बुधवार, 18 अगस्त 2021

पौधे जो जानवर नहीं खाते

बगीचा लगाने से पहले उसके किनारे बाढ़ लगाना ज़रूरी है नहीं तो जानवर पेड़ों को खा लेते हैं. ये समस्या खाली पड़ी ज़मीनो पर पौधे लगाने में आती है जहां कटीले तारों से बाढ़ लगाना मुमकिन नहीं होता. इसके अलावा ये समस्या सड़कों के किनारे लगे पेड़ों के साथ भी होती है. विशेष रूप से डिवाइडर पर लगाए गए पौधों में. उनका जानवरों से बचाना ज़रूरी होता है. 


इन स्थानों पर ऐसे पौधे लगाए जाते हैं जिन्हें जानवर न खाएं. और पौधे बचे रहें. बाढ़ लगाने  का खर्च और पौधों की देखभाल का खर्च भी बचे. इसके लिए छोटे और सुंदर पौधों में जो अधिक स्थान भी नहीं घेरते और उनमें सुंदर फूल भी आते हैं उपयोगी हैं. 

1 . कनेर 

कनेर एक ऐसा पौधा है जिसमें पीले फूल खिलते हैं. ये बहुत कॉमन है और इसे सभी जानते हैं. इसे कम पानी चाहिए होता  है और आसानी से लग जाता है. ज़हरीला होने की वजह से इसे जानवर नहीं खाते, सड़कों के किनारे और डिवाइडर पर ये पौधा लगाया जाता है. 


2. ओलिऐंडर 

इसे भी लोग कनेर कहते हैं. इसमें लाल या सफ़ेद गुच्छेदार फूल खिलते हैं. रेलवे स्टेशनों पर ये पौधा पहले बहुतायत से लगाया जाता था. ये पौधा स्कूलों, बगीचों, डिवाइडर पर लगाया जाता है. 


3. कैक्टस। 

कैक्टस की बहुत  सी किस्में  हैं. ये कांटेदार और मोटी पत्तियों वाले होते हैं. ये शुष्क स्थानों और रेगिस्तानों का पौधा है इसलिए इसे बहुत कम पानी चाहिए होता है. इसकी बाढ़ लगाने से जानवरों के प्रकोप से बचत रहती है. कुछ किस्में सड़कों के किनारे लगाने के लिए भी उपयुक्त हैं.


4. बबूल 

बबूल को ऊंट चाव  से खाता है इसके अलावा इसे जानवर नहीं खाते, इसकी बाढ़ खेतों और बागों के किनारे लगायी जाती है. इसकी फलियां और गोंद व्यापारिक महत्व की चीज़ें हैं. 


5. क्रेप जैस्मिन या चांदनी 

इस पौधे में चक्राकार सफ़ेद फूल खिलते हैं. ये पौधा कभी फूलों से खाली नहीं रहता. ये मध्यम ऊंचाई का पौधा है और आसानी से लग जाता है. स्कूलों और कालेजों में सुंदरता के लिए लगाया जाता है. इसे जानवर नहीं खाते

6. प्लूमेरिया या चम्पा 

इस पौधे के फूल भी सुंदर होते हैं और इसे भी जानवर महीन खाते, इसके फूल सफ़ेद, बीच के भाग में पीले, होते हैं इसके अलावा इस पौधे की बहुत सी किस्में हैं जिनमें लाल, पीले फूल भी आते हैं 

7. करंजवा

करंजवा या कंजा एक दवा है. ये बहुत अधिक कांटेदार पौधा है. इसके बीज दवा में काम आते हैं. इसे बागों के किनारे लगाया जाता है. इसे जानवर नहीं खाते और न इसकी बढ़ के बीच घुसने की हिम्मत करते हैं 

8. कामनी 

ये भी मध्यम ऊंचाई का सफेद खुशबूदार फूलों वाला पौधा है. इसे भी जानवर नहीं खाते, 

9. जूनिपर 

इस पौधे से भी जानवर दूर रहते हैं. ये बहुत सुंदर पौधा है और इसके लगाने से घर बहुत सुंदर लगता है. 

10. बोगेनवेलिया 

ये एक सुंदर झाड़ी है जिसे बेल के रूप में दीवारों पर चढ़ाया जाता है ये बहुत रंग के फूलों में मिलती है, लाल, सफेद, पीली, नारंजी आदि, इसके काँटों की वजह से जानवर पास नहीं आते. 



 

 

मंगलवार, 17 अगस्त 2021

शोर से सुरक्षित रहना है तो पेड़ लगाएं.

 शोर से सुरक्षित रहना है तो पेड़ लगाएं. 

पेड़ न केवल ऑक्सीजन देते हैं और हवा को साफ और सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी हैं. लेकिन इसके  आलावा भी पेड़ पौधे ही भोजन का साधन हैं. ये गर्मी और सर्दी दोनों के बीच एक रूकावट का काम करते हैं. ये प्रदूषण को घटाते हैं और बहुत से हानिकारक पदार्थ हवा और पानी से सोख लेते हैं. 

छाया के लिए बहूत पुराने ज़माने से पेड़ लगाने का चलन है. सड़को के किनारे छायादार पेड़ न केवल छाया प्रदान करते हैं बल्कि इनसे फल भी मिलते हैं, जानवरों के लिए पत्तियां, और लकड़ी भी मिलती है. ये पर्यावरण को दुरुस्त

 रखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं की पेड़ ध्वनि प्रदूषण से भी बचाते हैं और ध्वनि को सोखकर आपकी रक्षा करते हैं. 

पेड़ों के मोटे तने और खुरदुरी छाल से टकराकर ध्वनि की तरंगें परावर्तित हो जाती हैं और उनकी आवृति बदल जाती है और वे कमज़ोर पड़ जाती हैं. पेड़ों की पत्तियां ध्वनि की तरंगों को सोख लेती हैं. इस प्रकार ये ध्वनि प्रदूषण से बचाती हैं. 

ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए कौन से पेड़ लगाए जाएं 

अगर आप ऐसी जगह रहते हैं  जहां सड़क से आने वाला शोर ज़्यादा है और आपके पास बड़े पेड़ लगाने के लिए जगह है तो सड़क की तरफ ऐसे  पेड़ लगाएं जिनकी पत्तियां घनी हों. देसी पेड़ों में कदम्ब, बरगद, नीम के पौधों से काम लिया जाता था. लेकिन ये वृक्ष बहुत बड़े होते हैं और इनके लगाने के लिए ज़्यादा और बड़ी जगह चाहिए. 

इस समस्या को हल करने के लिए झाड़ीदार पौधों का चयन किया जा सकता है. जैसे बोगनवेलिया जिसकी कई वैराइटी हैं और इसके फूल बहुत सुंदर लगते हैं. 


गुलाब की बेल दीवारों पर चढ़ाई जा सकती है. ये घना पौधा है और इसके फूल बहुत सुंदर लगते हैं 



देसी मेहंदी या हिना के पौधों का प्रयोग बाढ़ या हेज के रूप में क्या जा सकता है. हेज एक घनी दीवार के रूप में लगायी जाए और ये इतनी घनी हो जिसके आर पार न दिखाई दे, और इतनी ऊँची हो की इसके पार न देखा जा सके. ये हेज बहुत अच्छे ध्वनि कवच का काम करती है. 

करौंदा भी घना और खूबसूरत होता है, इसके पौधे भी अधिक ऊँचे नहीं होते लेकिन ध्वनि को सोखने में मददगार साबित हो सकते हैं. 

कामनी का पौधा भी घना होता है इसकी लम्बाई भी ज़्यादा नहीं होती और इसमें खूबदार फूल खिलते हैं. 

जुनिपर भी एक झाड़ीदार पौधा है जिसे आसानी से लगाया जा सकता है. 



कमरे में इंडोर प्लांट लगाने से न केवल ध्वनि प्रदूषण कम होता है ये पौधे हानिकारक रेडिएशन जो टीवी और अन्य गैजेट से निकलता है, को भी सोख लेते हैं. 

पेड़ों का सही इस्तेमाल ज़िंदगी को ज़्यादा  आरामदेह बना सकता है. 

मंगलवार, 8 जून 2021

कैसे दिल की सेहत को दुरुस्त रखता है अर्जुन How Arjuna Tree is beneficial for heart ?

अर्जुन एक मध्यम ऊंचाई का वृक्ष है. ये भारत में लगभग सभी जगह पाया जाता है. इसके पत्ते लम्बे आगे से गोलाई लिए अमरुद के पत्तों से मिलते जुलते होते हैं. इसमें अप्रैल, मई में लम्बे शहतूत के आकार के फूल खिलते हैं. फिर इसमें कमरक की तरह के फल लगते हैं. जो सख्त किस्म के होते हैं और इनमने पांच उभार  या पहल होते हैं. अर्जुन को साइंटिफिक भाषा में टर्मिनेलिया अर्जुना कहते हैं. 

फूलों और फलों की सहायता से अर्जुन के वृक्ष की पहचान आसानी से की जा सकती है. 


देसी दवाओं और आयुर्वेद में अर्जुन का बड़ा महत्त्व है क्योंकि ये शरीर के बहुत महत्वपूर्ण अंग दिल की दवा है. जो लोग हाय मेरा दिल से परेशान हैं उनके लिए अर्जुन एक कारगर इलाज है. 

दिल के लिए अक्सर अर्जुन की छाल का काढ़ा जिसे अर्जुन की चाय या अर्जुन टी कहते हैं प्रयोग की जाती है. 

कोरोनरी धमनी रोग या सीएडी हृदय रोग का सबसे आम प्रकार है और हृदय रोग की कारन जितनी मौतें होती हैं उनके लिए सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है. अर्जुन का उपयोग मुख्य रूप से आयुर्वेदिक चिकित्सा में दिल के रोगों को ठीक  करने के लिए किया जाता है.  इस पौधे के रस  में विभिन्न प्रकार के तत्व  होते हैं, जो सूजन को कम करने में मदद करते हैं जिससे धमनियों मेंथक्का  बनता है. इसके प्रयोग से स्वस्थ लिपिड प्रोफाइल मेन्टेन रहता है. 

अर्जुन में मौजूद ओलिगोमेरिक प्रोएंथोसायनिडिन और फ्लेवोनोइड्स हृदय की प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट रक्षा प्रणाली को बढ़ावा देते हैं और शरीर के संवहनी तंत्र को मजबूत करते हैं.  यह सीएडी रोगियों में प्लेटलेट को इकठ्ठा होने से रोकता है. इसके कारण धमनियों में रक्त का प्रवाह ठीक रहता है. 

यह दिल के दर्द को रोकता है. दिल के दर्द को एनजाइना कहते हैं. दिल का दर्द ही दिल के दौरे का मुख्य कारण है. इसका झटका इतना ज़बरदस्त होता है की मरीज़ इसमें कोलैप्स कर जाता है. और जल्दी इलाज न मिले तो उसकी मौत हो सकती है. अर्जुन  रक्तचाप को कम करता है, हृदय की विफलता में कारगर है  है और लिपिड प्रोफाइल में सुधार करता है. 

अर्जुन के लगातार इस्तेमाल से ये एनजाइना की आवृत्ति और गंभीरता को कम किया जा सकता है.  हल्के एनजाइना वाले लोगों में, इस्किमिया के कारण हृदय की मांसपेशियों में जो परिवर्तन आता है अर्जुन के इस्तेमाल से वह ठीक हो सकता है. लेकिन ये सब शुरुआत में ही फायदा करता है. गंभीर दिल के रोगों में अर्जुन या अन्य देसी जड़ी बूटियों के इस्तेमाल से फायदा नहीं होता. तब डाक्टर की सलाह और इलाज ही कारगर है. 


अर्जुन की छाल के पाउडर को  मूत्रवर्धक के साथ लेने से दिल की विफलता के लक्षणों में सुधार होता है.  अर्जुन की छाल का पाउडर सिस्टोलिक रक्तचाप के स्तर को कम करके पुराने उच्च रक्तचाप के प्रतिकूल प्रभाव से हृदय की रक्षा कर सकता है। अर्जुन  हृदय की सहनशक्ति को बढ़ावा देने में मदद कर सकता  है. 

सामान्यत: चालीस वर्ष या उससे अधिक आयु वाले महिला और पुरुष यदि अर्जुन की छाल के काढ़े का प्रयोग इस प्रकार करें तो दिल की सेहत को कोई खतरा नहीं होता:

अर्जुन के पेड़ से अर्जुन की छाल खुद उतार कर छाया में सूखा लें. अब इसक छल को मोटा मोटा कूट लें और इसमें से दस ग्राम छाल एक ग्लास पानी में भिगो दें. कुछ देर भीगने के बाद इसे आग पर पकाएं की पानी आधा रह जाए. अब इस काढ़े को छान कर चाय की तरह पियें. इस काढ़े का सेवन दिन में एक बार करें और एक सप्ताह के बाद बंद करदें. एक माह में एक सप्ताह पीना काफी है. इससे  दिल की सेहत ठीक रहती है. 


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