अमलतास
अमलतास का यही काला गूदा दवा के रूप में काम
आता है. इसमें खांसी और कब्ज़ दूर करने की शक्ति होती है.
अमलतास
के फूल मार्च से लेकर मई तक खूब खिलते हैं. ये अपने पीले रंग के फूलों से ये दूर से
हे पहचाना जता है. फूल लम्बे गुच्छों के आकार में लटकते हैं.
गर्मी के मौसम में सड़कों की किनारे कोई ऐसा पौधा नज़र आये जो पीले फूलों से भरा हो तो आप समझ सकते हैं की ये अमलतास का पौधा होगा. इसकी पहचान फोटो से मिलकर कर सकते हैं. गर्मी की धूप से फूलों का रंग उड़ जाता है.
गर्मी के मौसम में सड़कों की किनारे कोई ऐसा पौधा नज़र आये जो पीले फूलों से भरा हो तो आप समझ सकते हैं की ये अमलतास का पौधा होगा. इसकी पहचान फोटो से मिलकर कर सकते हैं. गर्मी की धूप से फूलों का रंग उड़ जाता है.
ये एक
ऐसा पौधा है जो हकीम और वैद्य दवाओं में प्रयोग करते हैं. हकीम लोग इसे ख्यारशम्बर
कहते हैं.
अमलतास
का दूसरा नाम Cassia fistula या golden shower tree भी है. दवाओं में आम तौर से इसकी फलियों के अंदर से निकलने वाला काला गूदा प्रयोग किया जाता हैं. ये गूदा चिपचिपा, कोलतार जैसा होता है.
इसमें
एक फुट से लेकर दो फुट तक लम्बी फलिया लगती हैं. जो पहले हरी बाद में सूख कर
भूरी या काली पड जाती हैं.
इसकी फली सख्त होती है. ये अंदर से खानो में विभाजित
होती है. हर खाना एक गोल पर्दे से अलग होता है. इन गोल पर्दो के दोनो तरफ गूदा
चिपका होता है. ये गूदा काले रंग का होता है. जो कोलतार जैसा लगता है लेकिन खाने
में मीठा होता है और इसमें से एक विषेश प्रकार की गंध आती है.
हर दो पर्दो के बीच
में जो जगह बचती है उस खाली जगह में बीज भरे होते हैं. इन्हीं बीजो को बोन से अमलतास के पौधे उगते हैं. लेकिन अजीब बात ये है की अमलतास की बीज जो दो वर्ष पुराने होते हैं वही जमते हैं.
हकीम यूपियावी कहते हैं कि
अमलतास का गूदा पानी में शहद या शकर के साथ पकाकर रोज़ाना इस्तेमाल करने से खासी ठीक होती है और कब्ज़ दूर
होता है.
अमलतास के फूलों का गुलकंद भी बनाया जाता है. इसके लिए अमलतास के फूलों की पंखुड़ियां अलग कल ली जाती हैं. फिर उन्हें हाथों से शकर के साथ मलकर किसी खुले बर्तन में धूप में रख दिया जाता है. तीन-चार दिन तक धुप दिखाने से शकर पिघल जाती है और पंखुड़ियां उसमें गल जाती हैं. ये गुलकंद रात को सोते समय तीन से पांच ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती. अमलतास एक खूबसूरत पौधा है. इसके गुण इसकी खूबसूरती से भी ज़्यादा हैं. ये किसी को भी नुक्सान नहीं करता. इसीलिए छोटे बच्चों की जन्म घुट्टी का ये मुख्य अव्यव है. जो बच्चो को खांसी, सीने के रोगों और कब्ज़ से बचता है.
अमलतास के फूलों का गुलकंद भी बनाया जाता है. इसके लिए अमलतास के फूलों की पंखुड़ियां अलग कल ली जाती हैं. फिर उन्हें हाथों से शकर के साथ मलकर किसी खुले बर्तन में धूप में रख दिया जाता है. तीन-चार दिन तक धुप दिखाने से शकर पिघल जाती है और पंखुड़ियां उसमें गल जाती हैं. ये गुलकंद रात को सोते समय तीन से पांच ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ खाने से कब्ज़ की शिकायत नहीं रहती. अमलतास एक खूबसूरत पौधा है. इसके गुण इसकी खूबसूरती से भी ज़्यादा हैं. ये किसी को भी नुक्सान नहीं करता. इसीलिए छोटे बच्चों की जन्म घुट्टी का ये मुख्य अव्यव है. जो बच्चो को खांसी, सीने के रोगों और कब्ज़ से बचता है.
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