रविवार, 18 फ़रवरी 2018

रीठा एक नेचुरल साबुन है

रीठा एक पौधे का गोल फल है. इसे अंग्रेजी में सोपनट कहते हैं.  इसकी ऊपरी सतह सुकड़ी हुई होती है. इसका रंग कला, भूरा और कुछ पीलापन लिए होता है. बाजार में इसका सूखा फल मिलता है और यही प्रयोग किया जाता है.
रीठा एक नेचुरल साबुन है. इसमें बहुत झाग होता है. पानी के साथ मिलकर इसका ऊपरी छिलका झाग बनता है. इसे बहुतायत से बालों को धोने यानि हेयर वाश और शैम्पू की तरह इस्तेमाल किया जाता है. रीठा अकेला या फिर शीकाकाई के साथ मिलकर शैम्पू की तरह इस्तेमाल होता है.
रीठा बालों के रंग को हल्का कर देता है. रीठे से बाल धोने से कुछ दिनों के बाद बाल काले से भूरे पड़ जाते हैं. आजकल भूरे और सुनहरे बालों का चलन है इसके लिए किसी भी अन्य प्रोडक्ट से बालों को सुनहरा और भूरा करने के लिए रीठा सबसे बेहतर दवा है. रीठा उन लोगों के लिए अच्छा है जिनके बालों में चिपचिपापन रहता हो या जिनके सर की त्वचा तैलीय हो. रीठा इस्तेमाल करने से बाल रूखे हो जाते हैं.
फलों और सब्ज़ियों से पेस्टीसाइड का प्रभाव हटाने के लिए भी इन्हे रीठे के पानी से धोया जाता है. रीठा नेचुरल तरीके से पॉइज़न और टॉक्सिन हटाने का काम करता है. इसलिए सभी फलों और सब्ज़ियों को प्रयोग से पहले रीठे के घोल से धो लेना चाहिए.
सोने - चांदी  के आभूषण साफ़ करने के लिए भी रीठे के घोल का प्रयोग किया जाता है. रीठे का ऊपरी छिलका उतारकर उसे मोटा मोटा कूट लें. फिर उसे पानी मिलकर भिगो दें. छिलका पानी में गल  जाए तो उसके घोल को छान कर उसमे आभूषण डालकर मुलायम ब्रश से साफ़ कर लें.
कम मात्रा में रीठा दवा के रूप में खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. ये शरीर से टॉक्सिन निकाल देता है. इसके प्रभाव से रक्त पतला हो जाता है. रीठा हैमराईड को जड़ से ख़त्म कर देता है.
लेकिन रीठे के अंदरूनी इस्तेमाल से उल्टियां भी आ सकती हैं. इसका अधिक मात्रा में प्रयोग हानिकारक हो सकता है. इसलिए हमेशा ये ज़रूरी है की देसी जड़ी बूटियों और पेड़ पौधों के अंगों का प्रयोग काबिल और समझदार हाकिम या वैद्य के सलाह और देख रेख में ही होना चाहिए. ये लेख केवल आम जानकारी बढ़ने के लिए हैं.
अजीब बात है की यदि किसी को सांप ने काटा हो उसे रीठे का पाउडर 5 - 10 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ पिलाने से उल्टियां आती है और डायरिया हो जाता है. समय समय पर रीठे का इस प्रकार 3  - 4 बार का इस्तेमाल सारे ज़हर को उलटी और दस्त के रस्ते निकल बाहर करता है. लेकिन इसका प्रयोग काबिल हाकिम या वैद्य के देखरेख में होना चाहिए.

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2018

शीकाकाई - एक नेचुरल माउथ वाश

शीकाकाई एक कांटेदार पौधा है. इसकी पत्तियां इमली से मिलती जुलती  हैं. इसकी फलियां बीज के स्थान पर फूली हुई होती हैं. शीकाकाई की फलियां प्राकृतिक साबुन और बालों को धोने के लिए शैम्पू की तरह प्रयोग की जाती हैं. इसकी पत्तियां स्वाद में इमली की पत्तियों की तरह खट्टी होती हैं.
शीकाकाई की फलियों से बीज निकाल कर उनका पाउडर बना लिया जाता है. इस पाउडर को पानी में भिगोकर इसे हिलाकर झाग पैदा करके बालों में शैम्पू की तरह लगाया जाता है. शीकाकाई के साथ सामान मात्रा में रीठा या सोपनट का पाउडर, और आमला का पाउडर मिलकर पानी में पेस्ट बनाकर बालों में लगाने से न केवल अच्छे शैम्पू का काम करता है बल्कि बालों को कला और चमकदार भी बनाता है.
शीकाकाई पानी में भिगोने से हल्का झाग देती है. सोपनट या रीठा में ज़्यादा झाग होता है. इन दोनों को मिलकर या अकेला गर्म कपडे धोने के काम में लाया जाता है. शीकाकाई और रीठा दोनों ऊनी और रेशमी कपड़ो को धोने  के लिए बेहतरीन हलके प्राकृतिक  डिटर्जेंट हैं. ये कपडे के रेशे ख़राब नहीं करते.
देसी दवाओं में शीकाकाई का प्रयोग अंदरूनी तौर पर 2 - 3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में तीन बार इस्तेमाल करने से पीलिया रोग में लाभ करती हैं.  ये ब्लड में से टॉक्सिन निकाल देती है.
शीकाकाई की पत्तियां खट्टी होती हैं. इनकी चटनी बनाकर प्रयोग की जाती है. इसकी चटनी को भी लिवर के रोगों में लाभकारी माना  जाता है.
शीकाकाई स्किन के घाव को भर देती है. दाग धब्बे दूर करती है. शीकाकाई को हल्के गर्म  पानी में भिगोकर छान कर इस पानी से गारगल करने से दांतो और मसूढ़ों की बीमारियों में लाभ होता है. ये एक प्राकृतिक  माउथ वाश है.
इस पौधे के फूल और पत्तियां सब्ज़ी के रूप में भी प्रयोग की जाती हैं. भोजन को खट्टापन देने के लिए भी इसकी पत्तियों का प्रयोग होता है.
इस हर्ब की अजीब बात ये है कि  इसे तालाबों में मछली पकड़ने के लिए डाला जाता है और तब ये जड़ी बूटी विष का कार्य करती है.



गुरुवार, 15 फ़रवरी 2018

जटामांसी

जटामांसी को बालछड़  भी कहते हैं. इस जड़ी बूटी का प्रयोग पुराने ज़माने से आयुर्वेद  और यूनानी चिकित्सा पद्धति में किया जाता है. इसका पौधा हिमालय के पहाड़ों में पैदा होता है. इसकी जड़ को दवा के रूप में प्रयोग करते हैं. इसकी जड़ के बारीक रेशे बालों के समान होते हैं. इसीलिए इसे बाल - छड़ या बालों की छड़ी और जटामांसी यानि मनुष्य के बाल कहते हैं.

ये अपनी आकृति के अनुरूप बालों को बढ़ाने   वाली, उन्हें कला, घना और मुलायम रखने वाली जड़ी बूटी है. इसकी जड़ का प्रयोग पाउडर के रूप में बालों को धोने, और शैम्पू के अव्यव के रूप में होता हैं. इसका तेल बालों को घना बनाता  है.
ये दिमाग को शक्ति देती है. उलझन, घबराहट, उदासी दूर करती है. इसका इस्तेमाल एपिलेप्सी या मिर्गी के रोग में किया जाता है.
बालछड़ को यूनानी हकीम पेशाबआवर यानि डाययुरेटिक और दर्द निवारक दवा के रूप में प्रयोग करते हैं. हकीमों के अनुसार ये जिगर यानि लिवर को ताकत देती है. पेट की बीमारीयों में लाभकारी है. यूनानी दवाओं में बालछड़ पेट की बीमारियों की दवाओं का एक आवशयक अव्यव है.
बालछड़ लिवर को शक्ति देता है. ये पीलिया रोग और लिवर के बढ़ जाने में इस्तेमाल किया जाता है.
बालछड़ चेहरे के दाग धब्बे मिटाता है. इसके लिए बालछड़ को बारीक पीसकर उसका पाउडर और सफ़ेद चन्दन का बुरादा समान मात्रा में  दूध में मिलाकर, पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाया जाता है और जब ये लेप सूखा जाए तो पानी से धोकर साफ कर दिया जाता है. कुछ दिन में चेहरे के दाग धब्बे मिट जाते हैं.


  

Popular Posts

महल कंघी Actiniopteris Radiata

महल कंघी एक ऐसा पौधा है जो ऊंची दीवारों, चट्टानों की दरारों में उगता है.  ये छोटा सा गुच्छेदार पौधा एक प्रकार का फर्न है. इसकी ऊंचाई 5 से 10...