शीकाकाई एक कांटेदार पौधा है. इसकी पत्तियां इमली से मिलती जुलती हैं. इसकी फलियां बीज के स्थान पर फूली हुई होती हैं. शीकाकाई की फलियां प्राकृतिक साबुन और बालों को धोने के लिए शैम्पू की तरह प्रयोग की जाती हैं. इसकी पत्तियां स्वाद में इमली की पत्तियों की तरह खट्टी होती हैं.
शीकाकाई की फलियों से बीज निकाल कर उनका पाउडर बना लिया जाता है. इस पाउडर को पानी में भिगोकर इसे हिलाकर झाग पैदा करके बालों में शैम्पू की तरह लगाया जाता है. शीकाकाई के साथ सामान मात्रा में रीठा या सोपनट का पाउडर, और आमला का पाउडर मिलकर पानी में पेस्ट बनाकर बालों में लगाने से न केवल अच्छे शैम्पू का काम करता है बल्कि बालों को कला और चमकदार भी बनाता है.
शीकाकाई पानी में भिगोने से हल्का झाग देती है. सोपनट या रीठा में ज़्यादा झाग होता है. इन दोनों को मिलकर या अकेला गर्म कपडे धोने के काम में लाया जाता है. शीकाकाई और रीठा दोनों ऊनी और रेशमी कपड़ो को धोने के लिए बेहतरीन हलके प्राकृतिक डिटर्जेंट हैं. ये कपडे के रेशे ख़राब नहीं करते.
देसी दवाओं में शीकाकाई का प्रयोग अंदरूनी तौर पर 2 - 3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में तीन बार इस्तेमाल करने से पीलिया रोग में लाभ करती हैं. ये ब्लड में से टॉक्सिन निकाल देती है.
शीकाकाई की पत्तियां खट्टी होती हैं. इनकी चटनी बनाकर प्रयोग की जाती है. इसकी चटनी को भी लिवर के रोगों में लाभकारी माना जाता है.
शीकाकाई स्किन के घाव को भर देती है. दाग धब्बे दूर करती है. शीकाकाई को हल्के गर्म पानी में भिगोकर छान कर इस पानी से गारगल करने से दांतो और मसूढ़ों की बीमारियों में लाभ होता है. ये एक प्राकृतिक माउथ वाश है.
इस पौधे के फूल और पत्तियां सब्ज़ी के रूप में भी प्रयोग की जाती हैं. भोजन को खट्टापन देने के लिए भी इसकी पत्तियों का प्रयोग होता है.
इस हर्ब की अजीब बात ये है कि इसे तालाबों में मछली पकड़ने के लिए डाला जाता है और तब ये जड़ी बूटी विष का कार्य करती है.
शीकाकाई की फलियों से बीज निकाल कर उनका पाउडर बना लिया जाता है. इस पाउडर को पानी में भिगोकर इसे हिलाकर झाग पैदा करके बालों में शैम्पू की तरह लगाया जाता है. शीकाकाई के साथ सामान मात्रा में रीठा या सोपनट का पाउडर, और आमला का पाउडर मिलकर पानी में पेस्ट बनाकर बालों में लगाने से न केवल अच्छे शैम्पू का काम करता है बल्कि बालों को कला और चमकदार भी बनाता है.
शीकाकाई पानी में भिगोने से हल्का झाग देती है. सोपनट या रीठा में ज़्यादा झाग होता है. इन दोनों को मिलकर या अकेला गर्म कपडे धोने के काम में लाया जाता है. शीकाकाई और रीठा दोनों ऊनी और रेशमी कपड़ो को धोने के लिए बेहतरीन हलके प्राकृतिक डिटर्जेंट हैं. ये कपडे के रेशे ख़राब नहीं करते.
देसी दवाओं में शीकाकाई का प्रयोग अंदरूनी तौर पर 2 - 3 ग्राम की मात्रा में पानी के साथ दिन में तीन बार इस्तेमाल करने से पीलिया रोग में लाभ करती हैं. ये ब्लड में से टॉक्सिन निकाल देती है.
शीकाकाई की पत्तियां खट्टी होती हैं. इनकी चटनी बनाकर प्रयोग की जाती है. इसकी चटनी को भी लिवर के रोगों में लाभकारी माना जाता है.
शीकाकाई स्किन के घाव को भर देती है. दाग धब्बे दूर करती है. शीकाकाई को हल्के गर्म पानी में भिगोकर छान कर इस पानी से गारगल करने से दांतो और मसूढ़ों की बीमारियों में लाभ होता है. ये एक प्राकृतिक माउथ वाश है.
इस पौधे के फूल और पत्तियां सब्ज़ी के रूप में भी प्रयोग की जाती हैं. भोजन को खट्टापन देने के लिए भी इसकी पत्तियों का प्रयोग होता है.
इस हर्ब की अजीब बात ये है कि इसे तालाबों में मछली पकड़ने के लिए डाला जाता है और तब ये जड़ी बूटी विष का कार्य करती है.
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