी प्रजातियां हैं. इसे सेंचुरी प्लांट भी कहते हैं. यह अपने मज़बूत रेशों के लिए जाना जाता है. इसके पत्तों के सिरे पर एक मज़बूत कांटा होता है. कई बार बच्चे खेलते समय और बड़े इसकी देखभाल करते समय अनजाने में इसके कांटो से ज़ख़्मी हो जाते हैं. 

इसकी जड़ से दूसरे नए पौधे निकलते हैं जिन्हे निकालकर अन्य जगहों पर लगाया जा सकता है. ये कम पानी पसंद करता है इसलिए इसे ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं पड़ती. 

घरों में इसके पौधे गमले में भी लगते हैं लेकिन ज़मीन में लगाने पर ये काफी बड़ा हो जाता है. इसके पत्तों को कुचलकर या पानी में सड़ाकर रेशा निकाला  जाता  है जो रस्सी बनाने में काम आता है.  देहात में इस पौधे को राम बांस के नाम से लोग जानते हैं. 


इस पौधे की एक प्रजाति से टकीला बनाई जाती है जो एक मशहूर शराब का ब्रांड है.  इस पौधे के आगावे टकीला ही कहते हैं. 

दवाई गुणों के आधार पर आगावे का गूदा कब्ज़ दूर करने वाला और लैक्सेटिव है. इसके अतिरिक्त यह पेशाब को अधिक मात्रा में लाता है जो इसका डाययुरेटिक गुण है. 

होम्योपैथी में इसे जो दवा बनाई जाती है वह कुत्ता काटने के कारण हुए हलकाव, या पानी से डरने, हाइड्रोफोबिया में प्रयोग की जाती है.

हाइड्रोफोबिया में आगावे को  चाव से खाने  का उदाहरण 

जॉन हेनरी क्लार्क ने होम्योपैथिक मटेरिया मेडिका में हाइड्रोफोबिया का एक केस जो  एल - सिंगलो मेडिको से एच-रिकार्डर द्वारा कोट किया गया है, का उद्धरण किया है.  काटे जाने के साढ़े चार माह बाद एक लड़के को हाइड्रोफोबिया हो गया.  उसे गले से निगलना असम्भव हो गया और उसे नर्सो को अस्पताल में काटने से बचाने के लिए रोकना पड़ता था. डाक्टर ने उसे अस्पताल में उगे आगावे के पत्ते का एक टुकड़ा दिया जिसे लड़के ने बड़े चाव से खाया. वह आगावे को चाव से खता रहा और धीरे धीरे उसका रोग ठीक होता गया. लेकिन उसने आठवें दिन आगावे खाने से मना कर दिया और कहा कि  यह बहुत कड़वा है और मुंह  में जलन डालता है. 








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