हालिम एक बीज है जो दवाओं और घरेलू रेसिपी में इस्तेमाल होता है. ये लाल रंग के छोटे बीज होते हैं. बाज़ार में हालिम, हलीम, हालों, चैनसुर, चंद्रशूर के नाम से मिल जाते हैं. ये गार्डेन क्रिस के बीज हैं जो सलाद के लिए उगाया जाता है. इस पौधे की पत्तियों का स्वाद तीखा होता है. इसके मिर्च जैसे स्वाद के कारन इसे सलाद में और खाने की डिश में इस्तेमाल किया जाता है.
हालिम के बीजों को अगर पानी में भिगोया जाए तो ये फूल जाते हैं और लेसदार/चिपचिपे हो जाते हैं. बिलकुल इसी तरह जैसे पानी में भिगोने पर इसबगोल बीज या इसबगोल का सत चिपचिपा हो जाता है. हालिम के बीजों को इस्तेमाल करने से पहले इसे कुछ देर पानी में भिगो दिया जाता है और फिर इसे दूध में या पानी में मिलकर पिया जाता है. कहते हैं की इसमें इतने गुण हैं कि इसकी जितनी तारीफ़ की जाए कम है. एक बार में हालिम के बीज एक से दो चमच तक इस्तेमाल किए जा सकते हैं. ये कैल्शियम का खज़ाना है. इसमने बहुत से मिनरल और आइरन है. अनेकों विटामिन हैं. इसके इस्तेमाल से खून की कमी दूर होती है. शरीर को बल मिलता है. हालिम का स्वभाव गर्म है. प्रसूता महिलाओं को इस्तेमाल कराने से शरीर की अच्छी सफाई कर देता है और प्रसूत की बीमारियां नहीं होतीं. गर्भवती महिलाओं को इसके प्रयोग से नुक्सान हो सकता है.
सर्दी के दिनों में गर्म दूध के साथ हालिम का इस्तेमाल रात को सोते समय करने से सर्दी को रोगों, ज़ुकाम, खांसी से बचाव रहता है. लेकिन हालिम के बीज को पहले पानी या दूध में लगभग एक घंटा भिगोकर इस्तेमाल करें. कभी भी इस दवा को सूखा नहीं खाना चाहिए.
अपने चिपचिपे स्वाभाव के कारण हालिम आंतों की खुश्की दूर कर देता है. कब्ज़ में भी राहत दिलाता है. बच्चों को देने से लम्बाई बढ़ने में मददगार साबित होता है.
इसका सलाद भी स्वादिष्ट होता है. लेकिन इसे मिर्च की तरह ही कम मात्रा में खाना चाहिए. अधिक इस्तेमाल से पेट में जलन पड़ सकती है और स्किन की बीमारियां हो सकती हैं.
हालिम का प्रयोग केवल खाने में ही नहीं किया जाता. ये लगाने की भी दवा है. मोच आने पर ये हड्डी में बाल पड़ जाने पर हालिम, हल्दी और चूने का पेस्ट बनाकर, उसमें थोड़ा सा साबुन मिलाकर पकाएं और मोच/ चोट की जगह हल्का गर्म लगाकर पट्टी बांध दें. कहते हैं यदि हड्डी को सेट करके ये प्रयोग किया जाए तो टूटी हड्डी भी जुड़ जाती है.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें